नई दिल्ली : समाजवादी पार्टी को अलविदा कहने का मन बना चुके अमर सिंह को अपनी दोस्ती का तोहफा देकर दूसरे की चौखट पर जाने से रोक लिया है. यही नहीं मुलायम सिंह यादव को जैसे ही बुधवार को इस बात की भनक लगी कि अमर सिंह पार्टी छोड़कर जाने का मन बना चुके हैं तो उन्होंने सबसे पहले उनके धुर विरोधी अपने चहेरे भाई प्रोफ़ेसर रामगोपाल को ये निर्देश दिए की जल्दी से अमर सिंह को संसदीय बोर्ड का सदस्य मनोनीत करने का नियुक्त पत्र जारी करो. नहीं तो बड़ी आफत आ जाएगी.
सीबीआई की जांच में फंसा हुआ है मुलायम कुनबा
सूत्रों के मुताबिक आय से अधिक मामलों की जांच और यादव सिंह प्रकरण में फंसे सपा के राष्ट्रीय महासचिव राम गोपाल के पुत्र और फिरोजाबाद से सांसद अक्षय यादव की चल रही सीबीआई जांच का मामला जैसे ही सामने आया. प्रोफ़ेसर पुत्र मोह में आ गए और उन्होंने परिवार और अपने बेटे को सीबीआई की जांच से बचाये जाने के लिए अमर सिंह को संसदीय बोर्ड सदस्य के जारी नियुक्ति पत्र में उनको अपने प्रिय मित्र लिखते हुए अमर के मनोनीत का पत्र जारी किया.
अमर के पाला बदलने की कोशिश
सूत्रों के मुताबिक सपा के राजसभा सांसद अमर सिंह पीएम मोदी की नोटबंदी को लेकर दरअसल इसलिए तारीफ कर रहे थे क्योंकि बीजेपी में वह एंट्री मारने की जुगाड़ बना रहे थे. यह एंट्री उनकी एक बड़े पुराने चैनल के मीडिया साथी करा रहे थे. लेकिन पीएम मोदी को मनाना बाकि था. हालांकि जानकर बताते हैं कि मोदी, अमर को पार्टी में शामिल करने की इतनी आसानी से इजाजत देने वाले नहीं. क्योंकि अमर को पार्टी में लाकर वह अपनी फजीहत नहीं कराना चाहते हैं बताया जाता है कि इस बात की पुख्ता जानकारी मिलने के बाद सपा मुखिया मुलायम सिंह यादव ने अपने पुराने और प्रिय मित्र को अपनी पार्टी छोड़कर न जाने देने के लिए उन्हें यह बड़ा तोहफा गिफ्ट कर दिया.
मुलायम ने अमर को क्यों दिया ये तोहफा ?
सूत्रों के मुताबिक समाजवादी परिवार में पिछले दो महीने से अधिक समय से चल रही अंतर्कलह अभी खत्म नहीं हुई है. बताया जाता है कि दिल्ली और मुंबई के कारपोरेट घरानों में अपनी खासी पकड़ रखने वाले राज्यसभा सांसद अमर सिंह को पार्टी में रोके जाने के लिए पहले उन्होंने अपने पुत्र सीएम अखिलेश को समझाया और बाद में अपने चहेरे भाई प्रोफ़ेसर को भी समझाया कि अमर सिंह ही इन जांचों से उनके परिवार को बचा सकते हैं, जिसके बाद सपा से रूठे अमर को मानाने के लिए मुलायम ने ये फरमान राम गोपाल को दिए. और यही नहीं अमर का विरोध कर रहे प्रोफ़ेसर से ही उन्होंने उनका नियुक्ति पत्र जारी करने का फरमान भी जारी करवा दिया.