नई दिल्ली: हरियाणा में 10618 करोड़ रुपए का वैट घोटाला सामने आने के बाद खलबली मची है। अब आईपीएस श्रीकांत जाधव वाली एसआईटी की जांच रुकवाने को लेकर एक्साइज एंड टैक्सेशन डिपार्टमेंट अपने ही जाल में उलझता नजर आ रहा है। पिछले दिनों हाईकोर्ट में कमिश्नर ने पिछले दिनों हाईकोर्ट में कहा था कि तत्तकालीन एसीएस रोशनलाल ने मुख्यमंत्री मनोहर लाल से बात करने के बाद ही लोकायुक्त को मामले की जांच रुकवाने के लिए पत्र लिखा था। इसका रिकॉर्ड मौजूद है। लेकिन अब विभाग के लोक सूचना अधिकारी ने राज्य सूचना आयोग में एफिडेविट देकर कहा है कि उनके पास इस तरह का कोई रिकॉर्ड उपलब्ध नहीं है।
शिकायत पर बनी जांच कमिटी
अजमेर निवासी शिव साहनी, कैथल निवासी रघुवीर सिंह और सतबीर की शिकायत की था जिसके बाद पूर्व लोकायुक्त प्रीतमपाल ने एसआईटी बनाकर इस मामले की जांच करवाई। आईपीएस श्रीकांत जाधव की अध्यक्षता वाली एसआईटी ने जांच के बाद प्रारंभिक तौर पर 10,618 करोड़ रुपए का घोटाला उजागर किया था।
2005 से 2013 के बीच हुआ घोटाला
याचिकाकर्ता कैथल निवासी सतबीर ने जानकारी देते हुए बताया कि विभागीय अधिकारियों ने राइस इंडस्ट्री, बिल्डर्स, सिगरेट डीलर्स जैसे बड़े करोबारियों को ये वैट रिफंड किए और यह पूरा खेल साल 2005 से 2013 के बीच हुआ। एक्साइज एंड टैक्सेशन डिपार्टमेंट में 10,618 करोड़ रुपए के बोगस वैट रिफंड घोटाले मामले में पंजाब एंड हरियाणा हाईकोर्ट में सुनवाई हुई थी। सुनवाई के दौरान हाईकोर्ट ने मुख्य सचिव दो महीने में एक्शन टेकन रिपोर्ट देने के दिए आदेश दिए हैं।
हरियाणा के किस ज़िले में हुई कितनी चोरी
वैट घोटाले के तार पंजाब, दिल्ली, राजस्थान तक फ़ैले हुए हैं। कैथल में अठारह करोड़, फ़रीदाबाद, गुडगांव, पानीपत में दस हज़ार करोड़, सिरसा, फ़तेहाबाद और हिसार में भी तीन सौ करोड़, सोनीपत, करनाल में तीन सौ करोड़ का घोटाला हुआ।
सरकार की ओर से जवाब में कहा गया कि डिफॉल्टर व्यापार ियों से 2000 करोड़ रुपए से ज्यादा राशि की वसूली शुरू कर दी गई है। लेकिन सरकार ने मामले की जांच सीबीआई और ईडी को सौंपने से इनकार कर दिया था। इधर, ईडी ने अगस्त में ही इस मामले की एफआईआर दर्ज कर ली थी।