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जैविक खेती

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दोस्तों मै आपको इस लेख मे सबसे आसान भाषा में जैविक खेती के बारे बता रहा हूँ सालों पहले लोग जैविक खेती करते थे ,  जैविक खेती मतलब, लोग जैविक खेती में फसलों के विकास के लिए किसी भी रसायन खाद के बज

                   जैसे-जैसे जनसंख्या बढ़ने लगी। भोजन की आपूर्ति में कमी आने लगी।               किसान फसल की प

अब ऐसा समय आ गया है जहां देखो हर व्यक्ति किसी न किसी बीमारी से पीड़ित है। जिसमें हदयरोग, मधुमेह, ब्लडप्रेषर, आंख, नाक, कान, गले व फेफड़े संबंधी रोग, किडनी संबंधी, त्वचा संबंधी और ऐसी न जाने कितनी ऐसी बी

Hello friends 🙏जैसे - जैसे हम आगे की उन्नति की तरफ अपने कदम बढ़ा रहें हैं , वैसे - वैसे कुछ बची - खुची जैविक खेती भी लुप्त होती जा रही है । आज के दौर में अधिक फसल उगाने के लिए रासायनिक खादों का प्रयो

**जैविक खेती**कृषि प्रधान देश भारत वर्ष में ग्रामीण अर्थव्यवस्था का मुख्य आधार कृषि है और कृषकों के आय का मुख्य स्रोत खेती है । हरित क्रांति के समय से बढ़ती हुई जनसंख्या को देखते हुए आय की दृष्टि से उत

मुझे याद है बचपन में हमारे गाँव के खेतों की फसलें हो या घर की बावड़ियों में उगाई जाने वाली साग-सब्जियां, किसी में भी रासायनिक खाद का प्रयोग बहुत दूर की बात थी। उस समय कोई नहीं जानता था कि गोबर के अलावा

21/9/2022प्रिय डायरी,             आज का शीर्षक है जैविक खेती,संपूर्ण विश्व में बढ़ती हुई जनसंख्या एक गंभीर समस्या है, बढ़ती हुई जनसंख्या के साथ भोजन की आपूर्ति

जैविक खेती।।मानव सभ्यता के विकास में सर्वप्रथम क्रांति खेती की खोज थी । तकरीबन दस हज़ार वर्ष पूर्व इसे नवपाषाण क्रांति के रूप में भी जाना जाता है । खेती यानी मनुष्य के मनुष्यता की गाथा । खेती यानी जानव

भारत एक कृषि प्रधान देश है | जिसकी 75% जनसंख्या कृषि पर निर्भर है | जिस प्रकार देश दुनिया बदली तकनीकी ने विकास का जीर्णोद्धार किया | ठीक उसी प्रकार  खेती को भी अत्याधुनिक तकनीकी से ग्रस्त कर दिया

जैविक खेती है ऐसी जैसे किसी नवजात बच्चे को मां का स्पर्श,जब केमिकल फ्रि लगते है फल पौधे तभी तो मन में होता हर्ष।।

जैविक खेतीऐसी खेती जिसमें दीर्घकालीन व स्थिर उपज प्राप्त करने के लिए कारखानों में निर्मित । रसायनिक उर्वरकों , कीटनाशियों व खरपतवार नाशियों तथा वृद्धि नियन्त्रक का प्रयोग न करते हुए ज़हरीले खादों का

मनुष्य की ताकत हीन हुई, बीमारी बढ़ने लगी।भूल गए वह वक्त मनुज,जब होती थी जैविक खेती।।मेहनत के बलबूते पर,किसान अन्न उपजाता था।खून-पसीना एक करके, शुद्ध अन्न उपजाता था।।कंपोस्ट खाद डालकर के,खेत उपजाऊ बनात

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