डोम मणिकर्णिका से अक्सर कहता है,
दु:खी मत होओ
मणिकर्णिका
दु:ख तुम्हें शोभा नहीं देता
ऐसे भी श्मशान हैं
जहाँ एक भी शव नहीं आता
आता भी है,
तो गंगा में
नहलाया नहीं जाता
डोम इसके सिवा कह भी
क्या सकता है
एक अकेला
डोम ही तो है
मणिकर्णिका में अकेले
रह सकता है
दु:खी मत होओ, मणिकर्णिका,
दु:ख मणिकर्णिका के
विधान में नहीं
दु:ख उनके माथे है
जो पहुँचाने आते हैं
दु:ख उसके माथे था
जिसे वे छोड़ चले जाते हैं
भाग्यशाली हैं, वे
जो लदकर या लादकर
काशी आते हैं
दु:ख
मणिकर्णिका को सौंप जाते हैं
दु:खी मत होओ
मणिकर्णिका,
दु:ख हमें शोभा नहीं देता
ऐसे भी डोम हैं
शव की बाट जोहते
पथरा जाती हैं जिनकी आँखें,
शव नहीं आता
इसके सिवा डोम कह भी क्या सकता है!