नई दिल्ली: जिस तरह इंसान को जीने के लिए ऑक्सीजन की जरूरत होती है उसी तरह किसान को खेती करने के लिए पानी की जरूरत होती है। मगर किसान के खेत को पानी नहीं मिला। किसान के लिए बनाई गई पानी की योजनाएं फाइलो में बाहर नहीं आ सकी। नतीजा कई किसानो ने आत्महत्या कर ली तो कई किसानों को पलायन करना पड़ा। जांच कराई गई तो सामने आया 70 हजार करोड़ का सिंचाई घोटाला। इस घोटाले में नाम आया एनसीपी नेता और पूर्व उप मुख्यमंत्री अजित पवार,नेता छगन भुजबल और सुनील तटकरे का। मंगलवार को महाराष्ट्र कैबिनेट ने सिंचाई घोटाले में 14 परियोजनाओं के 94 टेंडर रद्द कर दिए। जिसके बाद से अजित पवार की मुशिकलें बढ़ गई हैं।
एसीबी कर चुकी है पूछताछ
बता दें एसीबी ने ने इसी महीने अजित पवार से पूछताछ की थी। इससे पहले बाणगंगा सिंचाई परियोजना घोटाला मामले में एनसीपी के दूसरे बड़े नेता सुनील तटकरे से भी पूछताछ की जा चुकी है। 94 टेंडरो को रद्द करने का सरकार का ये फैसला एनसीपी और कांग्रेस के लिए बड़ा झटका माना जा रहा है।
कैसे हुआ था ये घोटाला
इस मामले में आम आदमी पार्टी की कार्यकर्ता रही अंजली दमानिया द्वारा उच्च न्यायालय में एक याचिका दायर कर जांच की मांग की। इस घोटाले में कई और भी सामाजिक कार्यकर्ताओं ने कोर्ट ने केस दर्ज किया था। जांच में पाया गया कि महाराष्ट्र का ये सिचाई घोटाला पश्चिम महाराष्ट्र तक फैला हुआ है। इसमें एक ही डैम के कई-कई बार टेंडर दिए गए। इसमें टेंडर की शर्तों में गलत ढंग से बदलाव करते हुए प्रोजेक्ट की कास्ट बढ़ाई गई। ऐसा करने से राजकोष को करोड़ो का चूना लगा। इस घोटाले में पूर्व की कांग्रेस और एनसीपी सरकार पर कई गंभीर आरोप लगे थे।
देना पड़ा था इस्तीफा
बता दें कि इसी सिंचाई घोटाले में पिछली सरकार के कार्यकाल में मुख्यमंत्री पृथ्वीराज चह्वाण द्वारा श्वेतपत्र लाए जाने की घोषणा के बाद अजीत पवार को इस्तीफा देना पड़ा था। लेकिन बाद में एक जांच समिति की रिपोर्ट आने के बाद पवार ने पुनः उप-मुख्यमंत्री पद की शपथ ले ली थी। लेकिन अब तक किसी भी जांच में उन्हें क्लीनचिट नहीं दी गई है। भ्रष्टाचार निरोधक ब्यूरो की जांच भी अभी चल ही रही है। माना जा रहा है कि यदि फड़नवीस सरकार ने इस यह जांच निश्पक्ष रूप से आगे बढ़ाई तो अजीत पवार एवं तटकरे की मुश्किलें बढ़ सकती हैं। राकांपा के एक दिग्गज नेता छगन भुजबल पहले से ही दिल्ली स्थित महाराष्ट्र सदन निर्माण घोटाले में जेल की हवा खा रहे हैं।
चार्जशीट दाखिल की गई
सिंचाई घोटाले की जांच कर रहे एसीबी के विशेष जांच दल ने 8 अगस्त को विशेष न्यायालय में तीस हजार पेज की चार्जशीट दाखिल की थी। रायगढ़ जिले की सिंचाई परियोजनाओं में भ्रष्टाचार के आरोप में 10 लोगों को आरोपी बनाया गया है। इनमें जलसंसाधन विभाग के 6 अधिकारी और 4 ठेकेदार शामिल हैं। सूत्रों के मुताबिक, चार्जशीट में इस बात का उल् लेख है कि मामले में पूर्व उपमुख्यमंत्री अजित पवार की भूमिका भी जांच के दायरे में है। इससे कयास लगाए जा रहे हैं कि फिलहाल सिंचाई घोटाले से अजित को क्लिनचिट नहीं मिली है। कोंकण बांध विकास निगम की सिंचाई परियोजनाओं में भ्रष्टाचार के मामले में 25 अगस्त 2015 को कोपरी पुलिस थाने में एफआईआर दर्ज की गई थी।
ये हैं घोटाले के आरोपी
आनंदा पांडूरंग कालुके (तत्कालीन कार्यकारी अभियंता), राजेश चंद्रकांत रिठे (तत्कालीन सहायक अभियंता) , फतेह मोहम्मद अब्दुल खत्री (ठेकेदार), निसार फतेह खत्री (ठेकेदार), आबिद फतह मोहम्मद खत्री (ठेकेदार), जाहिद फतह मोहम्मद खत्री (ठेकेदार), गिरीश गोपालराव बाबर (तत्कालीन मुख्य अभियंता), बालासाहेब भाऊसाहेब पाटील (तत्कालीन मुख्य अभियंता), रामचंद्र दगडू शिंदे (तत्कालीन अधीक्षक अभियंता), और विजय रघुनाथ कासट (तत्कालीन शाखा अभियंता)।
भ्रष्टाचार और भ्रष्टाचारियों के खिलाफ सख्त कार्रवाई
बीजेपी ने 2014 चुनाव ने इसे चुनावी मुद्दा बनाया था। टेंडर रद्द करने पर बीजेपी नेता शाइना एनसी ने कहा, "केंद्र की बीजेपी सरकार हो या फिर महाराष्ट्र की फडणवीस सरकार, भ्रष्टाचार पर एक ही स्टैंड है। भ्रष्टाचार और भ्रष्टाचारियों के खिलाफ सख्त कार्रवाई होकर रहेगी।"
दीवाली इस बार जेल में गुजरेगी
भाजपा सांसद किरीट सोमैया ने कुछ माह पहले यह दावा भी किया था कि इस मामले में अजीत पवार एवं सुनील तटकरे की दीवाली इस बार जेल में गुजरेगी। माना जा रहा है कि भाजपानीत सरकार के मंत्रिमंडल द्वारा आज लिया गया निर्णय उसी दिशा में बढ़ाया गया एक कदम है।