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नवरात्र

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छठानवरात्र – देवी के कात्यायनी रूप की उपासनाविद्यासु शास्त्रेषु विवेकदीपेषुवाद्येषु वाक्येषु च का त्वदन्या |ममत्वगर्तेSतिमहान्धकारे,विभ्रामत्येतदतीव विश्वम् ||कल षष्ठी तिथि– छठा नवरात्र – समर्पित है कात्यायनी देवी की उपासना के निमित्त | देवी के इस रूपमें भी इनके चार हाथ माने जाते हैं और माना जाता है

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चतुर्थ नवरात्र – देवी के कूष्माण्डारूप की उपासनाया देवी सर्वभूतेषु शान्तिरूपेण संस्थिता, नमस्तस्यैनमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नमः |कल चतुर्थनवरात्र है - चतुर्थी तिथि – माँ भगवती के कूष्माण्डा रूप की उपासना का दिन | इसदिन कूष्माण्डा देवी की पूजा अर्चना की जाती है | देवी कूष्माण्डा - सृष्टि कीआदिस्वरूपा आ

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तृतीय नवरात्र - देवी के चंद्रघंटा रूपकी उपासनादेव्या यया ततमिदं जगदात्मशक्त्या,निश्शेषदेवगणशक्तिसमूहमूर्त्या |तामम्बिकामखिलदेवमहर्षिपूज्यां भक्त्यानताः स्म विदधातु शुभानि सा नः ||कल आश्विन शुक्ल तृतीया है – तीसरा नवरात्र - देवी केचन्द्रघंटा रूप की उपासना का दिन | चन्द्रःघंटायां यस्याः सा चन्द्रघंटा

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द्वितीया ब्रह्मचारिणीनवदुर्गा– द्वितीय नवरात्र - देवी के ब्रह्मचारिणी रूप की उपासनाकल चैत्र शुक्लद्वितीया – दूसरा नवरात्र – माँ भगवती के दूसरे रूप की उपासना का दिन | देवी कादूसरा रूप ब्रह्मचारिणी का है – ब्रह्म चारयितुं शीलं यस्याः सा ब्रह्मचारिणी – अर्थात् ब्रह्मस्वरूप की प्राप्ति करना जिसका स्वभाव

चैत्र नवरात्र 2020 की तिथियाँबुधवार 25 मार्चको चैत्र शुक्ल प्रतिपदा से घट स्थापना तथा माँ दुर्गा केप्रथम स्वरूप “शैलपुत्री” की उपासना के साथ ही चैत्र नवरात्र या वासन्तिक नवरात्रया साम्वत्सरिक नवरात्र के रूप में माँ भवानी के नवरूपों की पूजा अर्चना आरम्भ होजाएगी और इसी के साथ आरम्भ हो जाएगा "प्रमादी"

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नवमंसिद्धिदात्रीनवदुर्गा– नवम नवरात्र – देवी के सिद्धिदात्री तथा अन्नपूर्णा रूपों की उपासनाकल चैत्र शुक्लनवमी तिथि है – चैत्र शुक्ल नवरात्र का नवम तथा अन्तिम नवरात्र – देवी केसिद्धिदात्री रूप की उपासना – दुर्गा विसर्जन | यों तो देवी के समस्त रूप हीसिद्धिदायक हैं – यदि पूर्ण भक्ति भाव और निष्ठा पूर्व

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नवरात्र और कन्या पूजनशारदीय नवरात्र हों या चैत्र नवरात्र – माँ भगवती को उनके नौ रूपोंके साथ आमन्त्रित करके उन्हें स्थापित किया जाता है और फिर कन्या अथवा कुमारी पूजनके साथ उन्हें विदा किया जाता है | कन्या पूजन किये बिना नवरात्रों की पूजा अधूरीमानी जाती है | प्रायः अष्टमी और नवमी को कन्या पूजन का विधा

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अष्टमंमहागौरी नवदुर्गा– अष्टम नवरात्र – देवी के महागौरी रूप की उपासनाया श्री: स्वयं सुकृतीनाम् भवनेषु अलक्ष्मी:, पापात्मनां कृतधियांहृदयेषु बुद्धि: |श्रद्धा सतां कुलजनप्रभवस्य लज्जा, तां त्वां नताः स्म परिपालय देविविश्वम् ||देवी का आठवाँ रूप है महागौरी का | माना जाता हैकि महान तपस्या करके इन्होने अत

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सप्तम कालरात्रि नवदुर्गा – सप्तम नवरात्र –देवी के कालरात्रि रूप की उपासनात्रैलोक्यमेतदखिलं रिपुनाशनेन त्रातंसमरमूर्धनि तेSपि हत्वा ।नीता दिवं रिपुगणाभयमप्यपास्तमस्माकमुन्मदसुरारि भवन्न्मस्ते ।।देवी का सातवाँ रूप कालरात्रि है | सबका अन्त करने वाले कालकी भी रात्रि अर्थात् विनाशिका होने के कारण इनका ना

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षष्ठंकात्यायनी नवदुर्गा– छठा नवरात्र – देवी के कात्यायनी रूप की उपासनाविद्यासु शास्त्रेषु विवेकदीपेषुवाद्येषु वाक्येषु च का त्वदन्या |ममत्वगर्तेSतिमहान्धकारे,विभ्रामत्येतदतीव विश्वम् ||षष्ठी तिथि –छठा नवरात्र – समर्पित है कात्यायनी देवी की उपासना के निमित्त | देवी के इस रूपमें भी इनके चार हाथ माने ज

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पंचमा स्कन्दमाता नवदुर्गा – पञ्चम नवरात्र – देवीके स्कन्दमाता रूप की उपासना सौम्या सौम्यतराशेष सौम्येभ्यस्त्वतिसुन्दरी, परापराणां परमा त्वमेव परमेश्वरी |पञ्चमस्कन्दमातेति – देवी का पञ्चम स्वरूप स्कन्दमाता के रूप में जाना जाता है औरनवरात्र के पाँचवें दिन माँ दुर्गा के इसी स्वरूप की उपासना की जाती है।

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कूष्माण्डेतिचतुर्थकम्नवदुर्गा - चतुर्थ नवरात्र –देवी के कूष्माण्डा रूप की उपासनाया देवी सर्वभूतेषु शान्तिरूपेण संस्थिता, नमस्तस्यैनमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नमः |आज चतुर्थनवरात्र है - चतुर्थी तिथि – माँ भगवती के कूष्माण्डा रूप की उपासना का दिन | इसदिन कूष्माण्डा देवी की पूजा अर्चना की जाती है | बहुत से

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तृतीया चंद्रघंटा नवदुर्गा – तृतीय नवरात्र- देवी के चंद्रघंटा रूप की उपासनादेव्या यया ततमिदं जगदात्मशक्त्या,निश्शेषदेवगणशक्तिसमूहमूर्त्या |तामम्बिकामखिलदेवमहर्षिपूज्यां भक्त्यानताः स्म विदधातु शुभानि सा नः ||कल आश्विन शुक्ल तृतीया है – तीसरा नवरात्र - देवी केचन्द्रघंट

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द्वितीया ब्रह्मचारिणीनवदुर्गा– द्वितीय नवरात्र - देवी के ब्रह्मचारिणी रूप की उपासनाचैत्र शुक्ल द्वितीया– दूसरा नवरात्र – माँ भगवती के दूसरे रूप की उपासना का दिन | देवी का दूसरा रूप ब्रह्मचारिणी का है – ब्रह्म चारयितुं शीलं यस्याः सा ब्रह्मचारिणी – अर्थात् ब्रह्मस्वरूप की प्राप्ति करना जिसका स्वभाव ह

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प्रथम नवरात्र - देवी के शैलपुत्री रूपकी उपासनाआज सभी नेविधि विधान और सम्मानपूर्वक अपने पितृगणों को “पुनः आगमन” की प्रार्थना के साथविदा किया है और कल चैत्र शुक्ल प्रतिपदा से कलश स्थापना के साथ ही वासन्तिक नवरात्रोंका आरम्भ हो जाएगा | भारतीय दर्शन की “प्रसीद विश्वेश्वरी पाहि विश्वं” की उदात्त भावना के

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शरद् नवरात्रि की तिथियाँ शनिवार 28 सितम्बर - आश्विन कृष्ण अमावस्या – महालयाके नाम से भी जिसे जाना जाता है - हम सभी अपने समस्त पितृगणों को श्रद्धापूर्वकविदा करेंगे – इस निवेदन के साथ कि हमारा आतिथ्य स्वीकार करने इसी प्रकार आतेरहेंगे और अपना आशीर्वाद हम पर सदा बनाए रखेंगे | उसके दूसरे दिन यानी रविवार

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नवरात्रोंमें घट स्थापना आश्विन शुक्ल प्रतिपदा यानी 29 सितम्बर रविवार से समस्त हिन्दू सम्प्रदाय में हर घर में माँ भगवती कीपूजा अर्चना का नव दिवसीय उत्सव शारदीय नवरात्र के रूप में आरम्भ हो जाएगा |सर्वप्रथम सभी को शारदीय नवरात्रों की हार्दिक शुभकामनाएँ...भारतीय वैदिक परम्परा के अनुसार किसीभी धार्मिक

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नवरात्रोंमें कन्या पूजन हमारे लेख के शीर्षक से सम्भव है आपकोलगे कि हम कन्या पूजन की विधि लिख रहे हैं | लेकिन उसकी आवश्यकता इसलिए नहीं है किसभी अपने अपने परिवार की परम्परा के अनुसार कन्याओं का पूजन करते हैं | हमारा इसलेख को लिखने के का मन्तव्य कुछ और ही है |कुछ आवश्यक कार्यों में व्यस्त होनेके कारण क

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नवदुर्गा– नवम नवरात्र – देवी के सिद्धिदात्री रूप की उपासनाकल चैत्र शुक्लनवमी तिथि है – चैत्र शुक्ल नवरात्र का नवम तथा अन्तिम नवरात्र – देवी केसिद्धिदात्री रूप की उपासना – दुर्गा विसर्जन | यों तो देवी के समस्त रूप ही सिद्धिदायकहैं – यदि पूर्ण भक्ति भाव और निष्ठा पूर्वक उपासना की जाए | किन्तु जैसा कि

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नवदुर्गा– अष्टम नवरात्र – देवी के महागौरी रूप की उपासनाआज दोपहर एक बजकर चौबीस मिनट से कल प्रातः ग्यारहबजकर बयालीस मिनट तक अष्टमी तिथि है और उसके बाद नवमी तिथि आ जाएगी | इस प्रकार कलसूर्योदय काल में अष्टमी तिथि होने के कारण कल ही माँ भगवती के महागौरी रूप कीउपासना के साथ अष्टम नवरात्र की पूजा होगी | य

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