नई दिल्ली : अमेरिका की कमान संभालते ही ट्रम्प ने कहा है कि वो H1B वीजा के नियम सख्त करने के साथ - साथ वीजा की फीस बढ़ाएंगे.जिसके चलते अमेरिका को फिर से महान बनाने की जिद पर अड़े ट्रंप भारतीयों को टेंशन दे सकते हैं. मालूम हो कि H1B वीजा के जरिए ही भारतीय छात्र और प्रोफेश्नल अमेरिका में काम करते हैं.
वीजा को लेकर आईटी कंपनियों कि बढ़ सकती हैं मुश्किलें
गौरतलब है ट्रंप ने वादा किया है कि वो H-1B वीजा के नियमों को कड़ा कर देंगे. इसी सिलसिले में अमेरिका के 2 सांसदों ने H-1B वीजा से जुड़ा एक बिल सीनेट में पेश किया है, इस बिल को अगर अमेरिकी संसद की ओर से मंजूरी मिलती है तो भारतीय आईटी कंपनियों के लिए मुश्किल खड़ी हो जाएगी.
ट्रंप हैं मोदी के मुरीद
हालांकि ट्रंप पीएम मोदी के मुरीद हैं. ट्रंप ने मोदी की प्रशंसा करते हुए कहा था कि मैं भारत के प्रधानमंत्री के साथ काम करने के लिए उत्साहित हूं. नरेंद्र मोदी बड़ी ऊर्जा के साथ भारतीय नौकरशाही में सुधार कर रहे हैं. वे महान नेता हैं. मैं उनकी प्रशंसा करता हूं. आपकी जानकारी के लिए यह भी बता दें कि चुनाव प्रचार के दौरान ट्रंप ने हिंदुओं की प्रशंसा भी की थी. उन्होंने कहा था कि अगर मैं अमेरिकी राष्ट्रपति बना तो व्हाइट हाउस में भारतीयों और हिंदुओं का सबसे सच्चा दोस्त होगा. मैं इसकी गारंटी देता हूं.
भारत के कायल हैं ट्रंप
ट्रंप भारत के भी कायल हैं. उन्होंने चुनाव प्रचार के दौरान कहा था कि भारत अमेरिका का प्राकृतिक सहयोगी है. मेरे प्रशासन में भारत और अमेरिका अच्छे दोस्त साबित होंगे. अच्छे नहीं सर्वश्रेष्ठ दोस्त साबित होंगे. डोनाल्ड ट्रंप की ये बातें जानकर किसी को भी लग सकता है कि अमेरिका में भारतीयों के अच्छे दिन आने वाले हैं. लेकिन अमेरिका को फिर से महान बनाने की जिद पर अड़े ट्रंप भारतीयों को टेंशन दे सकते हैं.
ट्रम्प अड़े तो भारतीयों को मिलेंगे नौकरी के कम अवसर
ट्रम्प ने कहा है कि वो H1B वीजा के नियम सख्त करने के साथ साथ वीजा की फीस बढ़ाएंगे. H1B वीजा के जरिए ही भारतीय प्रोफेश्नल अमेरिका में काम करते हैं. शुरुआत में ये तीन साल के लिए होता है. जिसे छह साल के लिए बढ़ाया जा सकता है. ऐसे में अगर ट्रंप अपने रुख पर कायम रहे तो भारतीय IT कंपनियों का खर्चा बढ़ जाएगा. जिससे अमेरिका में भारतीयों के लिए नौकरी के अवसर कम हो सकते हैं.
आतंकवाद के मुद्दे पर ट्रंप देंगे भारत का साथ
H1B वीजा पर ट्रंप के रुख से भारत में भले ही बेचैनी हो. लेकिन आतंकवाद के मुद्दे पर ट्रंप पहले ही भारत का साथ देने का वादा कर चुके हैं. डोनाल्ड ट्रंप ने अपने चुनाव प्रचार के दौरान कहा था कि मैं राष्ट्रपति बना तो आतंकवाद के खिलाफ हम भारत के साथ मिलकर काम करेंगे. अब सवाल ये है कि आतंकवाद पर कड़े रुख का मतलब क्या पाकिस्तान पर सख्ती है. अगर ऐसा हो तो फिर भारत इसका जरूर फायदा उठाना चाहेगा.
भारत का साथ ट्रंप को देगा मजबूती
दरअसल भारत को जितनी अमेरिका की जरूरत है, अमेरिका को उससे कहीं ज्यादा भारत का साथ चाहिए. चाहे चीन हो या फिर कथित मुस्लिम आतंकवाद. भारत का साथ ट्रंप को मजबूती दे सकता है. अब देखना ये है कि ट्रंप अपने भारत प्रेम पर कितने खरे उतर पाते हैं.