नई दिल्ली : जम्मू-कश्मीर के उडी में सेना के मुख्यालय पर हुए आतंकी हमले से पहले इन्टेलिजेंस ब्यूरो (IB) ने 15 सितंबर को सटीक जानकारी देते हुए आगाह किया था कि भारतीय सेना और बीएसएफ के बड़े केम्पस और ब्रिग्रेड हेडक़्वार्टर पर आतंकी हमला कर सकते हैं। अलर्ट में कहा गया था कि यह हमले फिदायीन भी हो सकते हैं। जिसके बाद हमले को रोकने के लिए अंतराष्ट्रीय सीमा को भी हाईअलर्ट पर रखा गया था। सेना और बीएसएफ को किसी भी आतंकी हमले की आशंका के लिए आगाह किया गया था।
पदस्थ सूत्रों की माने ऐसा कहा जा रहा है कि ब्रिगेड मुख्यालय पर सेना की ओर हुई शिथिलता के कारण आतंकी बाउंडरी वॉल को लांघकर आने में सफल रहे। इससे पहले भी पुंछ इलाके में एक फिदायीन हमले को सेना ने विफल किया था। आईबी की रिपोर्ट में कहा गया है कि इस साल सेना की निगरानी वाली अंतरराष्ट्रीय सीमा (LOC) पर घुसपैठ की 70 घटनाओं में आतंकियों को सफलता मिली है। रिपोर्ट में कहा गया है कि सीमा से आतंकी घुसपैठ की ये घटनाएं साल 2015 के मुकाबले अधिक है। जबकि इस साल अभी तक बीएसएफ की निगरानी वाली सीमा पर घुसपैठ की कोई भी घटना सामने नहीं आयी है।
आईबी ने अपनी रिपोर्ट में यह भी कहा है कि सेना के जवान सीमा पर मुस्तैद रहते हैं इसलिए उनपर ऊँगली नहीं उठाई जा सकती है लेकिन IB का कहना है कि ऐसे आतंकी हमलों को विफल करने के लिए कई और महत्वपूर्ण कदम उठाने होंगे। प्रधानमंत्री मोदी की अध्यक्षता में आज हुई बैठक में आईबी, सेना सहित कई अधिकारी भी मौजूद थे। बैठक में ऐसे तमाम बिंदुओं पर चर्चा की गई कि आखिर आतंकी इस तरह की घटनाओं को करने में कैसे सफल हो जाते हैं और उनको रोके जाने के लिए अभी और क्या प्रयास किये जाने की जरूरत हैं।