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लहरतारा

विमल चंद्र पांडेय

2 अध्याय
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2 पाठक
27 मार्च 2023 को पूर्ण की गई
ISBN : 978-9392820595
ये पुस्तक यहां भी उपलब्ध है Amazon

बनारस के एक छोटे से मोहल्ले में बड़ा होता एक लड़का घर के माहौल से ऊब कर संतों की संगति में बैठने लगता है और दुनिया देखने का उसका नज़रिया बदलने लगता है। वो बड़ा होकर लेखक बनना चाहता है और इस सपने को जीते हुए वह बचपन की दोस्तियों और जवानी के प्यार से रूबरू होता है। बनारस की बिंदास दोस्ती और मोहल्ले का प्रेम उसकी ज़िन्दगी में आकर कैसे उसे बदलता है और वो कैसे आज के समय के सबसे बड़े हादसे से गुज़रता है यानी भीड़ से घिरे होने के बावजूद अकेला पड़ जाना, इसी की कहानी है लहरतारा। चुटीली भाषा में बनारसी छौंक के साथ अपने समय का मनोवैज्ञानिक विश्लेषण इसको ख़ास बनाता है। 

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ज़िंदगी की वास्तविकता को जीती पुस्तक


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बनारस की बिंदास दोस्ती और मोहल्ले का प्रेम उसकी ज़िन्दगी में आकर कैसे उसे बदलता है और वो कैसे आज के समय के सबसे बड़े हादसे से गुज़रता है यानी भीड़ से घिरे होने के बावजूद अकेला पड़ जाना, इसी की कहानी है लहरतारा। चुटीली भाषा में बनारसी छौंक के साथ अपने समय का मनोवैज्ञानिक विश्लेषण इसको ख़ास बनाता है।


"लहरतारा" उपन्यास ने मेरे मनोबल को बुलंदियों पर पहुँचा दिया। विमल चंद्र पांडे ने अपनी कहानी के माध्यम से समाज की हृदय विदारक समस्याओं को अद्भुत ढंग से प्रस्तुत किया है ।

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