मैं फिर कहता हूँ
धर्म नहीं रहेगा, तो कुछ नहीं रहेगा
मगर मेरी
कोई नहीं सुनता!
हस्तिनापुर में सुनने का रिवाज नहीं
जो सुनते हैं
बहरे हैं या
अनसुनी करने के लिए
नियुक्त किए गए हैं
मैं फिर कहता हूँ
धर्म नहीं रहेगा, तो कुछ नहीं रहेगा
मगर मेरी
कोई नहीं सुनता
तब सुनो या मत सुनो
हस्तिनापुर के निवासियो! होशियार!
हस्तिनापुर में
तुम्हारा एक शत्रु पल रहा है, विचार
और याद रखो
आजकल महामारी की तरह फैल जाता है
विचार।