नवमं सिद्धिदात्री आश्विन शुक्ल नवमी – नवम नवरात्र – भगवती के सिद्धिदात्री रूप
नमस्कार ! स्वागत है कर्म सिद्धि भाग्य वृद्धि में आपका... अभी भगवती के नौ रूपों की उपासना के
षष्ठं कात्यायनी विद्यासु शास्त्रेषु विवेकदीपेषु वाद्येषु वाक्येषु च का त्वदन्
माँ दुर्गा की उपासना केलिए पूजन सामग्री साम्वत्सरिक नवरात्र चल रहे हैंऔर समूचा हिन्दू समाज माँ भगवती के नौ रूपों की पूजा अर्चना में बड़े उत्साह,श्रद्धा और आस्था के साथ लीन है | इस अवसर पर कुछ मित्रों के आग्रह पर माँ दुर्गाकी उपासना में जिन वस्तुओं का मुख्य रूप से प्रयोग होता है उनके विषय में लिखनाआरम
माँ दुर्गा की उपासना केलिए पूजन सामग्री - नारियल साम्वत्सरिक नवरात्र चल रहे हैंऔर समूचा हिन्दू समाज माँ भगवती के नौ रूपों की पूजा अर्चना में बड़े उत्साह,श्रद्धा और आस्था के साथ लीन है | इस अवसर पर कुछ मित्रों के आग्रह पर माँ दुर्गाकी उपासना में जिन वस्तुओं का मुख्य रूप से प्रयोग होता है उनके विषय मे
माँ दुर्गा की उपासना के लिए पूजन सामग्रीसाम्वत्सरिकनवरात्र आरम्भ हो चुके हैं | इस अवसर पर नौ दिनों तक माँ भगवती के नौ रूपों कीपूजा अर्चना की जाती है | कुछ मित्रों ने आग्रह किया था कि माँ दुर्गा की उपासनामें जिन वस्तुओं का मुख्य रूप से प्रयोग होता है उनके विषय में कुछ लिखें | तो, सबसे पहले तो बतानाचा
माँ दुर्गा के पूजन की विधिआजचैत्र शुक्ल प्रतिपदा के साथ ही नवसंवत्सर का आरम्भ हुआ है और माँ भगवती की उपासनाका पर्व नवरात्र आरम्भ हो चुके हैं | सभी को हिन्दू नव वर्ष तथा साम्वत्सरिकनवरात्रों की हार्दिक शुभकामनाएँ...कुछमित्रों का आग्रह है कि नवरात्रों में माँ भगवती की उपासना की विधि तथा उसमेंप्रयुक्त
नवमनवरात्र – देवी के सिद्धिदात्री तथा अन्नपूर्णा रूपों की उपासनारविवार 25 अक्तूबर को आश्विन शुक्लनवमी तिथि है – नवम तथा अन्तिम नवरात्र – देवी के सिद्धिदात्री रूप की उपासना –दुर्गा विसर्जन | नवमी तिथि का आरम्भ शनिवार को हो जाएगा लेकिन सूर्योदय से लगभगचौंतीस मिनट के बाद
अष्टमनवरात्र – देवी के महागौरी रूप की उपासना के लिए कुछ मन्त्र या श्री: स्वयं सुकृतीनाम् भवनेषु अलक्ष्मी:, पापात्मनां कृतधियांहृदयेषु बुद्धि: |श्रद्धा सतां कुलजनप्रभवस्य लज्जा, तां त्वां नताः स्म परिपालय देविविश्वम् ||शनिवार 24 अक्तूबर - आश्विन शुक्लअष्टमी - देवी के अष्टम रूप महागौरी की उपासना का दि
सप्तम नवरात्र – देवी केकालरात्रि रूप की उपासनात्रैलोक्यमेतदखिलं रिपुनाशनेन त्रातंसमरमूर्धनि तेSपि हत्वा ।नीता दिवं रिपुगणाभयमप्यपास्तमस्माकमुन्मदसुरारि भवन्न्मस्ते ।।कल आश्विन शुक्ल सप्तमी – सप्तमनवरात्र – माँ भगवती के सप्तम रूप कालरात्रि की उपासना का दिन | सबका अन्त करनेवाले काल की भी रात्रि अर्थात
नवरात्रों में कन्या पूजन की प्रासंगिकता आजसभी ने माँ भगवती के छठे रूप – स्कन्दमाता – की उपासना की | शारदीय नवरात्र हों याचैत्र नवरात्र – माँ भगवती को उनके नौ रूपों के साथ आमन्त्रित करके उन्हें स्थापितकिया जाता है और फिर अन्तिम इन कन्या अथवा कुमारी पूजन के साथ उन्हें विदा कियाजाता है | कन्या पूजन किय
पञ्चम नवरात्र – देवी के स्कन्दमाता रूप की उपासना केलिए मन्त्रसौम्या सौम्यतराशेष सौम्येभ्यस्त्वति सुन्दरी,परापराणां परमा त्वमेव परमेश्वरी |कल आश्विन शुक्ल पञ्चमी – पञ्चमनवरात्र – देवी के पञ्चम रूप की उपासना - स्कन्दमाता रूप की उपासना - देवी कापञ्चम स्वरूप स्कन्दमाता के रूप में जाना जाता है और नवरात्र
तृतीय नवरात्र - देवी के चंद्रघंटा रूप की उपासनादेव्या यया ततमिदं जगदात्मशक्त्या,निश्शेषदेवगणशक्तिसमूहमूर्त्या |तामम्बिकामखिलदेवमहर्षिपूज्यां भक्त्यानताः स्म विदधातु शुभानि सा नः ||कल आश्विन शुक्ल तृतीया है – तीसरा नवरात्र - देवी केचन्द्रघंटा रूप की उपासना का दिन | चन्द्रःघंटायां यस्याः सा चन्द्रघंटा
द्वितीया ब्रह्मचारिणीनवदुर्गा– द्वितीय नवरात्र - देवी के ब्रह्मचारिणी रूप की उपासनाकल आश्विन शुक्लद्वितीया – दूसरा नवरात्र – माँ भगवती के दूसरे रूप की उपासना का दिन | देवी कादूसरा रूप ब्रह्मचारिणी का है – ब्रह्म चारयितुं शीलं यस्याः सा ब्रह्मचारिणी – अर्थात् ब्रह्मस्वरूप की प्राप्ति करना जिसका स्वभा
नवरात्रों में घट स्थापना और जौ उगाना कल आश्विनशुक्ल प्रतिपदा यानी शनिवार 17 अक्तूबर से समस्त हिन्दू समाज माँ भगवती की पूजा अर्चना के नव दिवसीयउत्सव शारदीय नवरात्र के आयोजनों में तल्लीन हो जाएगा | सर्वप्रथम सभी को शारदीयनवरात्रों की हार्दिक शुभकामनाएँ...इसवर्ष आश्विन शुक्ल प्रतिपदा – प्रथम नवरात्
शारदीय नवरात्र 2020 की तिथियाँ (कैलेण्डर)आश्विन शुक्ल प्रतिपदा यानी 17 अक्तूबर शनिवार से शारदीय नवरात्र आरम्भ होने जा रहेहैं | यों पितृविसर्जनी अमावस्या यानी महालया के दूसरे दिन से शारदीय नवरात्रों काआरम्भ हो जाता है | महालया अर्थात पितृविसर्जनी अमावस्या को श्राद्ध पक्ष का समापन होजाता है | महालया क
नवमनवरात्र – देवी के सिद्धिदात्री तथा अन्नपूर्णा रूपों की उपासनाकल चैत्र शुक्लनवमी तिथि है – चैत्र शुक्ल नवरात्र का नवम तथा अन्तिम नवरात्र – देवी केसिद्धिदात्री रूप की उपासना – दुर्गा विसर्जन | यों तो देवी के समस्त रूप हीसिद्धिदायक हैं – यदि पूर्ण भक्ति भाव और निष्ठा पूर्वक उपासना की जाए | किन्तु जै
अष्टमनवरात्र – देवी के महागौरी रूप की उपासना के लिए कुछ मन्त्र या श्री: स्वयं सुकृतीनाम् भवनेषु अलक्ष्मी:, पापात्मनां कृतधियांहृदयेषु बुद्धि: |श्रद्धा सतां कुलजनप्रभवस्य लज्जा, तां त्वां नताः स्म परिपालय देविविश्वम् ||देवी का आठवाँ रूप है महागौरी का | माना जाता हैकि महान तपस्या करके इन्होंने अत्यन्त
सप्तम नवरात्र – देवी केकालरात्रि रूप की उपासनात्रैलोक्यमेतदखिलं रिपुनाशनेन त्रातंसमरमूर्धनि तेSपि हत्वा ।नीता दिवं रिपुगणाभयमप्यपास्तमस्माकमुन्मदसुरारि भवन्न्मस्ते ।।देवी का सातवाँ रूप कालरात्रि है | सबका अन्त करने वाले कालकी भी रात्रि अर्थात् विनाशिका होने के कारण इनका नाम कालरात्रि है | इस रूप में