नई दिल्ली: IFS संजीव चतुर्वेदी देश के उन अफ़सरों में शुमार हैं जो कि भ्रष्टाचार के खिलाफ फ़ैसला लेने से पहले न रसूख देखते हैं न ही पद, फ़ैसल आन द स्पाट। इस वक़्त संजीव उत्तराखंड में तैनात हैं। IFS संजीव चतुर्वेदी के एक नोटिस ने सनसनी मचा दी है। उनकी तैनाती को लेकर उत्तराखंड के वन मंत्री की सार्वजनिक टीका-टिप्पणी करने से आक्रोशित संजीव ने वन मंत्री को व्यक्तिगत आधार पर भेजे गए नोटिस में लिखा कि ‘वन मंत्री दिनेश अग्रवाल यदि पार्टी के केंद्रीय नेतृत्व और आला नेताओं की नीति से सहमत नहीं तो वे नैतिकता के आधार पर कांग्रेस पार्टी से इस्तीफा दे दें। एक ओर उनका केंद्रीय नेतृत्व मुझे भ्रष्टाचार के ख़िलाफ़ एक आदर्श प्रतीक के तौर पर सम्मान देता है और वे मुझ पर अनर्गल टिप्पणियां करने से नहीं हिचकते।’ संजीव एक आदर्श स्थिति और ईमानदारी की मिसाल कहे जाते हैं।
वनमंत्री की इस टिप्पणी से संजीव हुए नाराज़
IFS अधिकारी संजीव ने वन मंत्री की इस प्रकार की टिप्पणियों का जवाब देने के लिए उन्होंने अखिल भारतीय सेवा आचरण नियमावली के नियमों के तहत मुख्य सचिव से अनुमति मांगी है। चतुर्वेदी ने कहा कि इस मामले में वे वनमंत्री के खिलाफ मानहानि का केस भी कर सकते हैं। संजीव ने अपने पत्र में दिनेश अग्रवाल द्वारा पोस्टिंग को लेकर की जा रही बयानबाजी को सरासर झूठ बताते हुए लिखा है कि उन्होंने कभी भी दिल्ली में पोस्टिंग की मांग नहीं की थी और यह बात दस्तावेज में भी स्पष्ट है। बीते 18 दिसंबर को हल्द्वानी में एक पत्रकार वार्ता के दौरान दिनेश अग्रवाल ने संजीव चतुर्वेदी के संबंध में पूछे गए एक सवाल के जवाब में यह कह दिया था कि ‘वे अफसर हैं नौकरी करें, राज्य चलाने की कोशिश न करें’।
कांग्रेस पार्टी की वेबसाइट पर नाम का किया ज़िक्र
वन मंत्री को नोटिस भेजते हुए संजीव चतुर्वेदी ने कहा है कि जिस कांग्रेस पार्टी से वे मंत्री हैं, उसका केंद्रीय नेतृत्व उनकी बिना अनुमति के न केवल पार्टी की वेबसाइट पर उनकी फोटो चस्पा किए घूम रहा है, बल्कि भ्रष्टाचार के खिलाफ लड़ाई में और उनके द्वारा किए गए कार्यों की जमकर सराहना करता है। उनका पूरा करियर भ्रष्ट नेताओं और अफसरों के खिलाफ लड़ाई में ही बीता है। खुद भारत के राष्ट्रपति ने दो बार उनके कैरेक्टर रोल में उत्कृष्ट लिखा है। ऐसे में वन मंत्री का बयान शर्मनाक है। चार पन्ने के इस पत्र में पूर्ववर्ती कैडर हरियाणा के तत्कालीन मुख्यमंत्री भूपेंद्र सिंह हुड्डा और वन मंत्री किरण चौधरी के अलावा तमाम वरिष्ठ अधिकारियों के घपलों का पर्दाफाश करके उनके मामले की सीबीआई जांच के लिए केस दायर करने की बात भी कही है, जिसकी सुनवाई अंतिम चरण में है।
IFS संजीव ने दी चेतावनी
संजीव ने ख़त लिखकर यह चेतावनी भी दी है कि अगर उत्तराखंड राज्य में भी इसी प्रकार कोई मंत्री भ्रष्टाचार में लिप्त पाया गया, तो उसके विरुद्ध भी वह एक अधिकारी और एक नागरिक होने के नाते उसी प्रकार की कार्रवाई करेंगे, जैसी हुड्डा और नड्डा के मामले में की है। पत्र के अंत में स्पष्ट किया है कि यह पत्र वह व्यक्तिगत हैसियत से लिख रहे हैं, क्योंकि टिप्पणियों से उनकी व्यक्तिगत मानहानि हुई है। गौरतलब है कि संजीव ने पूर्व में भी अपनी तैनाती को लेकर टीका-टिप्पणी बंद करने की मांग की थी।
हालांकि वन मंत्री ने कहा कि मुझे संजीव चतुर्वेदी का कोई पत्र अभी तक नहीं मिला है। उन्होनें कहा कि पहली बात तो मैंने उनकी कोई मानहानि की नहीं हैं। आजतक मैं कभी उनसे मिला भी नहीं हूं। उनसे मेरी कोई व्यक्तिगत रंजिश भी नहीं है। और हां, अगर उन्होंने कोई पत्र भेजा है तो मैं कानून का विद्यार्थी रहा हूं। उसका जवाब दिया जाएगा। ऐसे लगता है कि संजीव को अखबारों में छपने का शौक है, जो इस तरह से कुछ न कुछ चीजें निकाला करते हैं।
क्या कहा था वन मंत्री ने
दरअसल मंत्री महोदय ने ‘अधिकारी को अधिकारी की तरह रहना चाहिए। राज्य चलाने की कोशिश नहीं करनी चाहिए। टीका-टिप्पणी से चर्चाओं में तो रहा जा सकता है लेकिन काम नहीं किया जा सकता है। संजीव चतुर्वेदी ने पहले दिल्ली में रहने और बाद में उत्तराखंड आने की इच्छा जताई थी। अब उन्हें यहां तैनाती मिल गई है तो शांति से काम करें। वैसे भी अधिकारी पोस्टिंग के लिए टीका-टिप्पणी करते ही रहते हैं।’
पूरा घटनाक्रम -:
- 11 अगस्त-15 को जान के खतरे को देखते हुए संजीव को हरियाणा से बदलकर उत्तराखंड कैडर अलाट हुआ।
- 6 नवंबर-15 को राज्य सरकार ने साढ़े तीन साल दिल्ली सरकार में काम करने के लिए एनओसी जारी की।
- 6 जनवरी-16 को राज्य सरकार ने उत्तराखंड में योगदान देने के निर्देश देते हुए एनओसी को वापस ले लिया।
- 29 अगस्त-16 सरकार ने एनओसी खारिज कर योगदान के नाम पर उत्तराखंड में संजीव की ज्वाइनिंग कराई।
- 11 नवंबर-16 को संजीव ने शासन को पत्र लिखकर विजिलेंस विभाग में काम करने की इच्छा जताई।
- 25 नवंबर-16 को संजीव चतुर्वेदी को दिल्ली में एनजीटी का कामकाज देखने के लिए ओएसडी बनाया।
- 26 नवंबर-16 को मुख्य सचिव के स्तर से दिल्ली तैनाती का आदेश अचानक वापस लेने का फैसला हुआ।
- 26 नवंबर-16 को मुख्यमंत्री ने प्रेस कांफ्रेंस में संजीव से उनकी पसंद की तैनाती लिखित में देने को कहा।
- 5 दिसंबर-16 को संजीव ने विजिलेंस में तैनाती मांगी थी, लेकिन शासन ने वन संरक्षक अनुसंधान बना दिया।
- 13 दिसंबर -16 को संजीव ने पदभार लेने के बाद बोर्ड की सिफारिश के बगैर हुई नियुक्ति को अवैध बताया।
- 28 दिसंबर -16 को वन मंत्री को पत्र भेजा और मानहानि करने का आरोप लगाते हुए इस्तीफे की मांग कर दी।