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हिम्मत

24 सितम्बर 2021

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मैंने मुस्कुराना छोड़ दिया दिल लगाना छोड़ दिया
 कहते है सब मुझको पागल मैने पागलपन छोड दिया
 साथी बनाया कलम को हमराज़ कागज़ को बना लिया
 करके हिम्मत आज मैंने खुद का ख्वाब सजा लिया 
इस इश्क़ के सहारे जीवन अपना बना लिया
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रचनाएँ
पतझड़ आने वाला है
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पतझड़ आने वाला है उसका इंतजार क्यों    आने से पहले उसके क्यों न जी लू मैं पतझड़ के बाद तो झड़ जाना है मुझे   तो अभी क्यों न खिलखिलाऊँ मैं लहर लहर के क्यों न लहराऊँ मैं    पतझड़ आने वाला है तो क्यों न गीत गाऊं मैं भंवरों की तरह क्यों न गुनगुनाऊँ मैं   रस पी के कलियों को क्यों न एहसास कराऊँ मैं जीवन है अनमोल क्यों न हस के गुज़ार जाऊं मैं   पतझड़ आने वाला है क्यों न जी जाऊं मैं

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