डायरी दिनांक १९/१०/२०२२
दोपहर के बारह बजकर पंद्रह मिनट हो रहे हैं ।
आज बहुत दिनों बाद डायरी लिखने बैठा हूँ ।अथवा सही बात है कि आज डायरी लिखना आवश्यक सा हो गया है। कल से देख रहा हूँ कि एक लेखिका मुंशी प्रेमचंद्र जी की प्रसिद्ध कहानी - दो बैलों की कथा को अपने प्रोफाइल से अपने नाम से शव्द इन पर भागों में प्रकाशित कर रहीं हैं। प्रकाशित कर उसका लिंक भी शव्द इन के समूह पर भेज रहीं हैं। कल ही शव्द इन के समूह पर पूरी कहानी का पीडीएफ भेज कर शव्द इन टीम को बता दिया था। पर शव्द इन टीम का कहना है कि वह अभी रचना की जांच कर रहे हैं।मेरे सारे संदेश उस लेखिका ने भी पढे हैं। फिर भी आज उन्होंने दो बैलों की कथा का दूसरा भाग प्रकाशित कर उसका लिंक समूह पर भेजा है। जो कि मेरे द्वारा भेजे गये पीडीएफ से शव्द बाई शव्द मिल रहा है। क्या अभी भी शव्द इन टीम को किसी प्रमाण की आवश्यकता है। लेखिका ने आज कहानी का जो भाग लिखा है, वह पूरा का पूरा मैंने एक दिन पूर्व ही शव्द इन को उपलब्ध करा दिया है।
इस तरह की साहित्यिक चोरी को किसी भी स्थिति में स्वीकार नहीं किया जा सकता है। और यदि शव्द इन टीम ऐसा कर रही है तो बड़े दुख की बात है। अभी तक शव्द इन टीम ने उक्त लेखिका के लिये रचना हटाने का संदेश भी नहीं दिया है।
अभी तक के लिये इतना ही। आप सभी को राम राम।