कोलकाता: देश में शहरी क्षेत्र की 35 फीसदी कामकाजी माएं दूसरा बच्चा नहीं चाहती हैं। इसका खुलासा हुआ है एक सर्वे में। इसकी वजह बच्चों के ज्यादा समय देने की जरूरत और दूसरे खर्चो को माना गया है.
मदर्स डे (14 मई) से पहले औद्योगिक संगठन एसोचैम की सामाजिक विकास शाखा द्वारा किए गए सर्वे में कहा गया कि आधुनिक विवाह के तनाव, रोजगार के दबाव और बच्चों को पालने में होने वाले खर्च की वजह से कई माएं पहले बच्चे के बाद दूसरा बच्चा नहीं चाहती हैं और अपने परिवार को नहीं बढ़ाने का फैसला करती हैं.
यह सर्वे 1500 कामकाजी मांओं पर किया गया.
सर्वे 10 शहरों में किया गया. इसमें अहमदाबाद, बेंगलुरु, चेन्नई, दिल्ली-एनसीआर, हैदराबाद, इंदौर, कोलकाता, जयपुर, लखनऊ और मुंबई शामिल हैं. इसमें बीते एक महीने में कामकाजी मांओं ने अपने बच्चों को कितना समय दिया, उनकी दूसरे बच्चे के होने या नहीं होने की योजनाएं और इसके कारणों के बारे में पूछा गया.
करीब 500 प्रतिभागियों ने कहा कि वे दूसरा बच्चा नहीं चाहतीं. कई ने कहा कि दूसरा मातृत्व अवकाश लेने से उनकी नौकरी/पदोन्नति खतरे में पड़ने की आशंका के कारण वे दूसरे बच्चे को लेकर हिचकती हैं.
किसी एक बच्चे के प्रति झुकाव एक दूसरा महत्वपूर्ण कारण रहा जिसके कारण कई प्रतिभागियों ने कहा कि वे दूसरा बच्चा नहीं चाहतीं ताकि उनका ध्यान नहीं बंटे. कइयों ने कहा कि वे बच्चा या बच्ची के लिंग के आधार पर भी इस बारे में फैसला करती हैं.