लखनऊः बनारस के गंगा घाट पर जब किन्नर पितरों की मुक्ति के लिए पिंडदान कर रहे थे तो लोग अजूबे से देख रहे थे। किन्नरों ने पिशाच मोचन विमल तीर्थ पर पूरे विधि-विधान से पिंडदान किया। किन्नर अखाड़ा के आचार्य महामंडलेश्वर लक्ष्मीनारायण सहित कई बड़े अकाड़े के तमाम महंतों ने इस आयोजन में हिस्सा लिया।
चार घंटे तक चला अनुष्ठान
21 ब्राह्मणों ने पूरे चार घंटे तक अनुष्ठान कराया। महामंडलेश्वर लक्ष्मीनारायण त्रिपाठी ने बतााय कि किन्नरों ने बच्चे, मां, गुरु और चेला सबकी अतृत्प आत्माओं की मुक्ति के लिए त्रिपिंडी श्राद्ध किया। उन्होंने बताया कि जो जिस धर्म का होता है, उसकी अंत्येष्टि उसी धर्म के रीति-रिवाजों की तरह होती है। उन्होंने दावा किया कि महाभारत में शिखंडी के बाद पहली बार सामूहिक रूप से किन्नरों का धार्मिक पिंडदान हुआ है। अब हर पांच साल पर किन्नर पितरों का पिंडदान करते आएंगे।