नई दिेल्ली : बीजेपी के एक वरिष्ठ नेता के कहने पर क्रिकेटर नवजोत सिंह सिद्धू ने पंजाब में कांग्रेस से हाथ मिलाया है. पिछले कुछ महीने से सिद्धू जहाँ कांग्रेस के पूर्व सीएम अमरेंद्र सिंह से मिल रहे थे वहीँ उन्होंने दिल्ली में बीजेपी के इस वरिष्ठ नेता और कैबिनेट मंत्री से भी कई बार भेंट की है. दरअसल नई रणनीति के तहत सिद्धू ,बीजेपी और कांग्रेस, अब तीनो मिलकर पंजाब में 'आप' को सरकार बनाने से रोकेंगे.
बीजेपी सूत्रों के मुताबिक अमित शाह और प्रधबनमंत्री मोदी भी चाहते थे की सिद्धू का फ्रंट अगर कांग्रेस से मिलकर लड़ेगा तो आप को कड़ी टक्कर दी जा सकती है. सिद्धू ने बीजेपी को मोदी या अमित शाह की वजह से नही छोड़ा था बल्कि उनके रिश्ते अकाली दल से ठीक नही थे. मोदी ने इससे पहले सिद्धू और अकाली दल नेता सुखबीर सिंह बादल में समझौता कराने की भी पहल की थी लेकिन सिद्धू अपने प्रखर प्रतिद्वंदी सुखबीर से हाथ मिलाने के लिए तैयार नही हुए. सिद्धू चाहते थे की बीजेपी, अकाली दल को छोड़ कर अकेले पंजाब में चुनाव लड़ी लेकिन इस शर्त को मोदी या संघ दोनों मानने को तैयार नही थे.
सूत्रों के मुताबिक मोदी ने आप को काउंटर करने के लिए दिल्ली के नेता विजय गोयल को अपनी सरकार में मंत्री तक बना दिया था लेकिन गोयल , केजरीवाल का डट कर मुकाबला नही कर पा रहे थे. उधर जब परगट सिंह और सिद्धू थोड़ा सा केजरीवाल के करीब हुए तो बीजेपी को लगा की 'आप' कहीं समूचे पंजाब में झाड़ू ना लगा दे. लिहाजा बीजेपी के एक वरिष्ठ नेता ने सिद्धू को सलाह दी कि बेहतर होगा वो आप या आप से हटकर कोई मोर्चा बनाने की जगह कांग्रेस के साथ मिलकर लड़े.
इधर सिद्धू ने दिल्ली में प्रियंका गाँधी से लेकर कई बड़े नेताओं के साथ मुलाकात की. राजनैतिक हाशिये पर खिसक रहे गाँधी परिवार ने पंजाब में अपनी स्थिति मज़बूत करने के लिए सिद्धू की हर शर्त मान ली. सूत्रों के मुताबिक सिद्धू की पत्नी जहाँ विधान सभा का चुनाव लड़ेंगी वहीँ कैप्टन अमरिंदर सिंह अपनी लोकसभा सीट छोड़कर सिद्धू को फिर से अमृतसर का एमपी बनने का मौक़ा देंगे. दूसरी तरफ पंजाब में इस बदलते समीकरण के बाद अरविन्द केजरीवाल ने प्रचार और तेज़ कर दिया है. अरविन्द का मानना है कि पार्टी अगर सारी ताकत झोंक दे तो पंजाब अब भी जीत सकती है.