देहरादून:उत्तराखंड के हल्द्वानी में की सभा में Cm हरीश रावत के पैर पर एक महिला गिड़गिड़ाती रही और मुख्यमंत्री मुस्कुराते रहे। सभा में एक महिला मदद की गुहार लगाते हुए सीएम रावत के पैरों में गिर गई। वन भूमि की पेच के कारण स्कूलों को ग्रांट न मिलने से आहत महिला ने एफटीआई में मुख्यमंत्री के पांव पकड़ लिए। लेकिन सभा में मौजूद सभी अधिकारी से लेकर मंत्री तक हर कोई तमाशबीन बना रहा। महिला को वहां से हटाने का हर संभव प्रयास किया लेकिन उसकी सुध तो तब ली गई जब लाख प्रयास के बावजूद उसे सीएम रावत के पैरों से हटाया न जा सका। गज़ब के मुख्यमंत्री हैं हरीश रावत जब एक महिला पैर पकड़ के गुहार लगा रही थी और सीएम रावत के चेहरे पर हंसी फूट रही थी।
महिला पैरों पर रोती रही और सीएम हंसते रहे
दरअसल एक महिला सीएम रावत के पैर पकड़ कर रोने-बिलखने लगी। महिला को सीएम पैरों पर बैठा देख अधिकारियों की हवा खराब हो गई। महिला ने स्थानीय विधायक एवं श्रम मंत्री को आड़े हाथों लिया। FTI ग्राउंड में मुख्यमंत्री हरीश रावत क्विज प्रतियोगिता देख रहे थे कि तभी बिंदुखत्ता निवासी उमा पांडे अचानक मुख्यमंत्री रावत के पैरों में आ गिरीं। उमा उनके पैरों पर सिर रखकर बिलखती रहीं, गिड़गिड़ाती रहीं लेकिन सीएम हरीश रावत की गंभीरता देखिये। राज्य के मुखिया होते हुए भी हरीश रावत महिला के पैरों पर पड़ने पर भी मुस्कुराते रहे। सभा में मौजूद सभी लोग इस बात को कहने से नहीं चूके कि सीएम साहब इतने असंवेदनशील कैसे, महिला पैरों पर और यह मुस्कुरा रहे हैं। हालांकि मुख्यमंत्री रावत ने उस महिला की सारी बातें सुनी और उसे आशवासन भी दिया।
महिला का दर्द
उमा ने बताया कि वह बिंदुखत्ता में आदर्श इंटर कॉलेज, जनता उच्चतर माध्यमिक विद्यालय, हाट कालिका इंटर कालेज, चित्रकूट उच्चतर माध्यमिक स्कूल, दानू मांटेसरी स्कूल, मानवता उच्चतर माध्यमिक स्कूल को अनुदान नहीं मिल रहा है। वह पिछले 13 साल से पांच हज़ार रुपए के मानदेय पर हाट कालिका इंटर कॉलेज में काम कर रही हैं। उन्हें आर्थिक तौर पर कॉफी परेशानियों का सामना करना पड़ता है इसलिए जब उन्हें पता चला कि सीएम यहां आए हैं तो वह सीधे उनके पास चली गईं। उन्होनें कहा कि उन्होनें पहले भी कई बार मिलने का प्रयास किया लेकिन उन्हें मिलने नहीं दिया गया।
सीएम हरीश रावत को सूबे से कोई मतलब है ही नहीं। सूबे में लगातार होती ऐसी घटनाएं यह बताती हैं कि सूबे के मुखिया हरीश रावत को इतनी भी फ़ुर्सत नहीं कि वो अपनी जनता की सुध भी लें। कुछ ही रोज़ पहले उनकी ही रैली में एक बुज़ुर्ग की तड़प तड़प कर जान चली गई, एक दलित बच्चे की उंगली काट ली गई सीएम तब भी ख़ामोश और अब जब एक महिला उनके पैरों पर गिरकर रोती बिलखती रही, गिड़गिड़ाती रही तो सीएम रावत हंसते खिलखिलाते रहे। Cm हरीश रावत का जनता के प्रति कुछ तो कर्तव्य है कि सब कुछ अंधेर नगरी चौपट राजा हो चला है?