दिल्ली : गोरक्षा को लेकर देश में मचे बवाल के बीच पशुओं की सुरक्षा और देखरेख को लेकर केंद्र सरकार की एक अहम योजना के बारे में पता चला है. केंद्र गायों के लिए भी आधार कार्ड जैसी योजना लागू करना चाहता है. सरकार ने यह जानकारी मंगलवार को कोर्ट में दी.
सरकार ने बताया कि वह यूआईडी जैसी व्यवस्था के जरिए गायों को लोकेट और ट्रैक करना चाहती है. इससे गाय की नस्ल, उम्र, रंग और बाकी चीजों का ध्यान रखा जा सकेगा. बता दें कि केंद्रीय गृह मंत्रालय ने इस बारे में अपनी सिफारिश केंद्र सरकार को सौंपी है.
केंद्र सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में दाखिल अपनी रिपोर्ट में कहा कि भारत और बांग्लादेश की सीमा पर बड़े पैमाने पर पशुओं की तस्करी हो रही है. सरकार के मुताबिक, पशुओं की हिफाजत और देखरेख के मुद्दे पर जॉइंट सेक्रटरी की अगुआई में एक कमिटी का गठन किया गया, जिसने कुछ खास सिफारिशें की हैं.
अपनी रिपोर्ट में केंद्र ने कहा है कि आवारा पशुओं की सुरक्षा और देखरेख का जिम्मा राज्य सरकार का है. एक अन्य सिफारिश के मुताबिक, हर जिले में कम से कम 500 पशुओं की क्षमता वाला संरक्षण गृह होना चाहिए. इससे पशुओं की तस्करी में कमी आएगी.
केंद्र ने अपनी रिपोर्ट में यह भी कहा कि देश की हर गाय और उसके बछड़े को ट्रैक करने के लिए यूनिक आइडेंटिफिकेशन नंबर होना चाहिए. पशुओं के दूध देने की उम्र के बाद उनका खास ख्याल रखे जाने को लेकर भी सुझाव दिए गए हैं.
बांग्लादेश में मिलती है मुंह मांगी कीमत
बांग्लादेश में भारतीय गायों की मुंह मांगी कीमत मिलती है. बॉर्डर सिक्योरिटी फोर्स यानी बीएसएफ के मुताबिक भारत से हर साल करीब साढ़े तीन लाख गायों को चोरी छिपे बांग्लादेश सीमा पार करवाकर बेचा जाता है. तस्करी का सालाना कारोबार 15 हजार करोड़ रुपये से ज्यादा का है.
गृहमंत्रालय के मुताबिक साल 2014 और 2015 के दौरान बीएसएफ ने 34 गाय तस्करों को मुठभेड़ में मार गिराया, बांग्लादेश के बॉर्डर एरिया से तस्करी करने के लिए ले जाईं जा रहीं 200 से 250 गायों को बीएसएफ रोजाना बरामद करती है. असम गाय तस्करी का हॉट स्पॉट है. यहां से बांग्लादेश की करीब 263 किलोमीटर लंबी सीमा लगती है. यही बॉर्डर असम से गायों को बांग्लादेश पहुंचाने का रूट बनता है.