नई दिल्ली : सोशल मीडिया पर इन दिनों पीएम की नोटबंदी को लेकर एक ऐसी मुहिम शुरू की गयी है, जिसके बिछाये जाल में केंद्र सरकार अपने ही जाल में फंसती हुई दिखाई दे रही है. व्हाट्स अप्प पर वायरल हुए मैसेज के मुताबिक यह संदेश लोगों तक पहुंचाया जा रहा है. उसमें जनता को इस बात से अवगत कराया जा रहा है कि हम पर जो कैशलेस इकनॉमी थोपी जा रही है. उसका फायदा किसको और कितना होने वाला है ?
नहीं है तो जान लीजिये कथनी और करनी में कितना फर्क है. कुछ छह बातों वाले इस मैसेज में मोदी की कैशलेस इकनॉमी की पोल खुलती हुई नजर आ रही है. यह बात 'इंडिया संवाद' नहीं कह रही बल्कि ये मैसेज कह रहा है. इस मैसेज में छह तर्क दिए गए हैं. जिनको हम भी आप तक पहुंचा रहे हैं, लेकिन इनमें कितनी सत्यता है और कितना झूठ है. ये बात तो सोशल मीडिया पर इस संदेश को वायरल करने वाले ही जानते हैं.
तथ्य नंबर-1
जब भी आप डेबिट कार्ड से कोई आर्थिक व्यवहार करते हैं तो बैंक रिटेलर या जिसको पैसे का भुगतान किया गया है उससे 0.5 से लेकर 1% तक कमीशन लेते हैं।
तथ्य नंबर -2
क्रेडिट कार्ड कंपनियां और बैंक क्रेडिट कार्ड से होने वाले हर आर्थिक व्यवहार (ट्रांजेक्शन) पर 1.5 % से लेकर 2.5% तक दलाली लेती है । यह दलाली दुकानदार यानी भुगतान लेने वाले से वसूली जाती है।
तथ्य नंबर -3
Paytm/Freecharge/ Jio Money और इन जैसी दूसरी E-wallets कम्पनियां 2.5% से 3.5% तक दलाली लेती है जब हम अपने मेहनत की कमाई अपने बैंक अकाउंट से e-wellet में ट्रांसफर करते हैं।
तथ्य नंबर -4
आरबीआई के अंकड़ों के मुताबिक हर महीने 2.25 लाख करोड़ और हर साल करीब 25 से 30 लाख करोड़ रुपये पूरे देश में ATM मशीनों से निकाले जाते हैं। अगर बैंकों से होने वाले विड्राल को भी इसमें जोड़ दिया जाए तो (ATM+ बैंक) से निकलने वाली यह राशि होती है करीब 75 लाख करोड़। चूंकि इस राशि का सारा लेनदेन बैंक से होता है इसलिए यह सारा पैसा 1 नंबर का सफेद धन होता है।
तथ्य नंबर -5
वर्तमान में कुल आर्थिक व्यवहार का केवल 3 % आर्थिक व्यवहार इलेक्ट्रॉनिक तरीके से होता है।
तथ्य नंबर -6
अगर 1 नंबर में हुए 75 लाख करोड़ के आर्थिक व्यवहार को कैश लेस कर देंगे तो क्या होगा? Paytm/Freecharge/ Jio Money और इन जैसी दूसरी E-wallets कंपनियों की चांदी हो जायेगी।
कैसे होगी? तो जानिए ऐसे होगी...
75 लाख करोड़ के कैशलैस आर्थिक व्यवहार पर अगर यह निजी कंपनियां औसतन 2% भी कमीशन पाती हैं तो सीधे-सीधे हर साल डेढ़ लाख करोड़ रुपये इन कंपनियों को मिलेगा। बिना कुछ किये धरे। पैसा जनता का, माल व्यापार ी का और ये कंपनियां मुफ्त में माल उड़ाएंगी!
सरकार ऐसे देगी सफाई
सरकार कहेगी मत यूज करो E-WELLET हम आपको फ्री में UPI app उपलब्ध करा रहे हैं। यह सरकारी है। एकदम फ्री है। इसके जरिये भुगतान करो। अच्छी बात है। लेकिन जरा सोचिए पिछले कई सालों से काम कर रहे रेलवे रिजर्वेशन के सरकारी सर्वर की क्या स्पीड है? इसी स्पीड में UPI का सर्वर भी चलेगा या फिर Paytm/Freecharge/ Jio Money और इन जैसी दूसरी E-wallets कंपनियां इसकी स्पीड बढ़ने नहीं देंगी। इतिहास गवाह है सरकारी विमान कंपनी एयर इंडिया की कमर बीजेपी वाले प्रमोद महाजन की करीबी जेट ने तोड़ी। BSNL और MTNL को कौन अपनी मुट्ठी में कर लिया है। इसलिए यह मत कहना की UPI यूज करो। जब UPI से स्पीड में पेमेंट नहीं होगा तो लोग वापस Paytm/Freecharge/ Jio Money और इन जैसी दूसरी E-wallets कंपनियों पर आश्रित हो जाएंगे। डेढ़ लाख करोड़ रुपये सालाना का यह एक खुल्लमखुल्ला घोटाला है। सरकार, Paytm/Freecharge/ Jio Money और इन जैसी दूसरी E-wallets कॉर्पोरेट कंपनियों और बैंकों की इसमें मिली भगत है। अब समझ में आ रहा है कि कालाधन के नाम पर नोट बन्दी का फैसला कालाधन चलाने वाले कॉर्पोरेट को उपकृत करने के लिए लिया गया है। 2014 के चुनाव में कॉर्पोरेट ने बीजेपी पर जो निवेश किया था यह उसका रिटर्न है।
सारा गेम प्लान है
जैसे- जैसे नोट बन्दी की परतें उघड़ रहीं है कई बातें समझ में आने लगी हैं। मसलन नोट बन्दी, मोदी या जेटली के दिमाग से निकला फैसला नहीं है, क्योंकि इनके पास इतना गूढ़ डेढ़ लाख करोड़ सालाना कमाने का आइडिया सोचने वाला दिमाग है ही नहीं। अगर होता तो यह लोग राजनीति नहीं बिजनेस कर रहे होते। यह तो सिर्फ चेहरा हैं। असल गेम प्लान तो किसी और ने करोड़ों रुपये खर्च करके, टॉप चार्टड अकाउंटेंट, बैंकर और वित्त विशेषज्ञों से तैयार करवाया है। सरकार तो सिर्फ इस रेडीमेड प्लान को ढो रही है।
पीएम किससे डर रहे हैं
मालूम हो कि नोटबंदी के चार दिन बाद यानी 13 नवंबर को प्रधानमंत्री का गोवा में दिया गया भाषण। क्या कहा था मोदी ने? उन्होंने कहा था, "मैं जानता हूं, मैंने कैसी-कैसी ताकतों से लड़ाई मोल ले ली है। जानता हूं, कैसे लोग मेरे खिलाफ हो जाएंगे। मुझे जिंदा नहीं छोड़ेंगे." अब समझ में आ रहा है कि प्रधानमंत्री वास्तव में किस से डर रहे हैं।