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काश

14 अक्टूबर 2021

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मुझे छुआ उसने जब प्यार से
कसम से लगा जन्नत मिल गई
मेरे प्यार की इंतहा देखी उसने
बोला वो मुझे जिंदगी मिल गई
मेरी मोहब्बत का इल्म न था उसे
जब मिली उसे हमारी जिंदग बन गई
वो कश्ती वो किनारे मिल गए
वो सांझ से सूरज मिल गए
वो अनकहे लफ्ज़ कागज़ पर उतर गए
वो प्यार के अनकहे पर दिल को
छूने वाले सकूँ भरे लम्हे बन गए



एक एहसास प्यार का जो कभी खत्म न हो और दिल में दब जाता है वो कागज़ पर उतारने की एक छोटी सी कोशिश की है
अदिति..


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रचनाएँ
पतझड़ आने वाला है
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पतझड़ आने वाला है उसका इंतजार क्यों    आने से पहले उसके क्यों न जी लू मैं पतझड़ के बाद तो झड़ जाना है मुझे   तो अभी क्यों न खिलखिलाऊँ मैं लहर लहर के क्यों न लहराऊँ मैं    पतझड़ आने वाला है तो क्यों न गीत गाऊं मैं भंवरों की तरह क्यों न गुनगुनाऊँ मैं   रस पी के कलियों को क्यों न एहसास कराऊँ मैं जीवन है अनमोल क्यों न हस के गुज़ार जाऊं मैं   पतझड़ आने वाला है क्यों न जी जाऊं मैं

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