नई दिल्ली: पंजाब एवं हरियाणा हाईकोर्ट ने शनिवार को जाट आरक्षण के दौरान हुई हिंसा पर सुनवाई करते हुए हरियाणा सरकार को जमकर फटकार लगाई। हाईकोर्ट ने इसे देश की आजादी की बाद की सबसे दुखद घटना करार दे दिया। बता दें हाईकोर्ट जाट आरक्षण के दोरान मुरथल में महिलाओं के साथ हुए सामूहिक दुष्कर्म करने के मामले में सुनवाई चल रही थी। हाईकोर्ट में जस्टिस एसएस सारों और जस्टिस लीजा गिल ने कहा कि जाट आंदोलन के दौरान जो हुआ वह 1947 से अब तक की सबसे दुखद घटना है। कोर्ट ने हरियाणा सरकार के रवैये पर भी सवाल उठाए और कहा कि क्यों न आंदोलन के दौरान हिंसा, तोडफ़ोड़ ओर आगजनी के सारे मामलों की जांच सीबीआई को सौंप दी जाए।
वित्त मंत्री के भाई की अर्जी पर हो रही थी सुनवाई
जाट आरक्षण को लेकर हरियाणा में हिंसा हुई जिसमे राज्य को बहुत नुकसान हुआ था इस मामले में प्रदेश के वित्त मंत्री कैप्टन अभिमन्यु के भाई की अर्जी पर हुई सुनवाई में कहा गया है कि पांच आरोपी जांच में शामिल हो चुके हैं जबकि तीन को भगौड़ा घोषित करने की प्रक्रिया शुरू कर दी गई है। एडिशनल सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने कहा कि कुछ मामलों में राजनीति क षड्यंत्र की जांच और कुछ बड़े राजनेताओं के नाम की आशंका के चलते इन मामलों की जांच सीबीआई को सौंपी गई है।
बता दें 18 फरवरी की शाम को रोहतक में एक घटना के बाद यह आंदोलन हिंसक हो गया था जिसके चलते कई जगह आगजनी हुई थी। 19 और 20 फरवरी को हरियाणा के वित्त मंत्री कैप्टन अभिमन्यु के रोहतक के सैक्टर-14 स्थित आवास पर जमकर लूटपाट और आगजनी हुई थी। इस मामले को लेकर हाईकोर्ट में आज सुनवाई हुई। अगली सुनवाई 22 अक्टूबर को होगी।