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हमने देखा है

1 सितम्बर 2021

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प्रकृति को आज परेशा हमने देखा है...

जो कल पेड लगा गए थे उन्हें काटने का सामान लिए देखा है....

वैसे तो मशहूर है मेरा शहर शरीफों का शहर...

लेकिन कई मरतफा चोरी होते सामान हमने देखा है...

मजहबी नाम पर यहाँ बटवारा हो रहा..

हिन्दू - मुस्लिम, ऊच - नीच का यहाँ भेदभाव हमने देखा है..

लोग बात कर रहे है विकास की..

तमाम दिग्गज नेताओं को यहाँ बेईमान हमने देखा है..

अभी भी वक्त है सुधर जाओ सत्ताधीशो..

वरना अफगानिस्तान की जगह तालिबान हमनें देखा है..

- Shivansh shukla (शिvansh) 🙏🖋




4 सितम्बर 2021

Shivansh Shukla

Shivansh Shukla

5 सितम्बर 2021

आभार आपका

jyoti mishra

jyoti mishra

Bahut accha

4 सितम्बर 2021

Shivansh Shukla

Shivansh Shukla

4 सितम्बर 2021

आभार आपक

Shailesh singh

Shailesh singh

यथार्थ वर्णन

4 सितम्बर 2021

Shivansh Shukla

Shivansh Shukla

4 सितम्बर 2021

आभार

shivansh

shivansh

शानदार भाई लाजवाब अद्भुत कृति

3 सितम्बर 2021

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हमने देखा है

1 सितम्बर 2021
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<blockquote><em><strong>प्रकृति को आज परेशा हमने देखा है... <br> <br> जो कल पेड लगा गए थे उन्हें काट

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शेर

4 सितम्बर 2021
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<h6><em><strong>फख़त मेरा बस एक चांद से वास्ता था.... </strong></em></h6> <h6><em><strong>वो रा

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लफ्ज़

7 सितम्बर 2021
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<blockquote><em><strong>अपने दिल के जजबातो को लफ्जो से बयाँ करता हूँ.. <br> उसे आज भी पता है कि मै उ

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मुस्कराती दुनिया

11 सितम्बर 2021
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<p>ज़िंदगी मे गमो का डेरा है..<br> <br> क्या पता कौन तेरा है कौन मेरा है..<br> <br> इस मुस्कराती दुनि

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फितरत

13 सितम्बर 2021
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<b><i>फितरत मेरी सुर्खियों में रहने की थी....</i></b><div><b><i><br></i></b><div><b><i>मुझे शानोशौकत

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खामोशी

13 सितम्बर 2021
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शीर्षक - *खामोशी*<div><br></div><div>तू नाराज है तो बता मुझको.. </div><div>मेरी गलतियों की दे

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शायरी

18 दिसम्बर 2021
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जो जमाने की पुरानी रीति है <div>मैं भला कैसे ना उन पर काम करता </div><div>छोड़ कर जाना मु

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