प्रकृति को आज परेशा हमने देखा है...
जो कल पेड लगा गए थे उन्हें काटने का सामान लिए देखा है....
वैसे तो मशहूर है मेरा शहर शरीफों का शहर...
लेकिन कई मरतफा चोरी होते सामान हमने देखा है...
मजहबी नाम पर यहाँ बटवारा हो रहा..
हिन्दू - मुस्लिम, ऊच - नीच का यहाँ भेदभाव हमने देखा है..
लोग बात कर रहे है विकास की..
तमाम दिग्गज नेताओं को यहाँ बेईमान हमने देखा है..
अभी भी वक्त है सुधर जाओ सत्ताधीशो..
वरना अफगानिस्तान की जगह तालिबान हमनें देखा है..
- Shivansh shukla (शिvansh) 🙏🖋