कहावत है कि आज के समय में गैरों पर जल्दी भरोसा नहीं करना चाहिए, लेकिन इस बात को गलत साबित करती हैं रेखा मिश्रा। रेलवे प्रोटक्शन फोर्स में बतौर सब-इंस्पेक्टर तैनात रेखा मिश्रा छत्रपति शिवाजी टर्मिलस में रहती हैं। बात जून 2016 की है, जब वह चेन्नई एक्सप्रेस ट्रेन से प्लेटफार्म नंबर 15 पर जैसे ही उतरी। प्लेटफार्म में उतरते ही उनकी पहली नजर स्कूल की यूनिफार्म पहनें तीन बच्चियों पर पड़ी।
रेखा ने पास जाकर पूछा कि उन्हें कोई दिक्कत या परेशानी तो नहीं है। चोर नजर कहें या फिर घबराहट तीनों लड़कियां रेखा को घूरने लगीं। रेखा ने उनकी मनोदशा को भांप लिया और वह समझ गईं कि वे उनकी बात को दरअसल समझ ही नहीं पा रही हैं। फिर उन्होंने बच्चियों के बारे में लोगों तक जानकारी पहुंचानी शुरु की।
रेखा ने एक लोकल पुलिस स्टेशन की मदद से उनके माता-पिता को आखिर खोज ही निकाला। आज के समय में शायद इतने कम ही जिम्मेदार लोग होते हैं जो किसी और के बच्चों को अपना समझकर प्यार दें। लेकिन रेखा ने एक मां का फर्ज अदा करते हुए तीनों बच्चों के साथ पुलिस स्टेशन में ही सोने लगी, ताकि बच्चों को किसी परेशानी का सामना न करना पड़े।
जानिए क्यों हैं रेखा खास
32 साल की रेखा ने साल 2014 में RPF ज्वाइन किया था। काम करने के जज्बे के कारण लोग आज रेखा को CST स्टेशन के ऑफिसर के तौर पर जानते हैं। सबसे खास बात यह है कि वह अबतक 434 बच्चों की जिंदगी बचा चुकी हैं। जिनमें से 45 लड़कियां हैं। रेखा कहती हैं कि इनमें से सबसे ज्यादा वे बच्चे होते हैं जो घर से भाग कर आते हैं। और घर से भागने का कारण माता-पिता द्दारा पिटाई, मायानगरी में करियर की तलाश या फिर फेसबुक दोस्तों से मिलना होता है।
आपको जानकर हैरानी होगी कि रेखा और उनके सहकर्मी अबतक162 बच्चों को बचा चुके हैं। रेखा बताती हैं कि आने वाला अगला महीना उनके लिए चुनौती लेकर आने वाला है क्योंकि स्कूलों की छुट्टियों में सबसे ज्यादा स्टेशन में बच्चों की भीड़ होती है.