रात का वक्त , रूहान की हवेली
रात के खाने के समय सब लोग डायनिंग टेबल के पास मौजूद थे सिवाय रूहान के । देविका जी ने किसी नौकर से कहकर रूहान को बुलाने के लिए कहा था । इधर बाकी सब घरवाले रीत की तस्वीर देखने में बिजी थे । सबको रीत बहुत पसंद आई । विजय जी ने उन्हें सारी बातें बताते हुए कहा " कल हम हैदराबाद जा रहे है । लडकी वालो को देखने । अगर सब कुछ ठीक रहा , तो हम शादी की बात आगे बढ़ाएंगे । बुआ सा ने रीत की तस्वीर देखते हुए कहा " छोरी शक्ल से तो घनी सुंदर से , लेकिन बात विचार भी जाननो जरूरी होवे है । इतने बडे परिवार ने संभाल पावेगी भी या नही जे बात भी जाननो जरूरी है । इतनी आसानी से घर की बडी बहु का दर्जा थोडी न मिलेगो । " बुआ जी कह ही रही थी कि तभी देविका जी ने उनसे तस्वीर लेकर देखते हुए कहा " जीजी सा ये सिर्फ से ही नही सीरत से भी बहुत सुंदर है । रही बात विचारो की तो वो तो इसे अपनी मां से विरासत में ही मिले होंगे । " ये कहते हुए देविका जी ने विजय की ओर देखा । इस वक्त उनकी आंखों में की सवाल थे ।
नक्षत्रा ने उनके हाथों से तस्वीर ली और उसे देखते हुए बोली " बडी मां भाई सा ने यूं ही इनके लिए हां नही कही । जरूर इनमें कोई खास बात है । अगर ये हमारी भाभी सा बन जाए , तो इस बार दुर्गा मां के मंदिर मैं हम अपने हाथों से भोजन करवाएंगे । " उसकी बात पर शालीनी जी सहमति जताते हुए बोली " हम तो अभी से ही रीत को अपनी बहु के रूप में देख रहे है । " रूद्र ने उनके हाथों से तस्वीर लेनी चाही , उससे पहले ही श्रवण ने शालीनी जी के हाथों से तस्वीर ले ली ।
रूहान भी सबके बीच चला आया था । श्रवण तस्वीर देख मुस्कुराते हुए बोला " तभी तो मैं कहुं जो इंसान हमेशा शादी के लिए न न करता फिरता था , उसने हां कैसे कर दी । भी अगर रीत जैसी लडकी मिले तो कोई भी लडका हां करेगा ही । मानना पडेगा मां सा रीत में कुछ तो बात है जिसने इस विश्वामित्र की तपस्या भंग कर दी । " श्रवण की बातों पर बाकी सब मुस्कुराने लगे लेकिन रूहान उसे गुस्से से घूरे जा रहा था ।
इधर बाकी के सर्वेंट्स खाना परोस रहे थे । श्रवण रूहान की ओर देखकर मुझे घूरने से कुछ फायदा नही होगा , अगर मुझ से तस्वीर देखनी हैं तो अभी दिखा देता हूं । " इतना कहकर श्रवण जैसे ही अपनी कुर्सी से उठा , कि तभी सामने से आ रहे नौकर से वो टकरा गया और सारी सब्जी उसके हाथों पर गिर पड़ी । उसके कपड़ों के साथ रीत की तस्वीर भी खराब हो गई । चेहरा देखना अब मुश्किल ही थी । शालिनी जी उसके पास आकर बोला " बेटा तुम जाकर जल्दी से पहले हाथ धो लो सब्जी गर्म है तुम्हें जलन हो रही होगी । "
नौकर ने भी अपनी गलती के लिए माफी मागी तो श्रवण बोला " कोई बात नहीं तुम जाओ । " ये कहते हुए श्रवण भी वहा से चला गया । रूद्र ने तस्वीर की ओर देखकर कहा " भाभी सा की तस्वीर तो पूरी तरह से खराब हो गई । "
" छोरा जे थ्हारी भाभी सा बनी न है । जे लाने अभी भाभी सा न बोल । " बुआ सा ने कहा तो नक्षत्रा बोली " बुआ सा प्रेक्टिस करने दीजिए । क्या पता भाई सा इन्हें ही भाभी सा बनाकर ले आए । " ये कहते हुए नक्षत्रा हंसने लगी । श्रवण भी वहा चला आया उसने सबकी ओर देखते हुए कहा " सॉरी मेरी वजह से तस्वीर खराब हो गई । "
" कोई बात नही बेटा वैसे भी सबने तस्वीर देख ही ली थी और रूहान तो कल उनसे मिलने ही जा रहे है । " देविका जी ने कहा । सब लोग खाना खाने के बाद अपने अपने रूम में चले गए । विजय जी इस वक्त हॉल में अकेले बैठे हुए थे । देविका जी उनके पास आई और वही सोफे पर बैठते हुए बोले " रीत अभय प्रताप सिंह और रति की बेटी है । "
" जी भाभी सा । "
" इसका मतलब मैं क्या समझूं भाई सा , कही रूहान अभय प्रताप सिंह से बदला लेने के लिए तो शादी नही कर रहा । " देविका जी ने पूछा तो विजय जी कुछ देर खामोश रहे । उन्होंने देविका जी की ओर देखकर कहा " ये सवाल क्यों भाभी सा क्या रीत आपको पसंद नही ? क्या आप नही चाहती वो आपके घर की बहु बने ? "
" मैं क्या चाहती हूं क्या नही इससे क्या फर्क पडता है भाई सा । मैं तो रीत के जन्म लेने के बाद ही उसे अपनी बहु के रूप में मान चुकी थी । उम्मीद की किरणों पर उस तूफान ने अंधेरा कर दिया , जो हम सबकी जिंदगी बदल कर चला गया । आज इतने समय बाद रीत की तस्वीर देखी तो रति की याद आ गई । अगर देवी मां की इच्छा है कि वो मेरे रूहान की जीवनसंगिनी बने , तो उसमे मुझे क्या हर्ज होगा ? बस मैं ये चाहती हूं भाई सा रूहान अपने ज़िद और गुस्से में रीत की जिंदगी बर्बाद न करे । रीत के आंसू उसकी मां सा के सीने को छल्ली कर जाएंगे । मैं बर्दाश्त नही कर पाऊगी । " इतना कहकर देविका जी उठकर वहां से चली गई । विजय जी उनसे सच भी नही कह सकते थे और झूठ कहना नही चाहते थे ।
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सुबह का वक्त , प्रतापगढ़
हैदराबाद जाने के लिए रूहान , श्रवण , विजय जी और राणा जी तैयार थे । वो चारों एयरपोर्ट के लिए निकल चुके थे । फ्लाइट में रूहान और श्रवण एक साथ बैठे हुए थे वही उनसे दो सीट पीछे विजय जी और राणा जी बैठे हुए थे ।
श्रवण ने रूहान की ओर देखकर कहा " तूने रीत की तस्वीर देखी । "
" क्या फर्क पड़ता है ? आज तो उसके घर ही जा रहे है देखने के लिए । " रूहान ने जवाब दिया ।
श्रवण हैरान होकर बोला " मतलब दो दिन तस्वीर तेरे पास थी और तूने उसे एक बार भी खोलकर नहीं देखा । अजीब इंसान है यार तू । उसकी तस्वीर तेरे सामने पडी थी और तूं उसे बिना देखे चैन की नींद सो कैसे गया ? "
" तू अपनी बकवास बंद कर । " रूहान ने चिढ़ते हुए कहा तो श्रवण अपने मन में बोला " एक बार उसकी तस्वीर देख लेता तब तेरी बैचेनी बढती ।
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सुबह का वक्त , रीत की हवेली
सारे नौकर किसी न किसी काम में लगे हुए थे । देवेन्द्र जी इस वक्त रत्न जी से बात कर रहे थे । तभी अभय जी ने उनके पास आकर कहा " भाई सा जमाई सा का फोन आया था , कि लड़के वाले राजस्थान से निकल चुके हैं । यहां हैदराबाद बाद में उन्हें कुछ जरुरी काम हैं , इसलिए वो उसे करने के बाद शाम तक हमारी हवेली आएंगे । "
" इसका मतलब हमारे पास शाम तक का वक्त है । अभय ध्यान रहें किसी भी तैयारी में कोई कमी नही रहनी चाहिए । ......... राणा जी अपने कुछ खास आदमियों से कहिए की हवेली से कुछ दूरी पर भी पहरा दे , ताकी लडके वालों को आने में कोई परेशानी न हो ।
" जी हुकुम " इतना कहकर रत्न जी वहां से चले गए ।
देवेन्द्र जी अभय जी की ओर देखकर बोले " बाकी का जो काम है उसे देखो । कुछ भी अधुरा नही रहना चाहिए । " इतना कहकर देवेंद्र जी वहां से चले गए ।
यहां अंदर अवंतिका सीढ़ियों की ओर जा ही रही थी कि तभी शारदा जी ने उसे टोकते हुए कहा " अवंतिका बेटा रीत उठी की नही । "
" मैं बस लाड़ो को ही देखने जा रही थी मां । " अवंतिका ने जवाब दिया । शारदा जी ने उससे आगे कहा " जाकर उसे जगाओ बेटा । उसके पहनने के लिए कपड़े और जेवर मैं किसी के हाथों उसके कमरे में भिजवाती हूं । " इतना कहकर शारदा जी वहां से चली गई । अवंतिका रीत के कमरे की ओर बढ गई । वो जब कमरे में आई तो देखा रीत चादर तानकर घोडे बेचकर सो रही थी । अवंतिका कमरे में आते हुए बोली " पापा और काका सा इनकी शादी करवाने की सोच रहे है , लेकिन कोई उनसे जाकर कहे की पहले इस बच्ची को बडी तो हो जाने दीजिए । " अवंतिका मे कहते हुए खिडकी के सारे पर्दे हटाने लगी । वो रीत के पास आई और बिस्तर पर उसके सिरहाने बैठते हुए बोली " लाड़ो सुबह हो गई है उठ जाइए । " उसने ये कहते हुए रीत के चेहरे पर से चादर हटाई तो देखा तकीए पर उसका पैर रखा हुआ था । हुआ यूं जहां पैर होना चाहिए वहां सिर था और जहां सिर होना चाहिए वहां पैर था । रीत अपने चेहरे पर से चादर हटाते हुए बोली " भाभी सा मैं यहां हूं । अभी आप जाइए मुझे थोडी देर और सोना है । " इतना कहकर रीत ने वापस से चेहरा चादर से ढक लिया । अवंतिका उसके पास आकर बोली " लाड़ो ऐसे कौन सोता है आपने तो हमें डरा ही दिया । चलिए उठिए बहुत देर हो गई है । आपकों लडके वाले देखने आ रहे है । " अवंतिका के इतना कहते ही रीत की आंखें खुल गईं । उसने चादर हटाते हुए कहा " अभी नही भाभी सा जब वो लोग चले जाएंगे तब आप हमें जगा दीजिएगा । " यहां रीत की नौटंकी जारी थी । इतने में दो औरतें अंदर आइ जिनके हाथों में बडी बडी थाल थी । उनमें से एक ने कहा बाई सा इन्हें कहा रखे । "
अवंतिका ने उन्हें सामने टेबल की ओर इशारा कर कहा " आप लोग इसे वहां रख दीजिए । " उसके इतना कहते ही उन दोनों ने ने थाल वहां रखी और कमरे से बाहर चली गई ।
उन लोगों की आवाजें सुन रीत भी उठकर बैठ गई । उसने उन थालो की ओर देखते हुए कहा " भाभी सा इसमें क्या है ? "
" आइए हम आपको दिखाते हैं । " ये कहते हुए अवंतिका उसका हाथ पकड़ अपने साथ सोफे के पास ले आई । उसने थालो के ऊपर से कपडा हटाया , तो उस थाल में बेहद ही सुन्दर गुलाबी रंग के लंहगे का जोडा था । वही दूसरी थाल में जेवरों की भरमार थी । रीत हैरानी से उन थालो की ओर देख रही थी । अवंतिका उसके कंधे पर हाथ रख बोली " लाड़ो आज आप ये सब पहनेंगी । "
" भाभी सा आपकों तो पता हैं न हमें ये सब नही पसंद । हमसे ये जेवर नही संभाले जाएंगे । " रीत ने मूंह बनाते हुए कहा तो अवंतिका बोली " पहनना तो पडेगा लाडो बस थोडी देर की बात है । "
रीत के चेहरे पर उदासी छाई हुई थी ! हालाकी अवंतिका ने उसे भांप लिया था ! वो रीत के सिर पर हाथ फेरते हुए बोली " लाडो खबराई मत सब अच्छा होगा ! आपके भैया ने कहा है न वो सब संभाल लेंगे ! " इतना कहकर अवंतिका कमरे से बाहर चली गई !
रीत अभी भी उन थालो की ओर देख रही थी ! उसने अपने मन मे कहा " ........
किस्मत अपनी अपनी है,
किसको क्या सौगात मिले,
किसी को खाली सीप मिले,
किसी को मोती साथ मिले।
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यहां दूसरी तरफ रूहान और बाकी सब हैदराबाद आ चुके थे । इस वक्त वो लोग फैक्टरी के लिए जमीन देखने गए । रूहान ने उस जमीन की मिट्ट को अपने हाथ मे लेते हुए कहा " ये जमीन तो उपजाऊ है , फिर हम इस जमीन पर फैक्टरी कैसे बना सकते है ? "
ब्रोकर ने रूहान से कहा " साहब ये भी तो देखिए यहां से थोडी ही दूरी पर बस्ती है , जहां से मजदूर आसानी से मिल जाएगे । "
" मानता हु यहां फैक्टरी बनाने से मुझे काम करने वाले मजदूर आसानी से मिल जाएगे , लेकिन मै एक उपजाऊ जमीन पर फैक्ट्री खडी कर इस जमीन को खराब नही कर सकता । इस तरह हम सारी फैक्ट्रियां उपजाऊ जमीन पर खडी करे तो सोचो उस फैक्टरी के लिए कच्चा माल कहा से लाएगे । " रूहान ने कहा तो ब्रोकर बस खामोशी से उसकी बात सुनता रहा !
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रूहान हैदराबाद पहुंच चुका है अब आगे क्या होगा ? इसके लिए मैं तो बहुत ज्यादा एक्साइटेड हूं। आइ नो आप लोग भी एक्साइटेड होंगे । डोंट वरी आप लोगो को थोडा लंबा इंतजार करवाया । बहुत जल्द ये मुलाकात होने वाली है लेकिन रीत का क्या प्लान है ये फिलहाल आपको नही बताउंगी । जानने के लिए आपको आगे पढना पढेगा ।
सागर से गहरा इश्क पियाजी
( अंजलि झा )
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