देहरादून : उत्तराखंड के मुख्यमंत्री हरीश रावत की दोस्ती अपनी पार्टी के नेताओं से हो या न हो लेकिन उनका पत्रकारों से पुराना याराना रहा है। पत्रकारों से अपने याराना संबंधों का जिक्र हरीश रावत ने एक स्टिंग में फंसने के बाद खुलेतौर पर किया था। उन्होंने कहा था कि उनसे दोस्ती की आड़ में धोखा किया गया। ख़बरों की माने तो हरीश रावत ने उत्तराखंड चुनावों से पहले अपने कुछ करीबी पत्रकारों को सूचना आयुक्त बनाने का भी वादा किया था। गौरतलब है कि राज्य में तीन सूचना आयुक्तों के पद खाली थे।
हरीश रावत लगातार इन पत्रकारों को अपने कार्यकाल के दौरान यही लालच देते रहे कि उन्हें अपने कार्यकाल के दौरान वह सूचना आयुक्त बना देंगे। साल 2017 के विधानसभा चुनाव नजदीक आते देख जब पत्रकारों का दबाव बढ़ता गया तो रावत ने 7 पत्रकारों के नाम आनन फानन में उत्तराखंड के गवर्नर को भेज दिए।
हालाँकि हरीश रावत ये बात अच्छी तरह जानते थे कि राज्य में आचार संहिता लागू हो चुकी और अब उनके भेजे प्रस्ताव को राज्यपाल स्वीकार नही कर सकते। इसलिए राज्यपाल ने नामों को वापस लौटा दिया। जिन 7 पत्रकारों के नाम इस सूची में थे उनमे चिपको आंदोलन के सूत्रधार सुंदर लाल बहुगुणा के बेटे और पत्रकार राजीव नयन बहुगुणा का नाम भी शामिल है।
जिन पत्रकारों सूचना आयुक्त बनाने की सिफारिश हरीश रावत ने की थी उनमे पत्रकार केवल नंद सती, पत्रकार जन सिंह रावत, हिंदुस्तान अख़बार के पत्रकार दर्शन सिंह रावत, चंद्र सिंह ग्वाल, हरीश लखेड़ा, डीएस कुंवर, देवेंद्र सिंह का नाम शामिल है। पत्रकारों के प्रति हरीश रावत की नजदीकियों का अनुमान इसी बात से लगाया जा सकता है कि उन्होंने उत्तराखंड के एक बड़े अख़बार के मालिक के नाम पर एक चौराहे का नामकरण कर दिया था।