" मानता हु यहां फैक्टरी बनाने से मुझे काम करने वाले मजदूर आसानी से मिल जाएगे , लेकिन मै एक उपजाऊ जमीन पर फैक्ट्री खडी कर इस जमीन को खराब नही कर सकता । इस तरह हम सारी फैक्ट्रियां उपजाऊ जमीन पर खडी करे , तो सोचो उस फैक्टरी के लिए कच्चा माल कहा से लाएगे । " रूहान ने कहा तो ब्रोकर बस खामोशी से उसकी बात सुनता रहा ।
रूहान उठकर उसके पास आया और आगे बोला " हमे ये ज़मीन पसंद नहीं आई । हम अपने फायदा के लिए किसी दूसरे का नुक़सान नहीं करते । "
" साहब एक और जमीन है अगर आप एक बार चलकर उसे भी ......... ब्रोकर कह ही रहा था कि तभी विजय जी ने उसकी बात बीच में काटते हुए कहा " नहीं अभी इसकी कोई जरूरत नहीं है । ........ रूहान काफी वक्त हो चुका है हमें अब देवेंद्र प्रताप सिंह के घर भी जाना है । "
" जी काका सा " इतना कहकर रुहानी ब्रोकर से बोला " आज हमारे पास ज्यादा वक्त नहीं है । हम वो जमीन फिर कभी देख लेंगे । " इतना कहकर रूहान विजय जी के पास चला आया । उन्होंने रूहान की ओर देखकर कहा " बेटा आप रीत की हवेली के लिए निकलिए हम और श्रवण होटल जा रहे हैं । फिर वही से राणा जी के साथ उनकी हवेली के लिए निकल जाएंगे । " इतना कहकर विजय जी अपनी गाडी के पास चले आए और श्रवण के साथ वहां से निकल गए । रूहान गाडी के पास आया और ड्राइवर को टोकते हुए बोला " तुम रहने दो गाडी हम खुद ड्राइव करेंगे । " ये कहते हुए रूहान ड्राइविंग सीट पर आकर बैठ गया और बिना ड्राइवर लिए गाडी स्टार्ट किए वहां से निकल गया ।
इधर रीत अपने कमरे में परेशान सी इधर से उधर चक्कर काट रही थी । ज्यों ज्यों घडी की सूइयां आगे बढ़ती , साथ ही उसकी धड़कनें भी बढाती चली जाती । रीत ने घडी की ओर देखा जिसमें तीन बज रहे थे । रीत घडी की ओर देखते हुए खुद से बोली " ये वक्त तो जैसे थमने का नाम ही नहीं ले रहा । वो लोग किसी भी वक्त यहा आ सकते है और मैंने उन्हें रोकने के लिए अभी तक कुछ भी नहीं किया और ये माधव का बच्चा अभी तक आया क्यों नहीं ? विधी को भी लडके वाले देखने आ रहे हैं इसलिए वो भी नहीं आई । माधव से कहा था वो आज सारा दिन मेरे साथ रहे , लेकिन वो तो सुबह से कही दिखाई नहीं दे रहा । जिसे पता करने के लिए उसके घर भेजा था वो अब तक नहीं आई । " ये सब सोचते हुए रीत कमरे से बाहर चली आई । जिसे उसने माधव के घर भेजा था वो नौकरानी सामने से चली आ रही थी । रीत उसके पास भागते हुए पहुंची । " क्या कहा माधव ने ? आप गई थी उसके पास वो क्यों नहीं आया हवेली ? "
" राजकुमारी वो अपने बाबा सा के के साथ आज सुबह ही विजयवाड़ा से बाहर गए हैं बड़ हुकुम के किसी काम से । लौटते लौटते उन्हें देर रात हो जाएगी । " नौकरानी ने कहा तो रीत का मूंह लटक गया । उसके तो सारे किए कराए पर पानी फिर गया । वो बिना कुछ बोले वहां से आगे बढ गई । रीत चलतें हुए अपने मन में बोली " आज जरुरत पडने पर कोई मेरे साथ नही है । लगता है मुझे सब कुछ अकेले करना होगा । " ये सब सोचते हुए रीत सबकी नजरों से बचते बचाते हवेली से बाहर चली आई । उसने आस पास नजरें दौड़ाई तो वहा सिर्फ पहरा दे रहे आदमियों के अलावा और कोई नहीं था । रीत को दूर से ही बाइक लेकर आ रहा अर्जुन दिखा । रीत भागते हुए थोडा आगे चली आई और रास्ता रोककर अर्जुन को रोकने की कोशिश की । अर्जुन ने ब्रेक लगाते हुए कहा " रीत तूं यहां क्या कर रही है और ऐसे बाइक रुकवाने का मतलब । "
" भैया आप जल्दी से बाइक से नीचे उतरिए । " ये बोलते हुए रीत उसके पास चली आई । अर्जुन बाइक से उतरते हुए बोला " लेकिन क्यों ....... ? "
रीत बाइक पर बैठते हुए बोली " वो सब मैं आपको बाद में बताऊगी भैया । अभी मुझे जरुरी काम से कही जाना है । "
" जरूर काम ........ कैसा जरूरी काम ? ....... अभी तूने कहा जा रही है इस वक्त ...... देख रीत मैं तुझे कही नही जाने दूंगा । बेकार में घर में तमाशा खडा हो जाएगा , वैसे भी तुझे लडके वाले देखने आ रहे है । " अर्जुन कह ही रहा था कि तभी रीत मासूमियत सा चेहरा लेकर बोली " प्लीज भैया जाने दीजिए न मैं जल्दी वापस आ जाऊगी । प्लीज ........ "
" लेकिन रीत मैं घरवालों को क्या जवाब दूगा ? "
" कुछ मत कहना बोलना की मेरे बारे मैं आपको कुछ नहीं पता । मैं जल्दी वापस आ जाऊगी और सब कुछ संभाल लूगी । " इतना कहकर रीत ने बाइक स्टार्ट की अर्जुन उसे रोकता रह गया लेकिन वो आगे बढ चुकी थी ।
अर्जुन अपने दोनों हाथों से सर के बाल नोंचते हुए खुद से बोला " ये हमेशा मुझे फंसाने का काम करती है । अब अंदर इसके बारे में लोग पूछेंगे तो क्या कहूंगा । ऊपर से मेरी बाइक लेकर गई है मेरी वाट लगना तय है । "
इधर दूसरी तरफ रूहान अपनी गाडी लेकर आ रहा था । अचानक टायर फटने की आवाज उसके कानों में आई और गाडी झटके से रूक गई । रूहान ने अपने हाथ स्टेयरिंग पर मारते हुए गुस्से से कहा " इसे भी अभी ब्लास्ट होना था । सुबह से आज कुछ भी अच्छा नही हो रहा । " ये सब कहते हुए रूहान गाडी से बाहर चला आया । उसने अपनी नजरें आस पास दौडाई , तो वो सुनसान सडक पर खडा था । अगल बगल खेते में लहराती हरियाली थी । इंसान तो कही नज़र ही नही आ रहे थे । रूहान की नज़र पीछे की ओर गई तो एक बडा सा गोपुरम था । ( गोपुरम यानी प्रवेशद्वार द्वार ..... ये दक्षिण भारत की संस्कृति का बहुत ही खास हिस्सा है । )
गोपुरम पर बेहद ही सुंदर आकृति उत्कीर्ण थी । जिसे देखकर लगता था की वो की सौ साल पुराना होगा । रूहान ने उससे नजरें हटाई और गाडी से अपना फ़ोन निकालकर नंबर डायल करने लगा । " अब ये नंबर क्यों नही लग रहा यहां भी नेटवर्क प्रोब्लम । ज़रूरत पड़ने पर कोई काम नही आता । लगता है ये सब अब मुझे ही करना पडेगा । " रूहान ने अपना कोट उतारा और गाडी मे डाला । अपना फ़ोन रख उसने शर्ट बाहर की ओर उसकी बाजुओं को फोल्ड किया साथ ही ऊपर से कॉलर के बटन भी खोल लिए । उसने गाडी के पीछे वाले हिस्से से जैक निकाला और उसके सहारे गाडी को टिकाते हुए टायर चेंज करने लगा ।
वही दूसरी रीत बाइक चलाते हुए खुद से बोली " मुझे कुछ भी करके गोपुरम वाले हिस्से तक पहुचना होगा क्योंकि हमारी हवेली तक पहुंचने के लिए हर एक गाडी को वहा से होकर गुजरना पडता है । एक बार मैं वहा पहुंच जाऊं उसके बाद अपने प्लान पर काम करना शुरू करूगी । " रीत बाइक चलाते हुए गोपुरम के पास पहुच ही रही थी , की तभी उसे सामने रास्ता रोके एक गाडी नज़र आई । रीत को आस पास कोई आदमी नज़र नही आया । वो गुस्से से बोली " किसकी गाडी है जो ऐसे बीच रास्ते में खडी कर चले जाते है । ये सड़क कोई उनकी प्राइवेट प्रापर्टी थोडी न है । "
दरअसल ये गाडी रूहान की ही थी । जो पीछे डिकी से कुछ सामान निकालने गया था । रीत की आवाज जब उसके कानों में पड़ी तो उसने डिकी बंद की । नजरें जब रीत से मिली तो आंखें उसपर टिक सी गई । हैरान होने वाली बात तो थी है । रीत का अवतार ही इस वक्त कुछ ऐसा था । उसने घाघरा चोली पहना हुआ था । इस लिवाज में वो यहां तक बाइक चलाकर आई वो बहुत बडी बात थी । बाल खुले और थोडे बहुत बिखरे हुए थे । जल्दबाजी में रीत को इन सबका कोई होश न था । वो तो बस अर्जुन से बाइक छीनकर यहां चली आई । रूहान की व्हाइट शर्ट पर कई जगह काले रंग के दाग लग गए थे । थोडे बहुत चेहरे पर भी लग गए थे , जो शायद गाडी से सामान निकालते वक्त हाथो में लग गए हों । कपड़ों पर धूल मिट्टी जम चुकी थी ।
दोनों ने ही एक दूसरे का चेहरा नही देखा था , इसलिए इस वक्त दोनों एक दूसरे के लिए अजनबी थे । रूहान को को इस तरह अपने आपको घूरता देख रीत को बिल्कुल अच्छा नहीं लगा । वो बाईक से उतरते हुए बोली " ये क्या तरीका हुआ क्या कभी कोई लडकी नही देखी ? या बदतमीजी करने के नए नए तरीके ढूंढते हैं आप लोग । "
रीत की बातों पर रूहान को बहुत गुस्सा आया , लेकिन वो उससे कुछ न बोला । वो अपनी गाडी के आगे वाले हिस्से में आया और जमीन पर बैठकर टायर चेंज करने लगा ।
" रीत अपने मन में बोली " अजीब आदमी है , कुछ कहा ही नही इन्होंने । कही ऐसा तो नही की में बोल नही सकते । अगर ऐसा है तो रीत तुझे इनसे इस तरीके से बात नही करना चाहिए था । ........ रीत ये सब सोचते सोच ही रही थी , की तभी उसे सामने से एक गाडी आती हुई दिखाई दी । रीत हैरानी से अपनी आंखें बडी करते हुए बोली " रीत कही ये लड़के वालों की तो गाडी नही है । " रीत ये सोच ही रही थी की तभी रूहान की गाडी बीच में रूकने की वजह से पीछे वाले लोगों को अपनी गाडी रोकनी पड़ी । गाडी रूकते ही ड्राइवर के बगल वाले सीट पर बैठे आदमी ने गाडी का दरवाजा खोला और बाहर आते हुए बोला " इस तरह बीच रास्ते में गाडी क्यों खडी की हुई है कम से कम आने जाने वालों को रास्ता तो दीजिए । उस आदमी ने रूहान की ओर देखकर कहा जो उसकी बातों को इग्नोर कर अपनी गाडी की टायर चेंज करने में बिजी था ।
रीत हैरान होकर कभी रूहान को तो कभी उस लड़के की ओर देखती । रीत ने अपने मन में कहा " इस आदमी को तो देखकर लग रहा है कि यही मुझे देखने के लिए आया है । मतलब यही लडके वाले है । ......... ये सोचते हुए रीत का ध्यान रूहान पर गया । उसे देख कर रीत के दिमाग में एक आइडिया आया उसने अपने मन में कहा " ये तो कुछ बोल नही सकते । क्यों न मैं इन्हें अपने प्लान में शामिल कर लूं बस कुछ समय की तो बात है । फिर लडके वालों के जाने के बाद मैं इनसे माफ़ी मांग लूगी । अपनी पहली वाली गलती के लिए भी और जो गलती आगे करने वाली हूं उसके लिए भी । "
रीत ये सोच ही रही थी की तभी उस आदमी की आवाज से उसका ध्यान टूटा जो रूहान पर चिल्लाते हुए कह रहा था " अरे ओ भाईसाहब मैं आप ही से बात कर रहा हूं । आप बहरे हो क्या जो आपको सुनाई नहीं दे रहा । अरे मुझे लडकी देखने जाना है , रास्ते से अपनी खटारा हटाओ । " वो आदमी कह ही रहा था की तभी रीत ने उसे बीच में टोकते हुए कहा " जरा सुनिए " ......... जी आप कौन बहन जी " उस लड़के ने पूछा । "
" जी मैं वही बहन जी हूं भाई साहब जिसे आज आप लोग देखने जा रहे थे । " रीत ने जवाब दिया ।
उस लडके ने अपनी आंखों पर से गोगल्स हटाए और रीत को ऊपर से नीचे तक देखते हुए मन में कहा " यही वो लडकी है , लेकिन इस तरह सडक पर दर्शन देने का क्या मतलब ? सजना संवरना तो दूर की बात इसे तो ये भी हो नही एक कान में झुमके है और दूसरे में नही । लेकिन कुछ भी कहो सुंदर तो है ये । "
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रूहान और रीत की पहली मुलाकात आपको कैसी लगी ? कमेंट करके जरूर बताइए ! रीत को देखकर लडके वालो का क्या फैसला लेंगे ? आप सोचकर देखिए क्या रूहान रीत की मदद करेगा ? आगे कहानी बहुत इंटरस्टिंग होने वाली है जानने के लिए जरूर पढिए
सागर से गहरा इश्क पियाजी
( अंजलि झा )
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