shabd-logo

रूहान ने लिया हैदराबाद जाने का फैसला -15

13 मई 2023

6 बार देखा गया 6




हमारे लाडले फूफा जी ........ तीन साल से तो इन्हें हमारी कोई याद नही आई और आज मूंह उठाकर मेरा रिश्ता लेकर चले आए । इन्हें तो मैं छोडूगी नही । " ये कहते हुए रीत मुंडेर की ओर बढ़ने लगी । 

" रीत लेकिन तूं करेगी क्या ? " विधी ने कहा तो रीत बिना कोई जवाब दिए मुंडेर से नीचे की ओर झांकने लगी । उसने देखा एक तरफ देवेंद्र जी और अभय जी एक दूसरे से बात कर रहे थे , तो वही प्रमाद जी उनसे थोडी ही दूरी पर किसी से फोन पर बात कर रहे थे । रीत के दिमाग मे खुराफाती आईडिये ने जन्म ले लिया था । वो हल्की मुस्कुराहट के साथ प्रमाद जी को देखते हुए बोली " टकले फूफा जी आज आपका वो हाल करूगी कि दोबारा आप किसी के लिए भी रिश्ता लेकर नही जा पाएंगे  । " इतना कहकर रीत ने अपने आस पास देखा , तो उसे थोडी ही दूरी पर टेबल के पास नीचे जमीन पर गिरा गुलेल दिखाई दिया । उसने जाकर उसे उठा लिया और टेबल के आस पास कंचे ढूंढने लगी । 

" ये क्या कर रही है रीत ? ये कोई गुलेल से खेलने का वक्त है । " विधि कहते हुए उसके पास चली आई । रीत ने कंचे को गुलेल पर टिकाया और और प्रमाद जी पर निशाना साधा । उसने एक आंख बंद की और निशाना बिल्कुल सटीक जगह पर रखा । विधी ने उसका हाथ पकड़ तुरन्त नीचे खींच लिया । प्रमाद जी अपना सिर सहलाते हुए आस पास देखने लगे , लेकिन उन्हें ऐसा कुछ नजर नही आया जिसपर शक किया जा सके । इधर विधी और रीत नीचे की ओर झुकी हुई थी । विधी ने रीत की ओर देखकर कहा " तूं पागल हो गई है रीत अगर किसी ने देख लिया होता तो जानती है क्या होता ? " 

" इसमें ग़लत क्या किया ? वो मेरी जिंदगी खराब करने पर तुले हुए हैं और मैं उन्हें छोटी सी चोट भी न दूं । " रीत ने जवाब दिया तो विधी ने अपना सिर पीट लिया । 

यहां नीचे प्रमाद जी अपने सिर सहलाते हुए आस पास नजरें दौडाए जा रहे थे । उनके सिर पर सूजन आ चुकी थी । अभय जी ने उनके पास आकर कहा " क्या बात है जमाई सा आप किसे ढूंढ रहे हैं ? " 

" पता नहीं भाई सा हमें ऐसा लगा किसी ने हमारे सिर पर पत्थर फेंककर मारा । देखिए सूजन भी आ गई । " प्रमाद जी ने कहा तो अभय जी आस पास हैरानी से देखने लगे । जब उन्हें कोई नज़र नही आया तो उन्होंने विनीत जी से कहां " लेकिन हमें तो यहां कोई नज़र नहीं आ रहा । " 

" रहने दीजिए भाई सा बस छोटी सी चोट है । अच्छा अब हमें इजाजत दीजिए । " इतना कहकर प्रमाद जी उससे विदा लेकर वहां से चले गए । 

इधर छत पर विधी और रीत दोनों ही नीचे झुके हुए थे । विधी ने हल्का सा उठकर नीचे की ओर झाका तो उसे उन तीनों में से वहां कोई नज़र नहीं आया ‌‌। उसने एक गहरी सांस लेकर कहा ' बच गए । " ये कहते हुए रीत की ओर देखा जो अपने ही ख्यालों में खोई हुई थी । उसने रीत को हिलाते हुए कहा " क्या सोच रही है रीत ? " 

" यही की मुसीबतें किती बेशर्म होती है न , जो बिन बुलाए कही भी कभी भी चली आती है ‌‌। " रीत के इस जवाब पर विधी से कुछ कहा नही गया । कुछ देर बाद दोनों नीचे चले आए । विधी अपने घर के लिए निकल गई और रीत सीधे बडी मां के कमरे में चली आई । रीत गुस्से से मूंह फुलाए उनके कमरें में आकर बोली " बडी मां क्या आप लोग मुझसे प्यार नहीं करते ? " 

" क्या बात है रीत बेटा तुम ऐसा क्यों कह रही हो ? " शारदा जी ने पूछा तो रीत आगे बोली " फिर पापा और बडे पापा मेरे लिए लडका क्यों देख रहे है ? " 

शारदा जी रीत के गुस्से को समझ गई । वो उसके पास आई और उसके गालों पर अपने हाथ रख बोली " सिर्फ रिश्ते की बात छिडी है अभी शादी धोडी न कर रहे है आपकी । पहले हम लडके को देखेंगे अगर वो हमे पसंद आएगा तो ही हम आगे बात करेंगे । हम अपनी राजकुमारी का हाथ ऐसे ही किसी के भी हाथों में थोडी न दे देंगे । " शारदा जी कह ही रही थी कि तभी रीत उनसे दो कदम दूर जाते हुए बोली " लेकिन बडी मां आप लोगों ने तो इसके बारे में हमे कुछ बताया ही नहीं । आपकों तो पता है न अभी हम पढना चाहते हैं फिर हमारे लिए क्यों रिश्ता देखा जा रहा है । " 

" बेटा अभी आप इस बारे में ज्यादा मत सोचिए । सब अच्छा होगा ।  " शारदा जी रीत को समझाने की कोशिश में जुट गई ।

इधर अश्वत्थ जब घर आया , तो अवंतिका ने उसे ये सारी बातें बताई । अश्वत्थ के आश्चर्य की सीमा न रही । वो हैरान होकर बोला " पापा और काका सा इतना बडा फैसला अचानक कैसे ले सकते है । क्या ये बात लाड़ो जानती है ? " 

" हां उन्हें भी इस बारे मे पता चल चुका है और लाड़ो इस बात से बेहद नाराज़ है । मां ने उन्हें समझाया भी लेकिन वो किसी की बात समझने की कोशिश नही कर रही । "  अवंतिका ने चिंता भरे स्वर में कहा तो अश्वत्थ भी सोच में पड गया । 

.................

शाम का वक्त , प्रतापगढ़ 

रुहान इस वक्त अपने कमरे में सोफे पर बैठा लैपटॉप पर काम कर रहा था । किसी ने कमरे का दरवाजा खटखटाया तो रूहान बिना दरवाजे की ओर देखकर बोला " दरवाजा खुला है अंदर आ जाओ । " उसके इतना कहते ही एक नौकर अंदर आया और सिर झुकाए बोला " हुकुम सा ने आपको हवेली के पीछे वाले हिस्से में बुलाया है । " 

इतना सुनते ही की बोर्ड पर चल रहे रूहान के उंगलियां अचानक से रूक गई । उसके होंठों पर मुस्कुराहट तैर गई । उसने अपनी नजरें उठाई और बोला काका सा से कहिए हम थोडी ही देर में वहां पहुंच रहे है । " नौकर आदेश सुनकर वहां से चला गया । 

कुछ देर बाद रूहान हवेली के उस पीछे वाले हिस्से में पहुंचा जहां हुकुम सा ने उसे बुलाया था । रूहान गलियारों से होकर गुज़र ही रह थी कि तभी उसके कानों तक तलवारों के टकराने के शोर सुनाई देने लगे । वो जब वहां पहुंचा तो देखा विजय जी अपने किसी खास आदमी के साथ तलवारबाजी कर रहे थे । राणा जी उनसे थोडी ही दूरी पर खड़े थे । उम्र का तकाजा उनपर बिल्कुल न था । वो आज भी किसी योद्धा की भांती तलवार चला रहे थे । उनकी नज़र रूहान पर गई तो उसी बीच सामने वाले व्यक्ति के वार से विजय जी की तलवार नीचे गिर गई , लेकिन संभलते हुए उन्होंने दूसरी ओर से ढाल अपने हाथों में ले ली और उसके वार को रोकते हुए बडी ही चपलता से जमीन पर गिरी अपनी तलवार उठा ली । उनके तलवार के प्रहार से सामने वाले व्यक्ति की तलवार नीचे गिर गई । रूहान ने ये देखते ही अपने दोनों हाथ उठाकर तालियां बजाते हुए कहा " मानना पडेगा काका सा आपसे अच्छी तलवार बाजी करना औरों के लिए संभव नही । " 

" ये सब तो भाई सा का सिखाया हुआ है । हम तो बस उन्ही को याद रखने की कोशिश करते हैं । चलिए आइए जरा हम भी देखे इतने सालों मे वहां रहकर आपने क्या सीखा ? " ये कहते हुए विजय जी ने वहा रखी थाल से तलवार उठाकर रूहान की ओर फेंका  । रूहान ने हवा में ही हाथ बढ़ाकर तलवार को थाम लिया । उसने तलवार के नुकीले हिस्से को देखते हुए कहा " काका सा इन अठारह सालों मे भले हम विदेश में रहे हो , लेकिन हमारी परवरिश तो आपने एक राजपूत की भाती ही की है । " 

" इसलिए तो कह रहे है , हमे भी अपना हुनर दिखाइए आखिर आपने क्या सीखा ? " विजय जी ने कहा ।

" लेकिन काका सा हम आप पर हथियार कैसे उठा सकते हैं ? "  रूहान कह ही रहा था कि तभी विजय जी ने कहा " बेटा मैदान ए जंग में आपको अपनों से भी लडना पडेगा । इसलिए संकोच न करे तलवार उठाए और हमपर वार करे । " रूहान अभी भी सोच रहा था कि तभी विजय जी ने कहा " ........  हमारा पहला वार संभालिए इसे ...... इतना कहकर विजय जी ने उसपर प्रहार किया । रूहान ने बडे ही अच्छे से उनके प्रहार का जवाब दिया । कभी वो भारी पडता तो कभी विजय जी उस पर भारी पडते । विजय जी उसके हर एक कौशल को परखने का प्रयास कर रहे थे । वो वार करना और उसे रोकना अच्छे से जानता था । अंत में विजय जी की तलवार छूटकर जमीन पर गिर पडी तो रूहान ने खुद को रोक लिया । विजय जी खडे मुस्कुरा रहे थे । रूहान ने आगे बढ़कर अपनी तलवार उनके कदमों मे रखी और उनके पांव छूकर बोला " आप पर तलवार चलाने की गुस्ताखी की है उसके लिए क्षमा चाहता हूं । " विजय जी ने उसे कंधे से पकड़कर उठाते हुए कहा " आपने साबित किया है कि हमारी दि हुई शिक्षा बेकार नही गई । आप बहुत अच्छी तलवार बाजी करते है । " ये कहते हुए विजय जी ने उसे अपने गले से लगा लिया । विजय जी उससे अलग हुए और मुस्कुराकर बोले " वैसे हमने आपको यहां इसलिए बुलाया था , क्योंकि हमें आपको एक खुशखबरी देनी थी । " 

" कैसी खुशखबरी काका सा ? " रूहान ने पूछा तो विजय जी बोले " आईए बैठकर बात करते है । " इतना कहकर वो दोनों वहा पास में रखे सोफे के पास चले आए । विजय जी ने पहले वहां रखे रूमाल से अपना पसीना पोछा और फिर सोफे पर बैठते हुए बोले "' खुशखबरी ये है कि देवेंद्र प्रताप सिंह और अभय प्रताप सिंह को आपकी तस्वीर पसंद आई और वो हमसे मिलना चाहते हैं । " 

एक पल के लिए रूहान के होंठों पर जीत भरी मुस्कान तैर गई , लेकिन उसने अपनी भावनाओं को अपने अंदर ही दबा लिया । उसने विजय जी की ओर देखकर कहा " लगता है उन्हें अपनी बर्बादी से मिलने की बहुत ज्यादा जल्दी है । कोई नही उनकी इच्छा हम बहुत जल्द पूरी कर देंगे । " 

विजय जी कुछ सोचते हुए बोलो " एक बार फिर सोच लीजिए रूहान इन सब में रीत का कोई दोष नहीं । कही आप अपने इंतकाम में किसी बेगुनाह को न सज़ा दे दे । " 

" काका सा दोष तो हमारा भी कुछ नहीं था , फिर भी बरसो हमने सजा भुगती । उस लडकी को भी अपने पिता के गुनाहों की सजा भुगतनी पडेगी । " रूहान बिना विजय जी की ओर देखे ये सब कहे जा रहा था । इस वक्त उसके चेहरे पर जो भाव थे उसे समझना किसी के बस की बात नही थी । विजय जी एक गहरी सांस लेते हुए बोले " ठीक है फिर ये बताइए की हैदराबाद कब चलना है ? " 

" तीन दिन बाद " रूहान ने बिना किसी झिझक के कहा तो विजय जी बोले " तीन दिन बाद क्यूं ? " 

" हम हैदराबाद में जमीन खरीदने की सोच रहे है ताकी वहा अपनी फैक्ट्री शुरू कर सके । इससे कारोबार भी बढेगा और बाबा सा का हम पहला सपना पूरा करेंगे । वो चाहते थे न हैदराबाद में एक कपडो की फैक्ट्री खोली जाए , तो बस हम उसी सपने को सबसे पहले पूरा करेंगे । एक ब्रोकर है जो हमारी इस काम में मदद कर रहा है । उसने कुछ जमीनो के बारे में बताया भी है । हम एक बार उन्हें देख लेंगे और सब कुछ सही रहा तो रजिस्ट्री करवाकर फैक्ट्री का काम भी शुरू कर देंगे । साथ ही अपने दुश्मनों से मुलाकात भी कर लेंगे । उन्हें मिटाने के लिए पहले उन्हें जानना होगा । " रूहान की बातें सुनकर विजय जी ने कहा " आपको जैसा ठीक लगे आप कीजिए । हम हर कदम पर आपका साथ निभाएंगे , लेकिन जिस पल हमें एहसास होगा आपकी अग्नि की ज्वाला में कोई बेकसूर अपना दम तोड रहा है तो उस वक्त हम वो पहले इंसान होंगे जो आपके खिलाफ खडा होगा । इसलिए जो भी कीजिए सोच समझ कर कीजिए । " इतना कहकर विजय जी वहा से चले गए । रूहान बस हैरानी से उनकी बातों को सोचता रह गया । 

*******************

रीत के लिए आया रिश्ता कैसे ठुकरा पाएगी रीत ? ख्या वो घरवालों को समझा पाएगी ? क्या रूहान सचमुच अपने इंतकाम की आग में किसी बेकसूर को जलाने वाला है ? आगे क्या होगा कहानी में ये जानने के लिए पढ़ते रहिए मेरी नोवल

सागर से गहरा इश्क पियाजी

( अंजलि झा )

*******************


19
रचनाएँ
Sagar se gehra Ishq piyaji
0.0
रीत प्रताप सिंह जिसे शैतानी गुड़िया कहना गलत नहीं होगा । इन्हें अपनी मुस्कुराहट के पीछे छुपे गम की कोई परवाह नहीं लेकिन दूसरो को खुश रखना बखूबी जानती है । बरसात से इन्हें इतना प्यार है जिसकी कोई हद नहीं । ये आप खुद ब खुद पढ़ने के बाद जान जाएंगे । वही दूसरी ओर है रूहान सिंह शेखावत जिन्हें सिवाय बदले के और किसी का अर्थ मालूम नही । दो अलग जगह और एक दूसरे से जुदा ये लोग क्या इनकी किस्मत इन्हें पास लाएगी और लाती भी है तो क्या अंजाम दिखाएगी ये जानने के लिए पढ़ते रहिए मेरी नोवल " सागर से गहरा इश्क पियाजी " ! .....
1

बरसात की रीत -1

7 मई 2023
2
0
0

आंध्र प्रदेश की राजधानी हैदराबाद के अंदर बसा एक खूबसूरत शहर विजयवाड़ा । इसकी बात ही कुछ और है । भारत का दूसरा सबसे बडा शहर भी कहां जाता है इसे । बस यही से शुरू होती है हमारी नई कहानी ' सागर से गहरा इश

2

इस बैरन छतरी को दूर रखिए मुझसे -2

7 मई 2023
1
0
0

रीत के कदम रुक गए और वो मूंह बनाते हुए मन में बोली " ये ऐसे नही मानने वाली । अभी बताती हूं इसे । " ये कहते हुए रीत विधी की ओर बढ गई । विधि ने उसे अपनी ओर आते देखा , तो अपने कदम पीछे लेते हुए बोली " नह

3

प्रतापगढ़ और हुकुम सा -3

7 मई 2023
0
0
0

अर्जुन हैरान होकर धीरे से बोला " कैसा प्रोमिस .....? " उसके ये कहते ही रीत उसे हैरानी से देखने लगी । उसने धीरे से कहा " मतलब आपको कुछ याद नहीं । आपने हमसे प्रोमिस किया था न एग्जाम खत्म होने के बाद आप

4

एक मुलाकात रूहान से -4

7 मई 2023
1
0
0

अबु धाबी इंटरनेशनल एयरपोर्ट , दोपहर का वक्तएक लडका जिसकी उम्र करीब चोबीस से पच्चीस साल के आस पास होगी । ब्लैक कलर के कोट पैंट में काफी डैशिंग नज़र आ रहा था । उसका औरा उसकी पर्सनेलिटी को अच्छे से डिस्क

5

बंधन बहुत कष्टदायक होता है -5

7 मई 2023
0
0
0

मंदिरा ने रूहान की ओर देखकर कहा " आई थिंक यूं आर इंडियन । खैर तुम जो भी हो मुझे कोई फर्क नहीं पड़ता । मुझे तुमसे प्यार हो गया है आई लव यू । " उसके ये कहते ही वहां खड़े गार्डस हैरानी से एक दूसरे का चेह

6

रीत पर अभय जी का गुस्सा -6

13 मई 2023
0
0
0

रीत सडक पर चलते हुए खुद से बोली " ये मैं कहा चली आई । मुझे तो यहां का रास्ता भी नही पता । न ही फोन है जिससे मदद के लिए बड़े भैया को कॉल करू । वो लोग जरूर मुझे लेकर परेशान हो रहे होंगे । " रीत ने अपनी

7

हमारी लाडो को सजा मत दीजिए -7

13 मई 2023
0
0
0

' ठीक है फिर आपकी सजा ये है कि आप दोनों आज रात भूखे सोएंगे और रीत भी । ' अभय जी ने ये कहा तो अश्वत्थ हैरान होकर बोला " काका सा लापरवाही हमारी है तो सजा हमें दीजिए रीत को नही । सिर्फ एक नही हम दस रातें

8

आपको शादी करनी होगी रूहान -8

13 मई 2023
0
0
0

अवंतिका ने आकर दरवाज़ा खोला , तो देखा बाहर रीत खडी थी । " लाड़ो आप इतनी रात को यहां क्या कर रही है ? " अवंतिका ने पूछा तो रीत बोली " भाभी क्या बडे भैया अंदर है ? " अवंतिका ने हां में सिर हिलाया और साइ

9

इंतकाम की आग -9

13 मई 2023
0
0
0

रूहान गुस्से से ये सब कहे जा रहा था तभी पीछे से किसी ने कहा " हमने इन्हें इजाजत दी है । " रूहान आवाज की ओर पलटा तो देखा देविका जी सफेद साडी पहने खड़ी थी । उन्हें इस लिवाज मे देखकर रूहान के दिल पर क्या

10

नफरत हैं रीत प्रताप सिंह मुझे तुमसे -10

13 मई 2023
0
0
0

माधव चिढते हुए बोला " तुम लोगो को मेरा मजाक उडाने मे बहुत मजा आ रहा है न , तो ठीक है उडाओ मै चला अपने घर । " इतना कहकर माधव जाने के लिए आगे बढ गया । उसे जाता देख रीत और विधी दोनों उसके पास आई और उसकी

11

श्रवण को पडा थप्पड़ -12

13 मई 2023
0
0
0

श्रवण वापस से उस लडकी की ओर देखकर खुद से बोला " जिसके बारे में जानना है उसी से डायरेक्ट पूंछ लेता हूं न । " इतना कहकर श्रवण उस लडकी की ओर कदम बढ़ाने लगा । वर्कर्स वहां से जा चुके थे और वो लडकी अपनी फा

12

रीत की मस्ती अर्जुन के साथ -13

13 मई 2023
0
0
0

रात का वक्त , रीत की हवेलीदेर रात सब अपने अपने कमरे में सो रहे थे । अर्जुन अपने कमरे की बालकनी में खडा किसी से फ़ोन पर बात कर रहा था । इसी बीच उसकी नज़र किसी शख्स पर पडी , जो रात के अंधेरे में गार्डस

13

रीत के लिए रिश्ता -14

13 मई 2023
0
0
0

प्रमाद जी अभय जी और देवेंद्र जी से मिल ही रहे थे , कि तभी शारदा जी वहा चली । प्रमाद जी ने उनके पांव छूकर उनका भी आशिर्वाद लिया । " जमाई सा आप विनीता को अपने साथ नही लाए । " शारदा जी ने पूछा तो प्

14

रूहान ने लिया हैदराबाद जाने का फैसला -15

13 मई 2023
0
0
0

हमारे लाडले फूफा जी ........ तीन साल से तो इन्हें हमारी कोई याद नही आई और आज मूंह उठाकर मेरा रिश्ता लेकर चले आए । इन्हें तो मैं छोडूगी नही । " ये कहते हुए रीत मुंडेर की ओर बढ़ने लगी । " रीत लेकिन

15

प्यार के एहसासों से भरी कविता कैसे लिख डाली -16

13 मई 2023
1
0
0

रात का वक्त , रीत की हवेली रीत इस वक्त हवेली के पीछे वाले हिस्से में तालाब के पास मौजूद थी । वो तालाब किनारे लेटी एक टक पानी में निहारें जा रही थी । उसका एक हाथ पानी के अंदर था । धिया उसके आस पास

16

रूहान का हैदराबाद पहुंचना -17

13 मई 2023
0
0
0

रात का वक्त , रूहान की हवेलीरात के खाने के समय सब लोग डायनिंग टेबल के पास मौजूद थे सिवाय रूहान के । देविका जी ने किसी नौकर से कहकर रूहान को बुलाने के लिए कहा था । इधर बाकी सब घरवाले रीत की तस्वीर देखन

17

रूहान और रीत की पहली मुलाकात -18

13 मई 2023
0
0
0

" मानता हु यहां फैक्टरी बनाने से मुझे काम करने वाले मजदूर आसानी से मिल जाएगे , लेकिन मै एक उपजाऊ जमीन पर फैक्ट्री खडी कर इस जमीन को खराब नही कर सकता । इस तरह हम सारी फैक्ट्रियां उपजाऊ जमीन पर खडी करे

18

हम इनके बच्चे की मां बनने वाले हैं -19

13 मई 2023
1
0
0

उस लडके ने अपनी आंखों पर से गोगल्स हटाए और रीत को ऊपर से नीचे तक देखते हुए मन में कहा " यही वो लडकी है , लेकिन इस तरह सडक पर दर्शन देने का क्या मतलब ? सजना संवरना तो दूर की बात इसे तो ये भी हो नही पता

19

रूहान का रीत की हवेली जाना -20

13 मई 2023
0
0
0

रूहान ने बिना श्रवण के जवाब का इंतजार किए फ़ोन काट दिया । श्रवण इस वक्त विजय जी और राणा जी के साथ गाडी मैं था । विजय ने उसकी ओर देखकर पूछा " क्या हुआ किसका फ़ोन था ? " " रूहान का फोन था काका सा उ

---

किताब पढ़िए

लेख पढ़िए