रूहान ने बिना श्रवण के जवाब का इंतजार किए फ़ोन काट दिया । श्रवण इस वक्त विजय जी और राणा जी के साथ गाडी मैं था । विजय ने उसकी ओर देखकर पूछा " क्या हुआ किसका फ़ोन था ? "
" रूहान का फोन था काका सा उसकी गाडी खराब हो गई है । हमे लगता है अब उसे आने में देर लगेगी । मैं ड्राइवर को फोन कर दूसरी गाडी ले जाने के लिए कह देता हूं । " ये कहते हुए श्रवण ड्राइवर को फोन करने लगा ।
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रीत की हवेली
इधर रीत हवेली पहुंची तो देखा अर्जुन बाहर ही खडा था । रीत को आता देख अर्जुन ने एअ गहरी सांस ली । रीत बाइक रोककर उसके पास चली आई । अर्जुन ने गुस्से से कहा " रीत तेरे चक्कर में किसी दिन पापा और काका सा मुझे गोली मार देंगे । कहां चली गई थी ? पूरे एक घंटे से तेरा इंतज़ार कर रहा हूं । काका सा बाहर गए हुए हैं । मेरी तो जान ही हलक में अटक गई थी , कही उन्होंने बाहर तुझे देख लिया तो .......... "
" अरे बस भैया एक साथ इतने सारे सवाल । सब ठीक है अब आप भी शांत हो जाइए । अभी मुझे अंदर जाने दीजिए । आपके सारे सवालों के जवाब बाद में दे दूगी । " इतना कहकर रीत उसे बाइक की चाबी थमाकर अंदर भाग गई ।
" रीत ....... रीत ........ अर्जुन बस रीत को पुकारता रह गया , लेकिन वो तो अपना घाघरा संभालते हुए हवेली के अंदर भागी चली जा रही थी । इधर रीत भागते हुए अंदर आई और सामने से आ रही कुछ औरतों से टकरा गई , जिससे उनके हाथों में रखी थाल छूटकर जमीन पर जा गिरी और सारे फूल रीत पर बिखर गए । रीत गिरते गिरते बची , लेकिन फूलो को देख उसके होंठों पर मुस्कुराहट तैर गई । लाल अरहुल , जूहा , चंपा और पीले रंग के गेंदे और साथ ही कुछ गुलाब की पंखुड़ियां भी थी । रीत उन सबके बीच से होकर भागती हुई सीढ़ियां चढ़ने लगी । अगर कुछ सुनाई दे रहा था तो सिर्फ उसके पायलों का शोर ।
उधर नीचे वो चारो औरतें रीत को हैरानी से जाते देख रही थी । उनमें से एक ने कहा " कोई कहेगा इन्हें लडके वाले देखने आ रहे हैं । " तभी दूसरी औरत ने कहा " राजकुमारी का बचपना अभी गया कहा है न जाने शादी जैसी जिम्मेदारियां कैसे संभालेगी । "
उनमे से एक औरत जमीन पर गिरे फूलों को उठाते हुए बोली " जब लडका राजकुमारी को देख ले और बात आगे बढाए , तब कही जाकर आप सब ये सोचना अभी तो जल्दी जल्दी काम निपटाओ नही तो छोटे हुकुम के गुस्से का सामना करना पडेगा । " उसके ये कहते ही बाकी की तीनो औरते भी फूल समेटने में लग गई ।
उधर रीत अपने कमरे में पहुंची तो देखा अवंतिका , शारदा जी बाकी कुछ औरतों के साथ वहां मौजूद थी । शारदा जी रीत को देखते हुए बोली " कहां थी रीत , हम सब कब से तुम्हे ढूंढ रहे है । लडके वाले किसी भी वक्त आ सकते है और आप अब तक तैयार नही हुई । "
" लाड़ो आपके कपड़ों और बालों में ये फूलों की पंखुड़ियां क्यों लगी है ? " अवंतिका ने पूछा तो रीत बोली " वो भाभी सा हम नीचे कुछ औरतों से टकरा गए थे । उनके हाथों में फूलों की थाल थी जिससे सारे फूल हमारे ऊपर बिखर गए । "
" मतलब अभी भी तेरी शैतानिया जारी है । ......... अवंतिका बेटा इसे जल्दी से तैयार करो मुझे बाकी का काम भी देखना है । " इतना कहकर शारदा जी वहां से बाहर चली गई । वही अवंतिका ने रीत की ओर देखा तो अपनी आखे घुमाते हुए बोली " हां ...... हां भाभी सा मुझे जल्दी तैयार कीजिए लडके वाले कभी भी आ सकते है । अगर उन्होंने मुझे इस हालत में देख लिया तो सचमुच डर कर भाग जाएगे । रीत के ये कहतै ही अवंतिका को जोरो की हंसी आ गई । वही बाकी औरतें भी रीत की बातों पर हंसे जा रही थी । सबको मुस्कुराते देख रीत अपने मन में बोली " अब तो तैयार होने के लिए मेरे पास वक्त ही वक्त है , क्योंकि जिसको आना था उसे तो मैं बिदा करके चली आई । "
अवंतिका ने रीत का लहंगा उठाया और उसे देते हुए बोली " लाडो जल्दी से आप इसे पहनकर आइए फिर हम आपको तैयार करते हैं । " रीत हां में सिर सिर हिलाकर वाशरूम के अंदर चली गई । कुछ देर बाद जब वो वाशरूम से बाहर आई , तो अवंतिका की नज़र उसपर पडी । " रीत हल्के गुलाबी रंग के जोड़ीदार लंहगे में बहुत प्यारी लग रही थी । रीत लहंगा संभालकर अवंतिका के पास आकर बोली " भाभी सा ये बहुत भारी है । "
अवंतिका उसके गाल बड़े प्यार से छूते हुए बोली " लाड़ो बस थोडी देर की बात है फिर आप इसे उतार लेना । " अवंतिका ने अपना हाथ बढ़ाया तो एक औरत ने आकर दुपट्टा उसके हाथों में रखा । अवंतिका ने रीत को अच्छे से दुपट्टा ओढाया और उसे ड्रेसिंग टेबल के पास लाकर बिठा दिया । सब उसे मिलकर तैयार करने लगे । कोई उसे पायल पहना रहा था , तो कोई उसके हाथों में कंगन । कोई उसके बाल संवाल रहा था तो कोई उसके कानो में झुमके पहना रहा था । इस वक्त रीत के होंठों पर मुस्कुराहट थी । उसने सबकी ओर देखकर कहा " आप लोग मुझे अच्छे से तैयार कीजिए । ......... आज मुझे सबसे अच्छा लगना है । .......... मुझे ये वाले नही वो वाले कंगन पहनने हैं । ........ आपने क्या किया इन पायलों में तो बिल्कुल शोर नही है । वो पायल ही कैसी जो शोर न करे । " रीत सबसे कुछ न कुछ कहे जा रही थी । अवंतिका को कुछ गडबड लगी । उसने अपने मन में कहा " दो दिन से लाड़ो सबसे नाराज़ बैठी थी , आखिर क्यों लडके वालों को बुलाया जा रहा है । आज सुबह भी इन्होंने कितने नखरे किए । लेकिन अब ये मुस्कुराते हुए तैयार हो रही है । बात कुछ समझ नही आई । " ये सोचते हुए अवंतिका नीचे झुकी और आइने से रीत को देखते हुए बोली " लाड़ो सच सच बताइए आपने इस बार कोई शैतानी तो नही की न । "
रीत बडा ही मासूम सा चेहरा बनाकर बोली " नही भाभी सा माना की बडे भैया मुझे शैतान गुड़िया कहते है इसका मतलब ये तो नही मैं हमेशा शैतानियां करती रहूगी । मैने कोई शैतानी नही की । '
' आप सच कह रही है , चलिए खाइए हमारी कसम । " अवंतिका ने जैसे ही ये कहा रीत उसकी ओर पलटकर बोली " भाभी सा आपकों हमारी भी उमर लग जाए । हम अपनी कसम खाते हैं हमने कोई शैतानी नही की बस समझदारो वाला काम करके आए है । अब आप ये मत पूछिएगा कौन सा काम क्योंकि हम अभी नही बता सकते । " रीत बडे प्यार से अवंतिका के गालों को छूकर ये सब कहे जा रही थी । अंवतिका भावुक हो गईं कही उसके आंसू रीत न देख इसलिए वो पलट गई । वो जैसे ही पलटी तो उसे दरवाजे से विधी अंदर आते हुए दिखी । विधी को यहां देखकर हर कोई हैरान था । अवंतिका खुद को संभालते हुए विधी से बोली " विधी आप यहां आपको तो लड़के वाले देखने आ रहे थे न । "
" हां आ रहे थे , लेकिन पता नही क्या हो गया उन्होंने फ़ोन करके मना कर दिया हम नही आ रहे । अगर नही आना था तो पहले ही बता देते बेकार ही मैं सुबह से तैयार होकर बैठी थी । इसलिए जैसे ही उनका फ़ोन आया मैं फौरन कपडे बदलकर यहां चली आई । " ये कहते हुए विधी अंदर चली आई । इधर रीत मुस्कुराते हुए मन में बोली " चलो अच्छा है विधि को भी कोई देखने के लिए नही आया और न ही कोई मुझे देखने के लिए आने वाला है । "
विधी रीत को देखकर बोली " कल तक तो लडके वालो के नाम पर इसने रोना धोना मचा रखा था और आज देखिए कैसे हसते खिलखिलाती हुई तैयार हो रही है । " विधी के ये कहने पर रीत ने कहा " तो और क्या करूं रोकर कुछ हासिल नहीं हुआ तो सोचा हंसकर देख लूं शायद कुछ हासिल हो जाओ । " रीत ये कहकर खुद ही मुस्कुरा दी । सब उसे तैयार करने में जुट गए ।
यहां नीचे विजय जी की गाडी रीत के महल आकर रूकी । विजय जी , श्रवण और राणा जी तीनो गाडी से बाहर आए । बाहर रतन जी उनके स्वागत के लिए खडे थे । उन्होंने हाथ जोड़कर सबका अभिवादन किया और सबको हवेली की ओर ले आए । थोडा आगे आकर रास्त के अगल बगल घुंघट किए कुछ औरतें खडी थी । उन्होंने उन पर फूल बरसाए । वो लोग हवेली की चौखट के पास पहुंचे तो स्वागत के लिए शारदा जी कुछ औरतों के साथ वहां खडी थी । उन्होंने उन तीनों का तिलक कर राजस्थानी परंपरा के अनुसार उनका स्वागत किया । रत्न जी उन सबको अंदर ले आए । यहां देवेंद्र जी और अभय जी उन्ही का इंतजार कर रहे थे । उनके आते ही उन लोगों ने हाथ जोड़कर एक दूसरे को अभिवादन किया । देवेन्द्र जी सबको हॉल में ले आए और बैठने का इशारा किया ।
वही शारदा के पास खडी औरत ने कहा " बाई सा इनके साथ जो लडका है क्या वही हमारी राजकुमारी को देखने आया है । "
" नही ये लडका नही है । " इतना कहकर शारदा जी अंदर चली आई । देवेन्द्र जी ने विजय जी की ओर देखकर पूछा " आप लोगों को आने मैं कोई तकलीफ़ तो नही हुई । "
" जी नही आपके बारे में तो यहां के बच्चे बच्चे को जानकारी है , तो भला आपका महल ढूंढने में हमें क्या परेशानी होती । " विजय जी ने जवाब दिया ।
" क्या लडका आपके साथ नही आया ? " अभय जी के इस सवाल पर श्रवण ने कहा " जी दर असल हुआ यूं रूहान दूसरी गाडी में आ रहा था और रासते में उसकी गाडी खराब हो गई । इसलिए वो दुसरी गाडी से आ रहा है । बस थोडी देर मैं पहुंच जाएगा । "
वहां ऊपर सब रीत को तैयार कर रहे थे । इसी बीच एक लडकी ने आकर कहा " नीचे लडके वाले आ गए हैं , लेकिन लडका उनके साथ नहीं आया । इस खबर से जहां बाकी सब कुछ हुए वही रीत हैरान ।
" लडके वाले ....... लेकिन वो लोग कैसे आ सकते है । उन्हें तो मैंने भगा दिया था न , फिर जो लोग नीचे आए वो कौन है । " रीत ये सोच ही रही थी की तभी अवंतिका ने उसके कंधे पर हाथ रखकर कहां " ज़रा देखूं तो मेरी लाड़ो का चेहरा । " ये कहते हुए अवंतिका ने अपने आंखों से काजल निकालकर उसके कानों के पीछे लगा था । रीत के होंठों पर मुस्कुराहट तैर गई ।
यहां रूहान को आने में वक्त लग गया । उसने होटल जाकर कपड़े बदले उसके बाद हवेली के लिए निकल पडा । वो जब हवेली आया तो यहां का रंग रूप देखकर उसे हैरानी हुई । " मतलब आज भी देवेंद्र प्रताप सिंह राजस्थानी संस्कृति और परंपराओं को निभा रहे थे ।
रूहान अंदर आया तो उसका भी से स्वागत किया गया । नौकर ने जाकर शारदा जी को खबर की तो वो दरवाजे की चौखट के पास चली आई । उनकी नज़र जब रूहान पर पडी तो आंखें उसपर ठहर सी गई । रूहान ने अपना चश्मा उतारा और नीचे झुककर उनके पांव छुए ।
' खुश रहिए बेटा । " शारदा जी ने कहा और फिर रूहान को तिलक लगाकर उसकी आरती उतारी । शारदा जी की नजरें रूहान से हट ही नहीं रही थी । उन्हें रूहान से एक अपनत्व का एहसास हो रहा था । उन्होंने आरती की थाल अपने बगल में खडी नौकरानी को थमाई और रूहान से बोली " अंदर आइए बेटा । " रूहान उनके साथ अंदर चला आया ।
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क्या रिएक्शन होगा रीत का जब वो रूहान को देखेगी ? क्या वो इस सच्चाई को एक्सेप्ट कर पाएंगी या रूहान को देखकर बेहोश हो जाएगी ? कौन सा नया धमाका होने वाला है ?
रीत किस लडके को भगाकर आई है आखिर कौन था वो लडका ? ये हम आगे जानेंगे तब तक के लिए पढ़ते रहिए मेरी नोवल
सागर से गहरा इश्क पियाजी
( अंजलि झा )
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