अहमदाबाद: गुजरात में साल 2002 के दंगो को कौन भूल पाया हैं जिसमें हिन्दु और मुसलमान एक दुसरे के खुन के प्यासे हो गए थे लेकिन आज के तारिख में वहां एक हिन्दू युवक के सीने में धड़का एक मुसलमान का दिल. यह खबर पुराने जख्मों पर मरहम की तरह हैं.
कहते है कि इंसानित का रिश्ता खून के रिश्ते से भी बड़ा होता है. और इसी रिश्ते को आगे बढ़ा रहै गुजरात के अहमदाबाद का सांप्रदायिक सौहार्द , जिसमें एक ब्रेन डेड मुस्लिम युवक के दिल से हिंदू युवक के सीने को धड़काया गया और हार्ट ट्रांसप्लांट के बाद उस हिंदू युवक को एक नई ज़िंदगी दी गई.
डॉक्टर ने बताया कि उन्होंने इस हर्ट ट्रांसप्लांट के लिए जानकारी जुटानी शुरू कर दी, जिसके दौरान उन्हें आसिफ के बारे में पता चला. इसके साथ ही डॉक्टरों ने यह बताया कि आसिफ का ब्ल्ड ग्रुप ओ पोजेटिव है जो किसी को भी दिया जा सकता है और आसिफ का ब्रेन भले ही डेड रहा हो गया था, बाकि अंग पूरी तरह फिट थे.
डॉक्टर धिरेन शाह ने बताया कि अरजान को जमनानगर के एक अस्ताल में भर्ती कराया गया, जो हिस्टामिन कार्डिएक डिसऑर्डर नाम की बीमारी से पीड़ित थे, जिसमें व्यकित का हृद्य फेल हो जाता है. इसके बाद अरजान को हमने वेन्टिलेटर और बैलून पंप के सहारे रखा, लेकिन जब अरजान के बचाने की कोई उम्मीद नहीं रही तब हमें ब्रेन डेड हो चुके आसिफ के बारे में पता चला. सोमवार को 9 बजकर 30 मिनट पर यह सर्जरी शुरू की गई जो लगभग एक घंटे तक चली और यह ट्रांसप्लांट कामयाब रहा.
47 साल के अरजान अंबलिया को भावना नगर के आसिफ जुनेजा का दिल ट्रांसप्लांट किया गया. एक चार्टेड प्लेन के जरिए सोमवार को आसिफ का दिल भावना नगर से अहमदाबाद भेजा गया, जिसे एक निजी अस्पताल में ट्रांसप्लांट किया गया.
आसिफ जुनेजा किसान परिवार से आते हैं और 17 दिसंबर को एक कार से टक्करा जाने के बाद जख्मी हो गए. इसके बाद उन्हें अस्पताल में भर्ती किया गया जहां डॉक्टरों ने उन्हें 20 दिसंबर को ब्रेन डेड घोषित कर दिया. इंसानियत के रिश्ते को मजबूत करने वाली इस कहानी पर भावना नगर के न्यूरो सर्जन कबारिया ने अग्रेजी अखबरा द टाइम्स ऑफ इंडिया से कहा कि जुनेजा परिवार के हम शुक्रगुजार हैं, जिन्होंने आसिफ के अंगों को दान के लिए रजामंदी दी. बातचीत में डॉक्टर ने बताया कि न सिर्फ दिल बल्कि आसिफ के दोनों किडनी, लिवर और अग्न्याशय को भी दूसरे लोगों की मदद के लिए निकाल लिया गया है.