मुंबई : मुम्बई के मीरा रोड स्थित फर्जी कॉल सेंटर घोटाले में आरोपियों के खिलाफ थाने पुलिस ने 5000 पन्नों की चार्जशीट एक विशेष अदालत में दायर कर दी गई है। इस चार्जशीट में कई चौकाने वाले खुलासे हुए हैं। इसमें कहा गया है कि कैसे फर्जी कॉल सेंटर के जरिये ये लोग अमेरिकी राजस्व अधिकारी बनकर लोगों को टैक्स डिफाल्टर बताकर कानूनी कार्रवाई के नाम पर वसूली करते थे। इस मामले में कुछ 82 लोगों को आरोपी बनाया गया है। इस मामले में पीड़ित एक अमेरिकी महिला का कहना है कि इन लोगों ने उसे भी टैक्स डिफॉल्टर बताकर ठगा।
इस फर्जीवाड़ें में स्टाफ मेंबर इतनी साफ अमेरिकी अंग्रेजी बोला करते थे कि लोग उनके झांसे में फंस जाते थे और अपने ऊपर आई मुसीबत से छुटकारा पाने के लिए भारी रकम चुकाने को राजी हो जाते थे। महिला समेत ऐसे 15 हजार अमेरिकी नागरिकों व अन्य देश के लोगों को निशाना बनाकर करीब 300 मीलियन डॉलर का स्कैम किया गया है। चार्जशीट में खा गया है कि इस फर्जी कॉल सेंटर में पहले लड़कों को 10 हाजर से 20 हजार की सैलरी पर रिक्रूट किया जाता था। उन्हें आवाज और भाषा की ट्रेनिंग दी जाती थी। साथ ही उन्हें अमेरिका के राज्यों के नाम एवम अन्य जानकारियां दी जाती थी।
फर्जी कॉल सेंटर की ये है पूरी कहानी
मुंबई पुलिस ने 23 साल के एक ऐसे लड़के का पता लगाया था जिसने अमेरिका के कारोबारियों को एक साल में 500 करोड़ से ज्यादा का चूना लगा दिया। मास्टरमाइंड अहमदाबाद के सागर ठक्कर ने मुम्बई में अपने दोस्तों के साथ मिलकर एक ऐसा फर्जी कॉल सेंटर खड़ा किया जिसने सबसे बड़े टेली फ्रॉड को अंजाम दिया। ठक्कर अमेरिका के टैक्स दाताओं को फर्जी कॉल सेंटर के जरिए ठगता था। पुलिस को 25 साल के विराट मास्टर (सागर का दोस्त जिसे पुलिस ने गिरफ्तार किया है) ने बताया कि वह नालासोपारा से 10वीं तक पढ़ा है और उसके पास कोई नौकरी नही थी और वह वसाई में कार धोने का काम करता था।
विराट ने पुलिस को बताया कि कुछ साल पहले उसे एक कॉल आया जो उसके बचपन के दोस्त सागर ठक्कर का था। सागर ने विराट को उसकी नौकरी और कमाई के बारे में पूछा। विराट ने कहा कि वह महीने 4000 से 5000 हजार रूपये कमा लेता है। इसके बाद दोनों अहमदाबाद में मिलने का फैसला किया। विराट जैसे ही अहमदाबाद पंहुचा रेलवे स्टेशन पर एक मर्सिडीज कार उसे रिसीव करने आयी और विराट को एक फाइव स्टार होटल में ले गई। जहाँ सागर उसका इंतज़ार कर रहा था, दोनों से साथ लंच किया।
जिसके बाद दोनों एक कॉल सेंटर में गए जिसे सागर चलाता था। विराट, सागर की सम्पति और लाइफ स्टाइल देखकर बेहद प्रभावित हुआ और सागर के साथ काम करने को तैयार हो गया। उस वक़्त उस कॉल सेंटर में उसके 6-7 दोस्त काम कर रहे थे। विराट को यहाँ पहले 15 हजार और फिर बाद में 30 हजार रूपये तक सैलरी दी जाती थी।
कैसे करते थे काम
मुम्बई स्थित एक कॉल सेंटर से अमेरिका कॉल की जाती थी और खुद को अमेरिका के 'इंटरनल रेवेन्यू सर्विसेज' के अधिकारी बताया जाता था। यह अमेरिका के टैक्समैन को डराते थे कि उन्होंने टैक्स चोरी की है। इकॉनोमिक टाइम्स की एक रिपोर्ट के अनुसार पॉलिसी को इन लोगों ने बताया कि कई बार 5 हजार डॉलर में बात सेटल हो जाती थी। ये लोग प्री-लोडेड कार्ड्स के जरिए पेमेंट करवाते थे। शिकार हुए लोगों से प्री-लोडेड कैश कार्ड का 16 डिजिट कोड मांगा जाता था। ऑनलाइन ट्रांजेक्शन होती थी और पैसा इन अकाउंट्स में आ जाता था।
इस पूरे खेल में अमेरिका के कुछ लोग भी ठक्कर की मदद कर रहे थे। वह हैकर्स के जरिए फोन नंबर पाते थे और मुंबई के मीरा रोड पर चल रहे कॉल सेंटर तक डिटेल्स आ जाती थीं। 10,000 कॉन्टैक्ट की डीटेल्स लगभग 1 लाख में मिल जाती थीं। सोशल मीडिया के जरिए लोगों को कॉल सेंटर में जॉब का ऑफर दिया जाता था। जॉब फाइनल होने के बाद अमेरिकन इंग्लिश बोलने की ट्रेनिंग दी जाती थी। अमेरिका से जुड़े लोग 70 प्रतिशत पैसा हवाला के जरिए भेजते थे। सागर की बहन रीमा (२७ साल) इनका फाइनांस संभालती थी और सैलरी रजिस्टर को भी देखती थी।
कैसे चढ़े पुलिस के हत्थे?
पुलिस को स्कैम की जानकारी एक पूर्व कर्मचारी ने ही दी। पुलिस ने सूचना के आधार पर छापा मार कॉल सेंटर में काम करने वाले 70 से ज्यादा कर्मचारियों को गिरफ्तार किया है। अमेरिको नागरिकों से करीब 500 करोड़ रुपए ठगे गए थे। अमेरिका की एजेंसियां भी इस स्कैम की जानकारी जुटा रही हैं।