डायरी दिनांक १०/१०/२०२२
शाम के सात बज रहे हैं।
वर्ष २०७० तक यदि मैं जीवित रहा तो मैं अपने जीवन के नब्बे बसंत देख चुका हूंगा। वर्तमान समय में लोगों की आयु को देखते हुए ऐसी स्थिति का आ पाना बहुत कठिन ही लगता है। इस समय तो यदि कोई मनुष्य अस्सी वर्ष की आयु तक जीवित रह जाये, तो यही बहुत बड़ी बात है। बड़े बड़े नेता और अभिनेता जो कि पूरी तरह डाक्टर के परामर्श से अपना जीवन जीते हैं, वे भी बहुत कम ही इतनी आयु जी पाते हैं। फिर मेरा मानना है कि आयु जितनी भी जी जाये, अच्छी तरह जी जाये। तड़पते, सिसकते और दूसरों पर आश्रित होकर लंबी आयु जीने से अच्छा बिना परेशानी की कम जिंदगी ही अधिक अच्छी है।
वर्ष २०७० की जिंदगी कैसी होगी, कहा नहीं जा सकता। फिर भी अनुमान तो यही है कि उस काल तक तकनीकी अति विकसित हो जायेगी। मनुष्यों के विचारों में आमूल परिवर्तन आने की संभावना है। जीवन जीने के साधन बहुत ज्यादा उन्नत हो जायेंगें। आर्टिफिसियल इंटेलीजेंसी जो अभी तक एक आइडिया ही है, शायद सजीव हो जायेगी। आर्टिफिसियल इंटेलीजेंट मशीनों पर मनुष्य किस तरह नियंत्रण कर पायेगा, यह भी विचारणीय विषय है।
वर्तमान समय को डाटा युग भी कहा जा रहा है। अभी वर्ष २०१० के बाद ही अधिकांश भारत में लागू ३ जी तकनीक आउटडेटिड हो चुकी है। इस हिसाब से वर्ष २०७० तक जीवन के प्रत्येक काम इंटरनेट द्वारा ही किये जायेंगें। तथा उस इंटरनेट की स्पीड ही हजारों एमबीपीएस हो सकती है। उसके उपरांत भी संभावना है कि वह अपार डाटा और अपार स्पीड भी लोगों को कम लगे। कारण कि जिस हिसाब से डाटा की उपलब्धता रहती है, उसी हिसाब से वेवसाइट डिजाइन की जाती हैं।
इतने सारे बदलाबों के बाद भी क्या उन क्षेत्रों में बदलाव हो पायेगा, जिनमें बदलाव आवश्यक है। क्या वर्ष २०७० तक महिलाएं अपने घरों के बाहर पूरी तरह सुरक्षित हो पायेंगी। क्या वर्ष २०७० तक किसानों की आत्महत्या की घटनाएं अतीत बन जायेंगीं। क्या वर्ष २०७० तक दहेज रूपी दानव का अंत हो जायेगा। क्या वर्ष २०७० तक स्त्री समर्थक कानूनों का दुरुपयोग बंद हो जायेगा। क्या वर्ष २०७० तक मनुष्य को न्याय पाने के लिये वर्षों इंतजार नहीं करना पड़ेगा। क्या वर्ष २०७० तक विश्व पटल पर सभी देश एक दूसरे के मित्र बन जायेंगें।
आज सुबह समाजवादी पार्टी के प्रमुख नेता और उत्तर प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री श्री मुलायम सिंह यादव जी का निधन हो गया। उत्तर प्रदेश में तीन दिनों के राष्ट्रीय शोक की घोषणा की गयी है।
पिछले कुछ महीनों से अच्छे साहित्यकारों की पुस्तकें पढ रहा हूँ। वैसे प्रतिलिपि प्रीमियम पर भी बहुत अच्छा साहित्य उपलब्ध है। फिर भी मैं औसतन एक पुस्तक हर महीने आनलाइन खरीद ही रहा हूँ। इस महीने मैंने श्री मैथिली शरण गुप्त जी की काव्य रचना भारत भारती को मंगाया है। आज पुस्तक का कुछ भाग पढा है।
अभी के लिये इतना ही। आप सभी को राम राम।