
नई दिल्लीः देश की प्रतिष्ठित कंपनी टाटा के चेयरमैन पद से सायरस मिस्त्री को हटाए जाने को लेकर बड़ा खुलासा हुआ है। हरियाणा के बहादुरगढ़ में हाउसिंग प्रोजेक्ट में कस्टमर को चूना लगाने का खेल खेला गया। एमडी के स्तर से प्रोजेक्ट मैनेजर को जारी मेल में सेल एरिया बढ़ाकर धांधली की गई। हिडेन कैमरे पर कंपनी के तत्कालीन जीएम और बहादुरगढ़ हाउसिंग प्रोजेक्ट हेड रहे नित्यानंद सिन्हा ने कई राज उगल दिए। उन्होंने बताया कि कैसे इस हाउसिंग प्रोजेक्ट में नियमों को ठेंगा दिखाया गया। जब उन्होंने कंपनी की प्रतिष्ठा की दुहाई दी तो सायरस मिस्त्री के कहने पर जीएम पद से हटा दिया गया। दरअसल इंडिया संवाद ने नित्यानंद सिन्हा से संपर्क कर उन्हें बहादुरगढ़ प्रोजेक्ट से हटाए जाने का कारण जानने की कोशिश की मगर वे कुछ भी बोलने से इन्कार करते रहे। मगर बाद में हिडेन कैमरे पर उन्होंने बहादुरगढ़ प्रोजेक्ट की धांधली को लेकर सारे राज उगल दिए।
कस्टमर को चूना लगा रहे थे सायरस
टाटा के बहादुरगढ़ प्रोजेक्ट के जीएम रहे नित्यानंद सिन्हा ने हिडेन कैमरे पर कहा कि बहादुरगढ़ हाउसिंग प्रोजेक्ट में धांधली चल रही थी। ऊपर से मेल आया था कि सेल एरिया बढ़ा दो। कस्टमर को घाटा होगा तो कंपनी को फायदा होगा। इस पर जब उन्होंने मेल कर इसे कस्टमर के साथ धोखाधड़ी और टाटा जैसी कंपनी की प्रतिष्ठा से खिलवाड़ बताया तो उन्हें पिछले साल जून 2015 में टर्मिनेट कर दिया गया।
सायरस मिस्त्री ने शिकायत की अनसुनी
नित्यानंद सिन्हा हिडेन कैमरे पर कहते हैं कि उन्होंने कई बार सायरस मिस्त्री को बहादुरगढ़ हाउसिंग प्रोजेक्ट में हो रही धांधली को लेकर शिकायत की मगर उन्होंने अनसुनी कर दी। इससे उनकी संलिप्तता से इन्कार नहीं किया जा सकता। रतन टाटा ने चेयरमैन पद से साइरस मिस्त्री को हटाने की जो कार्रवाई की है, उसमें यह भी एक फैक्टर है। हालांकि सायरस मिस्त्री की कंपनी से विदाई में एक कारण टेलीकॉम कंपनी एनटीटी डोकोमो से संधि उल्लंघन का भी रहा, जिसमें टाटा को लंदन में कोर्ट ने 1.17 अरब का हर्जाना झेलना पड़ा।