नई दिल्ली : धूमधाम से हर साल अपना 'बर्थडे' मानाने वाली बसपा सुप्रीमो इस बार अपने जन्मदिन पर कोई धूमधड़ाका नहीं करेंगी. पिछले कई सालों से मायावती का जन्मदिन आलीशान तरीके से मनाया जाता रहा है, जिसकी चर्चा हमेशा सुर्ख़ियों में बनी रहती थी, लेकिन इस बार बसपा सुप्रीमो ने अपना 61वां जन्मदिन सादगी पूर्ण ढंग से मनाये जाने का फैसला किया है.
नोटबंदी का असर
सूत्रों के मुताबिक इस बार मायावती के 61 वें जन्मदिन पर कोई बड़ा तो समारोह होगा ही नहीं, इस बार तो केक भी नहीं काटा जाएगा. इससे पहले उनका जन्मदिन उनकी उम्र के बराबर के वजन के बनते थे. इसके साथ ही उनको विशाल माला भी पहनाई जाती थी. इस बार ऐसा कुछ भी देखने को नहीं मिलेगा. दरअसल पीएम मोदी की नोटबंदी के चलते बसपा सुप्रीमो ने यह फैसला किया है. बताया जाता है कि अगर बहनजी अपना जन्मदिन मनाती हैं तो उनके लाख मन करने के बाद भी कार्यकर्ता उन्हें तोहफा देने से बाज नहीं आएंगे. जिसके चलते बहनजी विधानसभा चुनाव से पहले केंद्र सरकार से कोई खतरा मोल नहीं लेना चाहती हैं.
चुनाव में व्यस्त हैं पार्टी के लोग
हालांकि बहुजन समाज पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष रामअचल राजभर ने कहा कि पार्टी इस समय उत्तर प्रदेश के विधानसभा चुनाव की तैयारी में लगी है. राजभर ने कहा कि इसकी मजबूत संभावना है कि चुनाव आयोग वर्ष के अंत तक उत्तर प्रदेश के विधानसभा चुनाव के कार्यक्रम की घोषणा कर देगा. इसके कारण आदर्श आचार संहिता लागू हो जाएगी. हमारी पार्टी के कार्यकर्ता इस बार पार्टी की मुखिया को जन्मदिन पर विलंब से लेकिन बड़ा तोहफा (पूर्ण बहुमत) देंगे. बसपा प्रमुख मायावती का जन्मदिन उनके पार्टी कार्यकर्ताओं के लिए काफी खास होता है. वह सब बड़े धूमधाम से लखनऊ में बसपा मुखिया मायावती का जन्मदिन मनाते हैं.
मायावती नहीं काटेंगी केक
बड़ा सा केक काटा जाता है, इसके साथ ही काफी बड़े आयोजन होते हैं. इस बार ऐसा कुछ नहीं होने वाला है. 15 जनवरी को उनका जन्मदिन होता है. इस बार अपना जन्मदिन बहुत ही आम अंदाज में मनाएंगी. खबर है कि हर बार के मुकाबले इस बार मायावती का जन्मदिन बहुत ही आम होने वाला है. पार्टी के नेताओं ने बताया कि इस बार पार्टी मुखिया का जन्मदिन में कोई शोर नहीं होगा, कोई केक नहीं काटा जाएगा.
आयोग कर सकता है चुनाव की घोषणा
इसके पीछे एक वजह है. यूपी चुनाव के मद्देनजर ये फैसला लिया गया है. दिसंबर के अंत तक चुनाव आयोग यूपी चुनाव की तारीखों का ऐलान कर सकता है. ऐसे में जल्द ही आचार संहिता लागू हो सकती है. ऐसे में पार्टी को इसका नुकसान हो सकता है. वैसे भी यूपी में नोटबंदी के चलते हालत खस्ता हुई पड़ी है. हर साल जन्मदिन पर पार्टी कार्यकर्ता चंदा इकठ्ठा करते हैं तो जन्मदिन के दिन बसपा प्रमुख को एक भेंट की तरह देते हैं. उनके गले में उनसे भी बड़ी और लंबी फूलों की माला पहनाई जाती है. केट कटता है, पूरी य़ूपी में जश्न का माहौल बन जाता है. पार्टी के बाकी कार्यकर्ता बताते हैं कि इस बार सादगी के साथ उमका जन्मदिन मनाया जाएगा.
बसपा ने बदला अपना इतिहास
पार्टी चुनाव का इंतजार कर रही है. इससे पहले किसी भी तरह के जश्न के लिए तैयार नहीं है. अगर किसी को अपनी मुखिया को गिफ्ट के रूप में कुछ देना है तो वो पार्टी खाते में जमा हो जाएंगे. प्रत्येक सांसद व विधायक को निश्चित राशि जमा करने के लिए एक लक्ष्य दिया जाता है. इस बार ऐसा कुछ नहीं है. उनके बर्थ डे पर पार्टी कार्यकर्ता विधानसभा चुनाव में बसपा की जीत सुनिश्चित करने की प्रतिज्ञा लेंगे.