नई दिल्ली : देश की राजधानी में नार्थ ईस्ट का सबसे बड़ा गोल्ड का स्मगलर गोल्ड की बड़ी खेप दिल्ली के सराफा व्यापार ियों को भेजता रहा और किसी को इसकी भनक भी नहीं लग सकी. साल भर के भीतर इस बड़े स्मगलर ने जेट एयरवेज की कारगो सेवा के जरिये 617 बार कंसाइमेंट गोल्ड की यहां के व्यापारियों को भेजी.
रेवेन्यू इंटेलिजेंस ने किया खुलासा
सूत्रों के मुताबिक नार्थ ईस्ट के सबसे बड़े गोल्ड के स्मगलर एन के जैन की कन्साइमेंट की खबर मिलते ही दिल्ली डायरेक्टरेट ऑफ़ रेवेन्यू इंटेलिजेंस के डायरेक्टर देबी प्रसाद दाश ने अपने विभागीय अफसरों को इस बड़ी समगलरिंग का भंडाफोड़ करने के निर्देश दिए. बताया जाता है कि मणिपुर, आसाम का सबसे बड़ा स्मगलर जैन वर्मा और अन्य देशों से समुगलरिंग करके गोल्ड के बिस्कुट लाता और फिर जेट एयरवेज की कारगो सेवा के जरिये इस बड़ी खेप को दिल्ली के सर्राफा व्यवसाइयों के पास भेज देता.
जैन ने कंसाइमेंट के लिए डोमेस्टिक एयरपोर्ट को क्यों चुना ?
यही नहीं जैन इतना बड़ा चालाक स्मगलर है कि उसने इस कंसाइमेंट को दिल्ली भेजने के लिए गुवाहाटी का डोमेस्टिक एयरपोर्ट चुन रखा था. दरअसल डोमेस्टिक एयरपोर्ट पर इतनी अधिक चेकिंग नहीं होती है, जितनी क़ि इंटरनेशनल एयरपोर्ट पर की जाती है. जिसके चलते उसका कारोबार इधर साल भर से इतना अधिक फलफूल रहा था कि उसने 617 बार यहां जेटएयरवेज के जरिये गोल्ड की बड़ी खेपें दिल्ली के सर्राफा व्यसायियों को भेजी और वह कहीं पकड़ी नहीं गयीं.
जैन 1994 से कर रहा है गोल्ड की तस्करी
इंटेलिजेंस के डायरेक्टर देबी प्रसाद दाश के मुताबिक 1994 से जैन समगलरिंग का कारोबार कर रहा है. लेकिन पिछले कई सालों से वह अंडरग्रॉउंड हो गया था, लेकिन साल 2015 से फिर से उसने यह कारोबार शुरू किया और अब तक एक साल के भीतर उसने 617 बार में तकरीबन 7 हजार किलो सोना दिल्ली के सर्राफा व्यवसाइयों को भेज चुका है.
जेट एयरवेज के कर्मचारी मिले थे तस्करी में
बताया जाता है कि अब तक की यह देश की सबसे बड़ी कन्साइमेंट की डील है. जिसमें 2 हजार करोड़ रुपये के सोने की समगलरिंग की गयी है. फिलहाल दाश ने 'इंडिया संवाद'से बात करते हुए यह भी बताया कि इस बात का भी पता लगाया जा रहा है की क्या जेटएयरवेज के कर्मचारियों से उसकी कोई सांठगांठ है. उन्होंने बताया कि उनकी टीम इस बात का खुलासा जल्द ही कर देगी.