नई दिल्ली: हरियाणा और पंजाब के बीच पानी विवाद सुलझने का नाम नहीं ले रहा। पंजाब कांग्रेस के अध्यक्ष और पूर्व मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह ने अब इस मामले को और भी उलझा दिया है। उन्होने कहा कि एसवाइएल पर पंजाब का हक है और हरियाणा को किसी भी कीमत पर पानी नहीं दिया जाएगा। पंजाब के किसानों और लोगों का सवाल है और कोई हमारे साथ नाइंसाफी या जबरदस्ती नहीं कर सकता है।
उन्होंने कहा कि एसवाइएल का 60 प्रतिशत निर्माण पंजाब की भूमि पर हुआ है और 40 प्रतिशत हिस्सा हरियाणा में है। इस नहर और इसके पानी पर केवल हरियाणा का हक है। पंजाब के हकों को देखते हुए ही उन्होंने लोकसभा की सदस्यता से इस्तीफा दिया है। पंजाब के पास दूसरे राज्यों को देने के लिए अतिरिक्त पानी नहीं है।
पत्रकारों से बातचीत में उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री द्वारा रावी-ब्यास के पानी पर भारत का हक जताया गया है तो ऐसे में ताजेवाला हेड पर भी पंजाब का हक बनता है। उन्होंने कहा, मैं पंजाबियों के हितों की लड़ाई लड़ रहा हूं और उनके साथ किसी हालत में खिलवाड़ नहीं होने दूंगा।
उन्होंने नोटबंदी के फैसले पर हमला बोलते हुए कहा कि सरकार ने इसकी कोई तैयारी नहीं की और आनन-फानन में फैसला ले लिया। सरकार के इस फैसले से सबसे ज्यादा परेशानी गरीब व आमजन को उठानी पड़ रही है। भाजपा नेताओं व अधिकारियों को पहले ही नोटबंदी के बारे में जानकारी थी। कोई भी भाजपा नेता व अधिकारी नोट बदलवाने के लिए लाइन में नहीं लगा। उन्होंने दावा किया कि आगामी विधानसभा चुनाव में कांग्रेस पंजाब में जीत दर्ज करेगी।