कार्तिक कृष्ण अमावस्या को दीपमाला करने से दरिद्रता का विनाश हो जाता है इस संबंध में हमारे घरों में दिवाली पर सुनाई जाने वाली कहानी को मैं कह रही हूं , थुरसैन देश में सत्य शर्मा नाम का एक अत्यंत द्ररिद्र ब्राह्मण रहता था उसके मन में एकमात्र यही कामना थी ,कि यदि मेरे पास धन हो तो मैं उसे दान आदि धार्मिक कार्यों में व्यय करूं ।तब दरिद्रता का निवारण का उपाय पूछने पर एक ब्राह्मण ने उसे बताया ,तुम शिवजी की आराधना करो ।
उसने शिवजी की उपासना प्रारंभ कर दी ,1 वर्ष बीतने पर 1दिन शिव जी ब्राह्मण का रूप धारण करके ,उसके पास आकर बोले ,हे ब्राह्मण ,धन की प्राप्ति के लिए तुम राजा के पास जाकर उससे वरदान मांगों, कि कार्तिक अमावस्या को हमारे सिवाय और कोई अपने घर में दीपक ना जलावे, ब्राह्मण ने ऐसा ही किया और राजा ने उसकी बात स्वीकार करके ,कार्तिक कृष्णा चतुर्दशी को सारे शहर में ढिंढोरा पिटवा दिया ,कि अमावस्या को कोई भी अपने अपने घर में दीपक ना जलावे ।
राजा की आज्ञा मानकर अमावस्या की रात्रि को किसी ने भी दीपक नहीं जलाया ,जब रात्रि को लक्ष्मी जी नगर में आई ,तो देखा कि समस्त नगर में अंधेरा है ,मगर एक ब्राह्मण का घर खूब सजा हुआ है और दीपमाला से जगर मगर हो रहा है ।
लक्ष्मी जी प्रसन्न होकर जब उस घर में प्रवेश करने लगी, तो ब्राह्मण मार्ग रोक कर कहने लगा, कि यह भद्रे, तुम्हारा पति अति कठोर है और तुम अत्यंत चंचल, हो इस कारण हमारे घर में प्रवेश मत करो ,तब लक्ष्मी जी कहने लगी भगवान के शयन के समय में आई हूं ,इस कारण निश्चय ही तुम्हारे घर में निवास करूंगी ।
यह सुनकर ब्राह्मण कहने लगा ,कि यदि तुम इस बात की शपथ लो कि मेरी तीन पीढ़ी तक इस घर से नहीं जाओगी और यहां पर स्थाई निवास करोगी ,तब इस घर में प्रवेश कर सकती हो ।
लक्ष्मी जी ने कहा ,यदि तुम विधिपूर्वक मेरा पूजन करोगे तो निश्चय ही मैं तुम्हारे घर में वास करूंगी ।
यह सुनकर ब्राह्मण ने पूछा ,मैं किस विधि से तुम्हारा पूजन करूं ,तब लक्ष्मी जी ने कहा कार्तिक कृष्ण अमावस्या को प्रातः काल स्नानादि से निवृत्त होकर, देवताओं तथा पितरों का पूजन करो, दिन के तीसरे भाग में श्राद्ध करके ब्राह्मणों को सुंदर पकवान बनाकर, भोजन कराओ ।
प्रदोष समय दीपमाला करो ,तुलसी के समीप,ब्राह्मण के घर में ,देव मंदिर, चौराहा स्थित ,श्मशान तथा गौशाला में दीप जलाने चाहिए ।
इस दिन बालक ,वृद्ध तथा रोगी के अतिरिक्त अन्य कोई भोजन ना करें ।सायंकाल स्वस्तिवाचन पूर्वक गणेश जी व कुबेर जी का पूजन करके, संकल्प करें तत्पश्चात लक्ष्मी जी का पूजन करें ।
कमल के आसन पर स्थित ,कमल के फूलों की माला धारण करने वाली ,कमल जैसे नेत्र ,गंभीर नाभि, सुंदर वस्त्र देवताओं के हाथियों द्वारा मणीयुक्त घडों से स्नान करने वाली ,हाथ में कमल पुष्प लिए ,ऐसी लक्ष्मी मेरे घर में निवास करें ।
सर्वप्रथम लक्ष्मी जी को आसन दें फिर पाद्य, अर्र्घ,आचमन ,स्नान वस्त्र ,धूप दीप नैवेद्य ,जल ,तांबूल, सुपारी इन सब वस्तुओं को अर्पण करके, नमस्कार करें ।
दीप जलाए और समस्त रात्रि भगवान का कीर्तन करें ।
इस प्रकार कुबेर तथा लक्ष्मी का पूजन करके ब्राह्मणों को भोजन करावे, तत्पश्चात बंधु बांधव सहित स्वयं भी भोजन करें सत्य शर्मा ने विधिवत इसी प्रकार पूजन किया जिससे सत्य शर्मा के घर काफी धन धान्य हो गया। इसके बाद उसने अनेक यज्ञ आदि भी किए,सत्य शर्मा विरक्त होकर मथुरा चला गया और विष्णु लोग को प्राप्त हुआ।