उस लडके ने अपनी आंखों पर से गोगल्स हटाए और रीत को ऊपर से नीचे तक देखते हुए मन में कहा " यही वो लडकी है , लेकिन इस तरह सडक पर दर्शन देने का क्या मतलब ? सजना संवरना तो दूर की बात इसे तो ये भी हो नही पता एक कान में झुमके है और दूसरे में नही । लेकिन कुछ भी कहो सुंदर तो है ये । " उस लडके ने देखा पीछे उसके मम्मी पापा की कार आ रही थी । उनके रूकते ही लडके ने रीत की ओर देखकर कहा " मम्मी लड़की ओके है ....... मुझे बहुत पसंद आई । इससे शादी की डेट फिक्स कर दीजिए । " उसके मूंह से ये सुनते ही रीत की आंखें हैरानी से बडी हो गई । वही रूहान ने जब ये सुना तो उसके काम करते हाथ रूक गए ।
उसके लड़के ने एक बडी सी स्माइल के साथ रीत से कहा " सॉरी आपको बहन जी कहने के लिए । नाउ यूं आर माय डार्लिंग चलो आपके घर चलकर बात करते है । "
" अरे नहीं ..... नही ..... नही .... मैं आपसे यहां जरुरी बात करने आई थी । वो मैं ....... वो मैं आपसे शादी नही कर सकती । दरअसल मैं किसी और से प्यार करती हूं । " रीत ने जैसे ही ये कहा नट बोल्ट टाइट कर रहे रूहान के हाथ सख़्त हो गए । वो उसे और ज्यादा कसने के बाद उठकर खडा हो गया ।
वही रीत चेहरे पर मासूमियत लिए अपना नाटक जारी रखते हुए आगे बोली " जी हां मैं सच कह रही हूं । मैं जिनसे प्यार करती हूं वो एक ड्राइवर है । " ये कहते हुए रीत ने रूहान की तरफ उंगली कर इशारा किया । उस लडके ने रूहान की ओर देखा और रूहान चेहरे पर बिना किसी भाव के अपनी गाडी से टिककर खडा था । रीत मगरमच्छ के आंसू आंखों में लातो हुए रूहान की ओर अपने क़दम बढ़ाते हुए बोली " हम दोनों एक दूसरे से बहुत प्यार करते हैं , लेकिन हमारे घरवाले हमारे प्यार के खिलाफ है । इसलिए वो हमे अलग करने के लिए जबरदस्ती मेरी शादी करवाने की कोशिश कर रहें है । " ये सब कहते हुए रीत रूहान के पास चली आई । इस वक्त उसके दोनों हाथ रूहान के सीने पर थे । वो धीरे से बोली " अपनी बदतमीजी के लिए हम माफ़ी मांगते हैं । प्लीज हमारे नाटक में हमारा साथ दे दीजिए । ये लडका मुझे देखने के लिए आया है , लेकिन मुझे इससे शादी नही करनी । बस कुछ देर की बात है प्लीज ........
रूहान ने कुछ नहीं कहा । वो बस बिना किसी भाव के रीत के चेहरे की ओर देख रहा था । रीत पीछे की ओर पलटी और रूहान की बांह पकड आगे बोली " हम दोनों एक दूसरे के बिना नहीं जी पाएंगे । वैस भी हम ...... हम इनके बच्चे की मां बनने वाले है । " इतना कहकर रीत ने अपना चेहरा रूहान के सीने में छुपा लिया । इस बार रूहान की आंखें हैरानी से बडी हो गई । जिस लडकी से मिले उसे आधा घंटा नही बीता । उसने सबके सामने उसे अपने बच्चे का बाप बना दिया ।
रीत ने अपना चेहरा उठाया और रोते हुए अपने दोनों हाथ जोड उस लडके की ओर देखकर बोली " प्लीज हमें अलग मत कीजिए । हमारा छोटा सा संसार जो अभी सही ढंग से बसा भी नही उसे अपने हाथों से बर्बाद मत कीजिए । "
उस लडके ने मायूसी से अपना सिर नीचे कर लिया और पीछे गाडी में बैठे अपने पैरेंट्स को आवाज लगाते हुए कहा " मम्मी शादी कैसल लडकी ऑल रेडी बुक हो चुकी है । वो लडका रीत और रूहान के पास चला आया । उसने उन दोनों की ओर देखकर कहा " आप दोनों की जोडी सुपर्ब है । हां तो सिस्टर ........ उसके ये कहते ही रीत ने अपनी आंखें छोटी की तो वो लडका आगे बोला " अपनी आंखों को नार्मल कर लो । वैसे भी तुम्हारे लिए यही वर्ड सही रहेंगा । सिस्टर मैं यहां अपने लिए दुल्हन देखने आया था । अब मुझे क्या पता था बाय वन गेट वन वाला ऑफर चल रहा होगा और साथ ही मुफ्त का बच्चा भी मुझे मिलेगा । तुम्हें खोने का गम तो है खैर जाने दो । मैं अपने लिए कोई और ढूंढ लूगा । ....... वैसे भाई साहब आपका शुभ नाम क्या है ? " उस लडके ने रूहान की ओर देखकर पूछा ? रूहान ने कोई जवाब नहीं दिया ।
उस लड़के ने अपने मन में कहा " अकडु कही का एक नाबालिग को मां बना दिया और अकडकर ऐसे खडा है जैसे कितना बडा महान काम किया हो । "
रीत ने बात को संभालते हुए कहा " जी वो बोल नहीं सकते । " उसके ये कहते ही वो लडका हैरान होकर फिर से रूहान की ओर देखने लगा । उसने फिर से मन में कहा " ये बोल नहीं सकता और लड़की है की चुप होने का नाम नहीं लेती । व्हाट अ सेड स्टोरी सचमुच मेरी आंखों भर आई । "
उसने रीत की ओर देखकर कहा " ओके सिस्टर मैं मैं तुम लोगों के रास्ते में नही आऊगा । " इतना कहकर वो जैसे ही जाने के लिए पलटा तो रीत ने उसे टोकते हुए कहा " जरा सुनिए ....... "
" जी अब क्या सुनाना बाकी है । " उस लडके ने पलटकर कहा ।
" प्लीज आप इस बारे मैं हमारे घरवालों को मत बताइएगा वरना वो हमे जान से मार डालेंगे । " ........ रीत कह ही रही थी कि तभी उस लड़के ने उसे टोकते हुए कहा " यूं डोंट वरी सिस्टर उनके सामने कौन सा ड्रामा करना है वो तुम मुझपर झोड दो । " इतना कहकर उस लड़के ने आंखों पर चश्मा चढाया और वहां से अपनी गाडी में बैठकर वापस लौट गया ।
रीत की खुशी का तो ठिकाना नही रहा । वो बच्चों की तरह उछलकर बोली " यस ...... मैंने कर दिखाया । " ये कहते हुए जब उसकी नज़र रूहान पर पडी तब वो झेंप गई । उसने रूहान के पास आकर कहा " थैंक्यू मेरी मदद करने के लिए । " इतना कहकर रीत अपनी बाइक के पास चली आई । रूहान ने अपना सारा सामान वापस से डिकी में डाला और गाडी स्टार्ट करने लगा । लेकिन कई कोशिशों के बाद भी गाडी स्टार्ट नही हुई । उसने गुस्से से अपना हाथ स्टेयरिंग पर मारते हुए मन में कहा " अब ये कौन नई मुसीबत आ गई । "
इधर रीत की नज़र उसपर पडी , तो उसे समझने में देर नहीं लगी की उसकी गाडी खराब हो गई है । उसने रूहान को आवाज लगाते हुए कहा " हल्लो मिस्टर अगर आपको कुछ मदद चाहिए तो मैं कर सकती हूं । यहां से थोडी हूं दूरी पर गैराज है अगर पैदल जाएंगे तो आधा घंटा लगेगा । मेरे साथ चलना है तो चलिए दस मिनट में पहुंच जाएंगे । वैसे भी रीत प्रताप सिंह किसी का एहसान नही रखती , आपने मेरी मदद की मैं आपकी कर देती हूं । " उसके ये कहने पर रूहान ने उसकी ओर देखा " मतलब मैं सही था यही है अभय प्रताप सिंह की बेटी । " ये सोचते हुए रूहान गाडी से बाहर आया और रीत की ओर क़दम बढाने लगा । रीत बाइक पर बैठ चुकी थी । उसने रूहान की ओर देखकर कहा " जल्दी से बैठिए , मुझे देखकर डरने की जरूरत नहीं है .......... लडकी हूं तो क्या हुआ बाइक अच्छा चला लेती हूं आपको गिराऊगी नही । " रूहान बिना कुछ बोले उसके पीछे आकर बैठ गया । रीत ने बाइक स्टार्ट करते हुए कहा " पीछे वाली सीट को पकड लीजिए लेकिन मुझे हाथ मत लगाइएगा । " इतना कहकर रीत ने बाइक आगे बढा दी । रूहान अपने मन में बोला " अभी कुछ देर पहले बिना मेरी परमिशन के मेरे सीने से आ लगी थी और अब मुझे धमकी दे रही है की मुझे हाथ भी मत लगाइएगा । " रूहान यही सब सोच रहा था कि तभी रीत ने झटके से बाइक रोकी और रूहान के हाथ उसकी क़मर पर जा लगे । रीत की आंखें हैरानी से बडी हो गई , क्योंकि इसकी वजह रूहान का उसे हाथ लगाना नहीं था बल्कि रीत ने सामने कुछ ऐसा देखा जिससे उसका होश खोना तय था । दरअसल कुछ दूरी पर रीत को अभय प्रताप सिंह की गाडी खडी दिखाई दी हालांकि वहां अभय जी मौजूद नही थे । हां लेकिन उनके कुछ आदमी जरुर मौजूद थे । रीत ने मन में कहा " पापा की गाडी यहां पर है मतलब वो यही आस पास है । उसने रूहान की ओर देखकर कहा " गाडी से नीचे उतरिए । " उसके ये कहते ही रूहान उसे हैरानी से देखने लगा तो रीत आगे बोली " प्लीज गाडी से नीचे उतारिए । " उसके इस बार कहने पर रूहान नीचे चला आया ।
" आपकों गाडी चलानी आती है ? " रीत के इस सवाल पर रूहान ने अपनी आंखें छोटी कर ली । रीत झल्लाते हुए बोली " ओफ ओ ......जानती हूं आप नही बोल सकते , लेकिन मेरे सवाल का जवाब हां या न मैं तो दे ही सकते है न । जब कार चलानी आती है तो बाइक चलानी भी आती होगी । चलिए फटाफट आगे बैठिए । " रीत अपने सवालों का जवाब खुद ही दे रही थी । रूहान ने बाइक संभाली तो रीत ने अपने दुपट्टे से घूंघट कर लिया । रूहान के बैठते ही वो उसके पीछे वाली सीट पर बैठ गई । उसने एक हाथ से अपना घूंघट संभाला और दूसरा हाथ रूहान के कंधे पर रखा ।
" प्लीज बाइक स्टार्ट कीजिए और जल्दी निकलिए यहां से । " रीत की जल्दबाजी देखकर रूहान को कुछ गडबडी जरूर लगी , लेकिन उसने कुछ नहीं पूछा । कुछ दूरी चलने के बाद जब वो दोनों वहां से आगे निकल गए तो रीत ने एक राहत की सांस ली । रीत रास्ता बताती गई और रूहान आगे बढता चला गया । अपनी हवेली के आस पास के हिस्सों के बारे मे रीत को पूरी जानकारी थी , इसलिए वो यहां का रास्ता अच्छे से बता पा रही थी । गैराज के सामने आकर रूहान ने बाइक रोकी । दोनों के उतरते ही रीत ने अपनी घडी में वक्त देखा तो चार बज रहे थे । उसने अपने माथे पर हाथ रखते हुए कहा " मर गई रीत सब तुझे ही ढूंढ रहे होंगे । " रीत बाइक पर बैठी और रूहान की ओर देखकर बोली " रीत प्रताप सिंह अपना एहसान नही रखती , इसलिए इस मदद के लिए मुझे थैंक्स मत कहिएगा । " इतना कहकर रीत ने बाइक स्टार्ट की और वहां से निकल गई । रूहान अभी भी बस उसे ही जाते हुए देख रहा था । वो अपने मन में बोला " कितनी बडी ड्रामेबाज है ये । मैं इसे कौन से एंगल से गूगा नज़र आता है । मुझसे मिले घंटा भर भी नही हुआ और अपने बच्चे का बाप बनाकर चली गई । इससे शादी करके मैं कही कोई बहुत बडी मुसीबत तो मोल नही ले रहा , लेकिन इसने मुझे पहचाना क्यों नही ? क्या इसने मेरी तस्वीर नही देखी । और इसने जिस लडके को भगाया वो कौन था ? क्या वो भी इसे ही देखने आया था ? ........ कोई बात नहीं अब मेरे सारे सवालों के जवाब तुम खुद दोगी रीत प्रताप सिंह । " ये सोचते हुए रूहान ने अपना जेब टटोला तो उसे ध्यान आया की वो तो अपना फ़ोन गाडी मैं ही भूल आया । उसने आस पास नजरें दौड़ाई तो देखा वहा गैराज के बगल में एक पी सी सी बूथ था । रूहान ने जाकर श्रवण को कॉल लगाया । "
श्रवन ने दो तीन बैल में ही कॉल पिक कर लिया । हैलो कौन ...... श्रवण ने कहा ।
" रूहान बोल रहा हूं । श्रवण मेरी गाडी खराब हो गई है किसी को दूसरी गाडी लेकर गोपुरम के थोडा आगे एक गैराज है उसके पास भेजो । " इतना कहकर रूहान ने बिना श्रवण की कोई बात सुने फोन कट कर दिया ।
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रीत को देखने के लिए रूहान की जगह और कौन आया था ? रीत ने किसे भगाया है ? रीत ने रूहान को गूंगा समझा तो उसने कुछ जवाब क्यो नही दिया ? रीत रूहान को कैसे पहचानती उसने तो उसकी तस्वीर ही नही देखी थी ! अब आप सोचकर बताइए जब रीत को ये पता चलेगा की रूहान ही वो लडका है जो उसे देखने आने वाला था तो उसका रिएक्शन क्या होगा ?
सागर से गहरा इश्क पियाजी
( अंजलि झा )
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