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जसुमति कान्हहि यहै सिखावति

20 मई 2022

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जसुमति कान्हहि यहै सिखावति ।

सुनहु स्याम, अब बड़े भए तुम, कहि स्तन-पान छुड़ावति ॥

ब्रज-लरिका तोहि पीवत देखत, लाज नहिं आवति ।

जैहैं बिगरि दाँत ये आछे, तातैं कहि समुझावति ॥

अजहुँ छाँड़ि कह्यौ करि मेरौ, ऐसी बात न भावति ।

सूर स्याम यह सुनि मुसुक्याने, अंचल मुखहि लुकावत ॥


भावार्थ :-- श्रीयशोदा जी कन्हाई को यही सिखला रही हैं कि `कन्हाई, सुनो! अब तुम बड़े हो गये।' यों कहकर उनका स्तन पीना छुड़ाती हैं । (वे कहती हैं-)व्रज के बालक तुम्हें स्तन पीते देखकर हँसते हैं, तुम्हें लज्जा नहीं आती ? तुम्हारे ये अच्छे सुन्दर दाँत बिगड़ जायँगे, इससे तुम्हें बताकर समझा रही हूँ । अब भी तुम (यह स्वभाव)छोड़ दो, मेरा कहना मानो; ऐसी बात (हठ) अच्छी नहीं लगती । सूरदास जी कहते हैं कि यह सुनकर श्यामसुन्दर माता के अंचल में (दूध पीने के लिये) मुख छिपाते हुए मुसकरा पड़े ।

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रचनाएँ
श्रीकृष्णबाल माधुरी
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श्रीसूरदासजी हिन्दी-साहित्य-गगन के सूर्य तो हैं ही, बाल-वर्णन के क्षेत्र में भी सम्राट हैं-यह बात सर्वमान्य है। उसके दिव्य नेत्रों के सम्मुख उनके श्यामसुन्दर नित्य क्रीड़ा करते हैं। सूर कल्पना नहीं करते, वे तो देखते हैं और वर्णन करते हैं। इसीलिये उनकी वाणी इतनी सजीव है, इतनी ललित है, इतनी मर्मस्पर्शिनी है। अनन्त-सौन्दर्य-माधुर्यघन श्रीश्यामसुन्दर की बाल माधुरी का वर्णन जो सूर की सरस वाणी से हुआ है, रस का सर्वस्व-सार है। उसका गान करके वाणी पवित्र होती है, उसका चिन्तन करके हृदय परिशुद्ध होता है, उसके श्रवण से श्रवण सार्थक हो जाते हैं। श्रीकृष्णचन्द्र की शिशु-लीला के मधुर मंजुल पदों का सरल भावार्थ दिया गया है|
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आदि सनातन, हरि अबिनासी

20 मई 2022
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आदि सनातन, हरि अबिनासी । सदा निरंतर घठ घट बासी ॥ पूरन ब्रह्म, पुरान बखानैं । चतुरानन, सिव अंत न जानैं ॥ गुन-गन अगम, निगम नहिं पावै । ताहि जसोदा गोद खिलावै ॥ एक निरंतर ध्यावै ज्ञानी । पुरुष पुरातन स

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प्रात भयौ, जागौ गोपाल

20 मई 2022
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नवल सुंदरी आईं, बोलत तुमहि सबै ब्रजबाल ॥ प्रगट्यौ भानु, मंद भयौ उड़पति, फूले तरुन तमाल । दरसन कौं ठाढ़ी ब्रजवनिता, गूँथि कुसुम बनमाल ॥ मुखहि धौइ सुंदर बलिहारी, करहु कलेऊ लाल । सूरदास प्रभु आनँद के

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भावती लीला, अति पुनीत मुनि भाषी

20 मई 2022
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भावती लीला, अति पुनीत मुनि भाषी। सावधान ह्वै सुनौ परीच्छित, सकल देव मुनि साखी ॥ कालिंदी कैं कूल बसत इक मधुपुरि नगर रसाला। कालनेमि खल उग्रसेन कुल उपज्यौ कंस भुवाला ॥ आदिब्रह्म जननी सुर-देवी, नाम देवक

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जागौ, जागौ हो गोपाल

20 मई 2022
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जागौ, जागौ हो गोपाल । नाहिन इतौ सोइयत सुनि सुत, प्रात परम सुचि काल ॥ फिरि-फिरि जात निरखि मुख छिन-छिन, सब गोपनि बाल । बिन बिकसे कल कमल-कोष तैं मनु मधुपनि की माल ॥ जो तुम मोहि न पत्याहु सूर-प्रभु, स

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हरि मुख देखि हो बसुदेव

20 मई 2022
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हरि मुख देखि हो बसुदेव । कोटि-काल-स्वरूप सुंदर, कोउ न जानत भेव ॥ चारि भुज जिहिं चारि आयुध, निरखि कै न पत्याउ । अजहुँ मन परतीति नाहीं नंद-घर लै जाउ ॥ स्वान सूते, पहरुवा सब, नींद उपजी गेह । निस

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गोकुल प्रगट भए हरि आइ

20 मई 2022
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गोकुल प्रगट भए हरि आइ। अमर-उधारन असुर-संहारन, अंतरजामी त्रिभुवन राइ॥ माथैं धरि बसुदेव जु ल्याए, नंद-महर-घर गए पहुँचाइ। जागी महरि, पुत्र-मुख देख्यौ, पुलकि अंग उर मैं न समाइ॥ गदगद कंठ, बोलि नहिं

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उठीं सखी सब मंगल गाइ

20 मई 2022
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उठीं सखी सब मंगल गाइ । जागु जसोदा, तेरैं बालक उपज्यो, कुँअर कन्हाइ ॥ जो तू रच्या-सच्यो या दिन कौं, सो सब देहि मँगाइ । देहि दान बंदीजन गुनि-गन, ब्रज-बासनि पहिराइ ॥ तब हँसि कहत जसोदा ऐसैं, महरहिं ले

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हौं इक नई बात सुनि आई

20 मई 2022
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हौं इक नई बात सुनि आई । महरि जसौदा ढौटा जायौ, घर घर होति बधाई ॥ द्वारैं भीर गोप-गोपिनि की, महिमा बरनि न जाई । अति आनन्द होत गोकुल मैं, रतन भूमि सब छाई ॥ नाचत बृद्ध, तरुन अरु बालक, गोरस-कीच मचाई ।

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हौं सखि, नई चाह इक पाई

20 मई 2022
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हौं सखि, नई चाह इक पाई । ऐसे दिननि नंद कैं सुनियत, उपज्यौ पूत कन्हाई ॥ बाजत पनव-निसान पंचबिध, रुंज-मुरज सहनाई । महर-महरि ब्रज-हाट लुटावत, आनँद उर न समाई ॥ चलौं सखी, हमहूँ मिलि जैऐ, नैंकु करौ अतुरा

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ब्रज भयौ महर कैं पूत, जब यह बात सुनी

20 मई 2022
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ब्रज भयौ महर कैं पूत, जब यह बात सुनी । सुनि आनन्दे सब लोग, गोकुल नगर-सुनी ॥ अति पूरन पूरे पुन्य, रोपी सुथिर थुनी । ग्रह-लगन-नषत-पल सोधि, कीन्हीं बेद-धुनी ॥ सुनि धाई सब ब्रज नारि, सहज सिंगार कि

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आजु नंद के द्वारैं भीर

20 मई 2022
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आजु नंद के द्वारैं भीर । इक आवत, इक जात विदा ह्वै , इक ठाढ़े मंदिर कैं तीर ॥ कोउकेसरि कौ तिलक बनावति, कोउ पहिरति कंचुकी सरीर । एकनि कौं गौ-दान समर्पत, एकनि कौं पहिरावत चीर ॥ एकनि कौं भूषन पाटंबर,

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बहुत नारि सुहाग-सुंदरि और घोष कुमारी

20 मई 2022
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बहुत नारि सुहाग-सुंदरि और घोष कुमारी । सजन-प्रीतम-नाम लै-लै, दै परसपर गारि ॥ अनँद अतिसै भयौ घर-घर, नृत्य ठावँहि ठाँव । नंद-द्वारैं भेंट लै-लै उमह्यौ गोकुल गावँ ॥ चौक चंदन लीपि कै, धरि आरती संज

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बहुत नारि सुहाग-सुंदरि और घोष कुमारी

20 मई 2022
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बहुत नारि सुहाग-सुंदरि और घोष कुमारी । सजन-प्रीतम-नाम लै-लै, दै परसपर गारि ॥ अनँद अतिसै भयौ घर-घर, नृत्य ठावँहि ठाँव । नंद-द्वारैं भेंट लै-लै उमह्यौ गोकुल गावँ ॥ चौक चंदन लीपि कै, धरि आरती संज

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आजु बधायौ नंदराइ कैं, गावहु मंगलचार

20 मई 2022
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आजु बधायौ नंदराइ कैं, गावहु मंगलचार । आईं मंगल-कलस साजि कै, दधि फल नूतन-डार ॥ उर मेले नंदराइ कैं, गोप-सखनि मिलि हार । मागध-बंदी-सूत अति करत कुतूहल बार ॥ आए पूरन आस कै, सब मिलि देत असीस । नंदराइ क

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धनि-धनि नंद-जसोमति, धनि जग पावन रे

20 मई 2022
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धनि-धनि नंद-जसोमति, धनि जग पावन रे ।धनि हरि लियौ अवतार, सु धनि दिन आवन रे ॥ दसएँ मास भयौ पूत, पुनीत सुहावन रे ।संख-चक्र-गदा-पद्म, चतुरभुज भावन रे ॥ बनि ब्रज-सुंदरि चलीं, सु गाइ बधावन रे ।कनक-थार रोच

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सोभा-सिंधु न अंत रही री

20 मई 2022
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सोभा-सिंधु न अंत रही री । नंद-भवन भरि पूरि उमँगि चलि, ब्रज की बीथिनि फिरति बही री ॥ देखी जाइ आजु गोकुल मैं, घर-घर बेंचति फिरति दही री । कहँ लगि कहौं बनाइ बहुत बिधि,कहत न मुख सहसहुँ निबही री ॥ जसुम

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आजु हो निसान बाजै, नंद जू महर के

20 मई 2022
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आजु हो निसान बाजै, नंद जू महर के ।आनँद-मगन नर गोकुल सहर के ॥ आनंद भरी जसोदा उमँगि अंग न माति, अनंदित भई गोपी गावति चहर के । दूब-दधि-रोचन कनक-थार लै-लै चली, मानौ इंद्र-बधु जुरीं पाँतिनि बहर के ॥ आनं

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आजु हो बधायौ बाजै नंद गोप-राइ कै

20 मई 2022
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(माई) आजु हो बधायौ बाजै नंद गोप-राइ कै ।जदुकुल-जादौराइ जनमे हैं आइ कै ॥ आनंदित गोपी-ग्वाल नाचैं कर दै-दै ताल, अति अहलाद भयौ जसुमति माइ कै । सिर पर दूब धरि , बैठे नंद सभा-मधि , द्विजनि कौं गाइ दीनी ब

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आजु बधाई नंद कैं माई

20 मई 2022
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आजु बधाई नंद कैं माई । ब्रज की नारि सकल जुरि आई ॥ सुंदर नंद महर कैं मंदिर । प्रगट्यौ पूत सकल सुख- कंदर ॥ जसुमति-ढोटा ब्रज की सोभा । देखि सखी, कछु औरैं गोभा ॥ लछिमी- सी जहँ मालिनि बोलै । बंदन-माला ब

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आजु गृह नंद महर कैं बधाइ

20 मई 2022
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आजु गृह नंद महर कैं बधाइ । प्रात समय मोहन मुख निरखत, कोटि चंद-छबि पाइ ॥ मिलि ब्रज-नागरि मंगल गावतिं, नंद-भवन मैं आइ । देतिं असीस, जियौ जसुदा-सुत कोटिनि बरष कन्हाइ ॥ अति आनंद बढ्यौ गोकुल मैं, उपमा

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आजु तौ बधाइ बाजै मंदिर महर के

20 मई 2022
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(माई) आजु तौ बधाइ बाजै मंदिर महर के । फूले फिरैं गोपी-ग्वाल ठहर ठहर के ॥ फूली फिरैं धेनु धाम, फूली गोपी अँग अँग । फूले फरे तरबर आनँद लहर के ॥ फूले बंदीजन द्वारे, फूले फूले बंदवारे । फूले जहाँ जोइ

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कनक-रतन-मनि पालनौ, गढ़्यौ काम सुतहार

20 मई 2022
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कनक-रतन-मनि पालनौ, गढ़्यौ काम सुतहार । बिबिध खिलौना भाँति के (बहु) जग-मुक्ता चहुँधार ॥ जननि उबटि न्हवाइ कै (सिसु) क्रम सौं लीन्है गोद । पौढ़ाए पट पालनैं (हँसि) निरखि जननि मन-मोद ॥ अति कोमल दिन सात

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जसोदा हरि पालनैं झुलावै

20 मई 2022
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जसोदा हरि पालनैं झुलावै। हलरावै, दुलराइ मल्हावै, जोइ-जोइ कछु गावै॥ मेरे लाल कौं आउ निंदरिया, काहैं न आनि सुवावै। तू काहैं नहिं बेगहिं आवै, तोकौं कान्ह बुलावै॥ कबहुँ पलक हरि मूँदि लेत हैं, कबहुँ अध

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पलना स्याम झुलावती जननी

20 मई 2022
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पलना स्याम झुलावती जननी। अति अनुराग पुरस्सर गावति, प्रफुलित मगन होति नँद-घरनी ॥ उमँगि-उमँगि प्रभु भुजा पसारत, हरषि जसोमति अंकम भरनी । सूरदास प्रभु मुदित जसोदा, पुरन भई पुरातन करनी ॥ माता श्यामसु

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हरि किलकत जसुदा की कनियाँ

20 मई 2022
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हरि किलकत जसुदा की कनियाँ । निरखि-निरखि मुख कहति लाल सौं मो निधनी के धनियाँ ॥ अति कोमल तन चितै स्याम कौ बार-बार पछितात । कैसैं बच्यौ, जाउँ बलि तेरी, तृनावर्त कैं घात ॥ ना जानौं धौं कौन पुन्य तैं,

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सुत-मुख देखि जसोदा फूली

20 मई 2022
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सुत-मुख देखि जसोदा फूली । हरषित देखि दूध की दँतियाँ, प्रेममगन तन की सुधि भूली ॥ बाहिर तैं तब नंद बुलाए, देखौ धौं सुंदर सुखदाई । तनक-तनक-सी दूध-दँतुलिया, देखौ, नैन सफल करौ आई ॥ आनँद सहित महर तब आए,

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कन्हैया हालरु रे

20 मई 2022
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कन्हैया हालरु रे । गढ़ि गुढ़ि ल्यायौ बढ़ई, धरनी पर डोलाइ, बलि हालरु रे ॥ इक लख माँगे बढ़ई, दुइ लख नंद जु देहिं बलि हालरु रे । रतन जटित बर पालनौ, रेसम लागी डोर, बलि हालरु रे ॥ कबहुँक झूलै पालना, कब

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नैंकु गोपालहिं मोकौं दै री

20 मई 2022
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नैंकु गोपालहिं मोकौं दै री । देखौं बदन कमल नीकैं करि, ता पाछैं तू कनियाँ लै री ॥ अति कोमल कर-चरन-सरोरुह, अधर-दसन-नासा सोहै री । लटकन सीस, कंठ मनि भ्राजत, मनमथ कोटि बारने गै री ॥ बासर-निसा बिचारति

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कन्हैया हालरौ हलरोइ

20 मई 2022
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कन्हैया हालरौ हलरोइ । हौं वारी तव इंदु-बदन पर, अति छबि अलग भरोइ ॥ कमल-नयन कौं कपट किए माई, इहिं ब्रज आवै जोइ । पालागौं बिधि ताहि बकी ज्यौं, तू तिहिं तुरत बिगोइ ॥ सुनि देवता बड़े, जग-पावन, तू पति य

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कर पग गहि, अँगूठा मुख

20 मई 2022
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कर पग गहि, अँगूठा मुख । प्रभु पौढ़े पालनैं अकेले, हरषि-हरषि अपनैं रँग खेलत ॥ सिव सोचत, बिधि बुद्धि बिचारत, बट बाढ्यौ सागर-जल झेलत । बिडरि चले घन प्रलय जानि कै, दिगपति दिग-दंतीनि सकेलत ॥ मुनि मन भी

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चरन गहे अँगुठा मुख मेलत

20 मई 2022
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चरन गहे अँगुठा मुख मेलत । नंद-घरनि गावति, हलरावति, पलना पर हरि खेलत ॥ जे चरनारबिंद श्री-भूषन, उर तैं नैंकु न टारति । देखौं धौं का रस चरननि मैं, मुख मेलत करि आरति ॥ जा चरनारबिंद के रस कौं सुर-मुनि

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जसुदा मदन गोपाल सोवावै

20 मई 2022
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जसुदा मदन गोपाल सोवावै । देखि सयन-गति त्रिभुवन कंपै, ईस बिरंचि भ्रमावै ॥ असित-अरुन-सित आलस लोचन उभय पलक परि आवै । जनु रबि गत संकुचित कमल जुग, निसि अलि उड़न न पावै ॥ स्वास उदर उससित यौं, मानौं दुग्

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हरषे नंद टेरत महरि

20 मई 2022
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हरषे नंद टेरत महरि । आइ सुत-मुख देखि आतुर, डारि दै दधि-डहरि ॥ मथति दधि जसुमति मथानी, धुनि रही घर-घहरि । स्रवन सुनति न महर बातैं, जहाँ-तहँ गइ चहरि ॥ यह सुनत तब मातु धाई, गिरे जाने झहरि । हँसत नँद-

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महरि मुदित उलटाइ कै मुख चूमन लागी

20 मई 2022
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महरि मुदित उलटाइ कै मुख चूमन लागी । चिरजीवौ मेरौ लाड़िलौ, मैं भई सभागी ॥ एक पाख त्रय-मास कौ मेरौ भयौ कन्हाई । पटकि रान उलटो पर्‌यौ, मैं करौं बधाई ॥ नंद-घरनि आनँद भरी, बोलीं ब्रजनारी । यह सुख सुनि

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जो सुख ब्रज मैं एक घरी

20 मई 2022
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जो सुख ब्रज मैं एक घरी । सो सुख तीनि लोक मैं नाहीं धनि यह घोष-पुरी ॥ अष्टसिद्धि नवनिधि कर जोरे, द्वारैं रहति खरी । सिव-सनकादि-सुकादि-अगोचर, ते अवतरे हरी ॥ धन्य-धन्य बड़भागिनि जसुमति, निगमनि सही पर

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यह सुख सुनि हरषीं ब्रजनारी

20 मई 2022
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यह सुख सुनि हरषीं ब्रजनारी । देखन कौं धाईं बनवारी ॥ कोउ जुवती आई , कोउ आवति । कोउ उठि चलति, सुनत सुख पावति ॥ घर-घर होति अनंद-बधाई । सूरदास प्रभु की बलि जाई ॥ यह आनन्द-संवाद (कि कन्हाई ने आज स्वयं

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जननी देखि, छबि बलि जाति

20 मई 2022
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जननी देखि, छबि बलि जाति । जैसैं निधनी धनहिं पाएँ, हरष दिन अरु राति ॥ बाल-लीला निरखि हरषति, धन्य धनि ब्रजनारि । निरखि जननी-बदन किलकत, त्रिदस-पति दै तारि ॥ धन्य नँद, धनि धन्य गोपी, धन्य ब्रज कौ बास

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गोद लिए हरि कौं नँदरानी

20 मई 2022
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गोद लिए हरि कौं नँदरानी, अस्तन पान करावति है । बार-बार रोहिनि कौ कहि-कहि, पलिका अजिर मँगावति है ॥ प्रात समय रबि-किरनि कोंवरी, सो कहि, सुतहिं बतावति है । आउ घाम मेरे लाल कैं आँगन, बाल-केलि कौं गावति

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नंद-घरनि आनँद भरी, सुत स्याम खिलावै

20 मई 2022
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नंद-घरनि आनँद भरी, सुत स्याम खिलावै । कबहिं घुटुरुवनि चलहिंगे, कहि बिधिहिं मनावै ॥ कबहिं दँतुलि द्वै दूध की, देखौं इन नैननि । कबहिं कमल-मुख बोलिहैं, सुनिहौं उन बैननि ॥ चूमति कर-पग-अधर-भ्रू, लटकति

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जसुमति मन अभिलाष करै

20 मई 2022
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जसुमति मन अभिलाष करै । कब मेरो लाल घटुरुवनि रेंगै, कब धरनी पग द्वैक धरै ॥ कब द्वै दाँत दूध के देखौं, कब तोतरैं मुख बचन झरै । कब नंदहिं बाबा कहि बोलै, कब जननी कहि मोहिं ररै ॥ कब मेरौ अँचरा गहि मोहन

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हरि किलकत जसुमति की कनियाँ

20 मई 2022
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हरि किलकत जसुमति की कनियाँ । मुख मैं तीनि लोक दिखराए, चकित भई नँद-रनियाँ ॥ घर-घर हाथ दिवापति डोलति, बाँधति गरैं बघनियाँ । सूर स्याम की अद्भुत लीला नहिं जानत मुनिजनियाँ ॥ भावार्थ :-- हरि श्रीयशोद

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जननी बलि जाइ हालक हालरौ गोपाल

20 मई 2022
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जननी बलि जाइ हालक हालरौ गोपाल । दधिहिं बिलोइ सदमाखन राख्यौ, मिश्री सानि चटावै नँदलाल ॥ कंचन-खंभ, मयारि, मरुवा-डाड़ी, खचि हीरा बिच लाल-प्रवाल । रेसम बनाइ नव रतन पालनौ, लटकन बहुत पिरोजा-लाल ॥ मोतिनि

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हरि कौ मुख माइ, मोहि अनुदिन अति भावै

20 मई 2022
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हरि कौ मुख माइ, मोहि अनुदिन अति भावै । चितवत चित नैननि की मति-गति बिसरावै ॥ ललना लै-लै उछंग अधिक लोभ लागैं। निरखति निंदति निमेष करत ओट आगैं ॥ सोभित सुकपोल-अधर, अलप-अलप दसना । किलकि-किलकि बैन कहत,

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लालन, वारी या मुख ऊपर

20 मई 2022
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लालन, वारी या मुख ऊपर । माई मोरहि दौठि न लागै, तातैं मसि-बिंदा दियौ भ्रू पर ॥ सरबस मैं पहिलै ही वार्‌यौ, नान्हीं नान्हीं दँतुली दू पर । अब कहा करौं निछावरि, सूरज सोचति अपनैं लालन जू पर ॥ भावार्थ :

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आजु भोर तमचुर के रोल

20 मई 2022
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आजु भोर तमचुर के रोल । गोकुल मैं आनंद होत है, मंगल-धुनि महराने टोल ॥ फूले फिरत नंद अति सुख भयौ, हरषि मँगावत फूल-तमोल । फूली फिरति जसोदा तन-मन, उबटि कान्ह अन्हवाई अमोल ॥ तनक बदन, दोउ तनक-तनक कर, तन

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खीजत जात माखन खात

20 मई 2022
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खीजत जात माखन खात । अरुन लोचन, भौंह टेढ़ी, बार-बार जँभात ॥ कबहुँ रुनझुन चलत घुटुरुनि, धूरि धूसर गात । कबहुँ झुकि कै अलक खैँचत, नैन जल भरि जात ॥ कबहुँ तोतरे बोल बोलत, कबहुँ बोलत तात । सूर हरि की न

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बाल बिनोद खरो जिय भावत

20 मई 2022
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बाल बिनोद खरो जिय भावत । मुख प्रतिबिंब पकरिबे कारन हुलसि घुटुरुवनि धावत ॥ अखिल ब्रह्मंड-खंड की महिमा, सिसुता माहिं दुरावत । सब्द जोरि बोल्यौ चाहत हैं, प्रगट बचन नहिं आवत ॥ कमल-नैन माखन माँगत हैं क

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मैं बलि स्याम, मनोहर नैन

20 मई 2022
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मैं बलि स्याम, मनोहर नैन । जब चितवत मो तन करि अँखियन, मधुप देत मनु सैन ॥ कुंचित, अलक, तिलक गोरोचन, ससि पर हरि के ऐन । कबहुँक खेलत जात घुटुरुवनि, उपजावत सुख चैन ॥ कबहुँक रोवत-हँसत बलि गई, बोलत मधुर

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किलकत कान्ह घुटुरुवनि आवत

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किलकत कान्ह घुटुरुवनि आवत । मनिमय कनक नंद कै आँगन, बिंब पकरिबैं धावत ॥ कबहुँ निरखि हरि आपु छाहँ कौं, कर सौं पकरन चाहत । किलकि हँसत राजत द्वै दतियाँ, पुनि-पुनि तिहिं अवगाहत ॥ कनक-भूमि पद कर-पग-छाया

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नंद-धाम खेलत हरि डोलत

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नंद-धाम खेलत हरि डोलत । जसुमति करति रसोई भीतर, आपुन किलकत बोलत ॥ टेरि उठी जसुमति मोहन कौं, आवहु काहैं न धाइ । बैन सुनत माता पहिचानी, चले घुटुरुवनि पाइ ॥ लै उठाइ अंचल गहि पोंछै, धूरि भरी सब देह ।

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हरिकौ बिमल जस गावति गोपंगना

20 मई 2022
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हरिकौ बिमल जस गावति गोपंगना । मनिमय आँगन नदराइ कौ, बाल-गोपाल करैं तहँ रँगना ॥ गिरि-गिरि परत घुटुरुवनि रेंगत, खेलत हैं दोउ छगना-मगना । धूसरि धूरि दुहूँ तन मंडित, मातु जसोदा लेति उछँगना ॥ बसुधा त्रि

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चलन चहत पाइनि गोपाल

20 मई 2022
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चलन चहत पाइनि गोपाल । लए लाइ अँगुरी नंदरानी, सुंदर स्याम तमाल ॥ डगमगात गिरि परत पानि पर, भुज भ्राजत नँदलाल । जनु सिर पर ससि जानि अधोमुख, धुकत नलिनि नमि नाल ॥ धूरि-धौत तन, अंजन नैननि, चलत लटपटी चाल

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सिखवति चलन जसोदा मैया

20 मई 2022
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सिखवति चलन जसोदा मैया । अरबराइ कर पानि गहावत, डगमगाइ धरनी धरै पैया ॥ कबहुँक सुंदर बदन बिलोकति, उर आनँद भरि लेति बलैया । कबहुँक कुल देवता मनावति, चिरजीवहु मेरौ कुँवर कन्हैया ॥ कबहुँक बल कौं टेरि बु

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भावत हरि कौ बाल-बिनोद

20 मई 2022
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भावत हरि कौ बाल-बिनोद । स्याम -राम-मुख निरखि-निरखि सुख-मुदित रोहिनी, जननि जसोद ॥ आँगन-पंक-राग तन सोभित, चल नूपुर-धुनि सुनि मन मोद । परम सनेह बढ़ावत मातनि, रबकि-रबकि हरि बैठत गोद ॥ आनँद-कंद, सकल सु

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सूच्छम चरन चलावत बल करि

20 मई 2022
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सूच्छम चरन चलावत बल करि । अटपटात, कर देति सुंदरी, उठत तबै सुजतन तन-मन धरि ॥ मृदु पद धरत धरनि ठहरात न, इत-उत भुज जुग लै-लै भरि-भरि । पुलकित सुमुखीभई स्याम-रस ज्यौं जल मैं दाँची गागरि गरि ॥ सूरदास स

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बाल-बिनोद आँगन की डोलनि

20 मई 2022
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बाल-बिनोद आँगन की डोलनि । मनिमय भूमि नंद कैं आलय, बलि-बलि जाउँ तोतरे बोलनि ॥ कठुला कंठ कुटिल केहरि-नख, ब्रज-माल बहु लाल अमोलनि । बदन सरोज तिलक गोरोचन, लट लटकनि मधुकर-गति डोलनि ॥ कर नवनीत परस आनन स

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गहे अँगुरियाँ ललन की, नँद चलन सिखावत

20 मई 2022
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गहे अँगुरियाँ ललन की, नँद चलन सिखावत । अरबराइ गिरि परत हैं, कर टेकि उठावत ॥ बार-बार बकि स्याम सौं कछु बोल बुलावत । दुहुँघाँ द्वै दँतुली भई, मुख अति छबि पावत ॥ कबहुँ कान्ह-कर छाँड़ि नँद, पग द्वैक र

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कान्ह चलत पग द्वै-द्वै धरनी

20 मई 2022
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कान्ह चलत पग द्वै-द्वै धरनी । जो मन मैं अभिलाष करति ही, सो देखति नँद-घरनी ॥ रुनुक-झुनुक नूपुर पग बाजत, धुनि अतिहीं मन-हरनी । बैठि जात पुनि उठत तुरतहीं सो छबि जाइ न बरनी ॥ ब्रज-जुवती सब देखि थकित भ

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भीतर तैं बाहर लौं आवत

20 मई 2022
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भीतर तैं बाहर लौं आवत । घर-आँगन अति चलत सुगम भए, देहरि अँटकावत ॥ गिरि-गिरि परत, जात नहिं उलँघी, अति स्रम होत नघावत । अहुँठ पैग बसुधा सब कीनी, धाम अवधि बिरमावत ॥ मन हीं मन बलबीर कहत हैं, ऐसे रंग बन

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सो बल कहा भयौ भगवान

20 मई 2022
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सो बल कहा भयौ भगवान ? जिहिं बल मीन रूप जल थाह्यौ, लियौ निगम,हति असुर-परान ॥ जिहिं बल कमठ-पीठि पर गिरि धरि, जल सिंधु मथि कियौ बिमान । जिहिं बल रूप बराह दसन पर, राखी पुहुमी पुहुप समान ॥ जिहिं बल हिर

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साँवरे बलि-बलि बाल-गोबिंद

20 मई 2022
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साँवरे बलि-बलि बाल-गोबिंद । अति सुख पूरन परमानंद ॥ तीनि पैड जाके धरनि न आवै । ताहि जसोदा चलन सिखावै ॥ जाकी चितवनि काल डराई । ताहि महरि कर-लकुटि दिखाई ॥ जाकौ नाम कोटि भ्रम टारै । तापर राई-लोन उत

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हरि हरि हँसत मेरौ माधैया

20 मई 2022
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हरि हरि हँसत मेरौ माधैया । देहरि चढ़त परत गिर-गिर, कर पल्लव गहति जु मैया ॥ भक्ति-हेत जसुदा के आगैं, धरनी चरन धरैया । जिनि चरनि छलियौ बलि राजा, नख गंगा जु बहैया ॥ जिहिं सरूप मोहे ब्रह्मादिक, रबि-सस

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झुनक स्याम की पैजनियाँ

20 मई 2022
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झुनक स्याम की पैजनियाँ । जसुमति-सुत कौ चलन सिखावति, अँगुरी गहि-गहि दोउ जनियाँ ॥ स्याम बरन पर पीत झँगुलिया, सीस कुलहिया चौतनियाँ । जाकौ ब्रह्मा पार न पावत, ताहि खिलावति ग्वालिनियाँ ॥ दूरि न जाहु नि

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जसोदा, तेरौ चिरजीवहु गोपाल

20 मई 2022
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जसोदा, तेरौ चिरजीवहु गोपाल । बेगि बढ़ै बल सहित बिरध लट, महरि मनोहर बाल ॥ उपजि परयौ सिसु कर्म-पुन्य-फल, समुद-सीप ज्यौं लाल । सब गोकुल कौ प्रान-जीवन-धन, बैरिन कौ उर-साल ॥ सूर कितौ सुख पावत लोचन, निर

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मैं मोही तेरैं लाल री

20 मई 2022
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मैं मोही तेरैं लाल री । निपट निकट ह्वै कै तुम निरखौ, सुंदर नैन बिसाल री ॥ चंचल दृग अंचल पट दुति छबि, झलकत चहुँ दिसि झाल री । मनु सेवाल कमल पर अरुझे, भँवत भ्रमर भ्रम-चाल री ॥ मुक्ता-बिद्रुम-नील-पीत

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कल बल कै हरि आरि परे

20 मई 2022
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कल बल कै हरि आरि परे । नव रँग बिमल नवीन जलधि पर, मानहुँ द्वै ससि आनि अरे ॥ जे गिरि कमठ सुरासुर सर्पहिं धरत न मन मैं नैंकु डरे । ते भुज भूषन-भार परत कर गोपिनि के आधार धरे ॥ सूर स्याम दधि-भाजन-भीतर

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जब दधि-मथनी टेकि अरै

20 मई 2022
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जब दधि-मथनी टेकि अरै । आरि करत मटुकी गहि मोहन, वासुकि संभु डरै ॥ मंदर डरत, सिंधु पुनि काँपत, फिरि जनि मथन करै । प्रलय होइ जनि गहौं मथानी, प्रभु मरजाद टरै ॥ सुर अरु असुर ठाढ़ै सब चितवत, नैननि नीर ढ

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जब दधि-रिपु हाथ लियौ

20 मई 2022
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जब दधि-रिपु हाथ लियौ । खगपति-अरि डर, असुरनि-संका, बासर-पति आनंद कियौ ॥ बिदुखि-सिंधु सकुचत, सिव सोचत, गरलादिक किमि जात पियौ ? अति अनुराग संग कमला-तन, प्रफुलित अँग न समात हियौ एकनि दुख, एकनि सुख उपज

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जब मोहन कर गही मथानी

20 मई 2022
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जब मोहन कर गही मथानी । परसत कर दधि-माट, नेति, चित उदधि, सैल, बासुकि भय मानी ॥ कबहुँक तीनि पैग भुव मापत, कबहुँक देहरि उलँघि न जानी ! कबहुँक सुर-मुनि ध्यान न पावत, कबहुँ खिलावति नंद की रानी ! कबहुँक

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नंद जू के बारे कान्ह, छाँड़ि दै मथनियाँ

20 मई 2022
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नंद जू के बारे कान्ह, छाँड़ि दै मथनियाँ । बार-बार कहति मातु जसुमति नँदरनियाँ ॥ नैकु रहौ माखन देउँ मेरे प्रान-धनियाँ । आरि जनि करौ, बलि-बलि जाउँ हौं निधनियाँ ॥ जाकौ ध्यान धरैं सबै, सुर-नर-मुनि जनिय

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प्रात समय दधि मथति जसोदा

20 मई 2022
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प्रात समय दधि मथति जसोदा, अति सुख कमल-नयन-गुन गावति । अतिहिं मधुर गति, कंठ सुघर अति, नंद-सुवन चित हितहि करावति ॥ नील बसन तनु, सजल जलद मनु, दामिनि बिवि भुज-दंड चलावति । चंद्र-बदन लट लटकि छबीली,

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प्रात समय दधि मथति जसोदा

20 मई 2022
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प्रात समय दधि मथति जसोदा, अति सुख कमल-नयन-गुन गावति । अतिहिं मधुर गति, कंठ सुघर अति, नंद-सुवन चित हितहि करावति ॥ नील बसन तनु, सजल जलद मनु, दामिनि बिवि भुज-दंड चलावति । चंद्र-बदन लट लटकि छबीली,

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कहन लागे मोहन मैया-मैया

20 मई 2022
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कहन लागे मोहन मैया-मैया ॥ नंद महर सौं बाबा-बाबा, अरु हलधर सौं भैया ॥ ऊँचे चड़ी-चढ़ि कहति जसोदा, लै लै नाम कन्हैया । दूरि खेलन जनि जाहु लला रे, मारैगी काहु की गैया ॥ गोपी-व्वाल करत कौतूहल, घर-घर बज

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माखन खात हँसत किलकत हरि

20 मई 2022
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माखन खात हँसत किलकत हरि, पकरि स्वच्छ घट देख्यौ । निज प्रतिबिंब निरखि रिस मानत, जानत आन परेख्यौ ॥ मन मैं माख करत, कछु बोलत, नंद बबा पै आयौ । वा घट मैं काहू कै लरिका, मेरौ माखन खायौ ॥ महर कंठ लावत,

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बेद-कमल-मुख परसति जननी

20 मई 2022
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बेद-कमल-मुख परसति जननी, अंक लिए सुत रति करि स्याम । परम सुभग जु अरुन कोमल-रुचि, आनन्दित मनु पूरन-काम ॥ आलंबित जु पृष्ठ बल सुंदर परसपरहि चितवत हरि-राम । झाँकि-उझकि बिहँसत दोऊ सुत, प्रेम-मगन भइ इकटक

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सोभा मेरे स्यामहि पै सोहै

20 मई 2022
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सोभा मेरे स्यामहि पै सोहै । बलि-बलि जाउँ छबीले मुख की, या उपमा कौं को है ॥ या छबि की पटतर दीबे कौं सुकबि कहा टकटोहै ? देखत अंग-अंग प्रति बालक, कोटि मदन-मन छोहै ॥ ससि-गन गारि रच्यौ बिधि आनन, बाँके

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बाल गुपाल ! खेलौ मेरे तात

20 मई 2022
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बाल गुपाल ! खेलौ मेरे तात । बलि-बलि जाउँ मुखारबिंदकी, अमिय-बचन बोलौ तुतरात ॥ दुहुँ कर माट गह्यौ नँदनंदन, छिटकि बूँद-दधि परत अघात । मानौ गज-मुक्ता मरकत पर , सोभित सुभग साँवरे गात ॥ जननी पै माँगत जग

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पलना झूलौ मेरे लाल पियारे

20 मई 2022
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पलना झूलौ मेरे लाल पियारे । सुसकनि की वारी हौं बलि-बलि, हठ न करहु तुम नंद-दुलारे ॥ काजर हाथ भरौ जनि मोहन ह्वै हैं नैना रतनारे । सिर कुलही, पग पहिरि पैजनी, तहाँ जाहु नंद बबा रे ॥ देखत यह बिनोद धरनी

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क्रीड़त प्रात समय दोउ बीर

20 मई 2022
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क्रीड़त प्रात समय दोउ बीर । माखन माँगत, बात न मानत, झँखत जसोदा-जननी तीर ॥ जननी मधि, सनमुख संकर्षन कैंचत कान्ह खस्यो सिर-चीर । मनहुँ सरस्वति संग उभय दुज, कल मराल अरु नील कँठीर ॥ सुंदर स्याम गही कबर

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कनक-कटोरा प्रातहीं, दधि घृत सु मिठाई

20 मई 2022
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कनक-कटोरा प्रातहीं, दधि घृत सु मिठाई । खेलत खात गिरावहीं, झगरत दोउ भाई ॥ अरस-परस चुटिया गहैं, बरजति है माई । महा ढीठ मानैं नहीं, कछु लहुर-बड़ाई ॥ हँसि कै बोली रोहिनी, जसुमति मुसुकाई । जगन्नाथ धरन

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गोपालराइ दधि माँगत अरु रोटी

20 मई 2022
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गोपालराइ दधि माँगत अरु रोटी । माखन सहित देहि मेरी मैया, सुपक सुकोमल रोटी ॥ कत हौ आरि करत मेरे मोहन, तुम आँगन मैं लोटी? जो चाहौ सो लेहु तुरतहीं, छाँड़ौ यह मति खोटी ॥ करि मनुहारि कलेऊ दीन्हौ, मुख चु

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तनक दै री माइ, माखन तनक दै री माइ

20 मई 2022
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तनक दै री माइ, माखन तनक दै री माइ । तनक कर पर तनक रोटी, मागत चरन चलाइ ॥ कनक-भू पर रतन रेखा, नेति पकर्‌यौ धाइ । कँप्यौ गिरि अरु सेष संक्यौ, उदधि चल्यौ अकुलाइ । तनक मुख की तनक बतियाँ, बोलत हैं तुतरा

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नैकु रहौ, माखन द्यौं तुम कौं

20 मई 2022
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नैकु रहौ, माखन द्यौं तुम कौं । ठाढ़ी मथति जननि आतुर, लौनी नंद-सुवन कौं ॥ मैं बलि जाउँ स्याम-घन-सुंदर, भूख लगी तुम्हैं भारी । बात कहूँ की बूझति स्यामहि, फेर करत महतारी ॥ कहत बात हरि कछू न समुझत, झू

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बातनिहीं सुत लाइ लियौ

20 मई 2022
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बातनिहीं सुत लाइ लियौ । तब लौं मधि दधि जननि जसोदा, माखन करि हरि हाथ दियौ ॥ लै-लै अधर परस करि जेंवत, देखत फूल्यौ मात-हियौ । आपुहिं खात प्रसंसत आपुहिं, माखन-रोटी बहुत प्रियौ ॥ जो प्रभु सिव-सनकादिक द

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दधि-सुत जामे नंद-दुवार

20 मई 2022
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दधि-सुत जामे नंद-दुवार । निरखि नैन अरुझ्यौ मनमोहन, रटत देहु कर बारंबार ॥ दीरघ मोल कह्यौ ब्यौपारी, रहे ठगे सब कौतुक हार । कर ऊपर लै राखि रहे हरि, देत न मुक्ता परम सुढार ॥ गोकुलनाथ बए जसुमति के आँगन

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मैया, कबहिं बढ़ैगी चोटी

20 मई 2022
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मैया, कबहिं बढ़ैगी चोटी किती बार मोहि दूध पियत भइ, यह अजहूँ है छोटी ॥ तू जो कहति बल की बेनी ज्यौं, ह्वै है लाँबी-मोटी । काढ़त-गुहत-न्हवावत जैहै नागिनि-सी भुइँ लोटी ॥ काँचौ दूध पियावति पचि-पचि, देत

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हरि अपनैं आँगन कछु गावत

20 मई 2022
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हरि अपनैं आँगन कछु गावत । तनक-तनक चरननि सौ नाचत, मनहीं मनहि रिझावत॥ बाँह उठाइ काजरी-धौरी गैयनि टेरि बुलावति । कबहुँक बाबा नंद पुकारत, कबहुँक घर मैं आवत ॥ माखन तनक आपनैं कर लै, तनक बदन मैं नावत ।

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बलि-बलि जाउँ मधुर सुर गावहु

20 मई 2022
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बलि-बलि जाउँ मधुर सुर गावहु । अब की बार मेरे कुँवर कन्हैया, नंदहि नाच दिखावहु ॥ तारी देहु आपने कर की, परम प्रीति उपजावहु । आन जंतु धुनि सुनि कत डरपत, मो भुज कंठ लगावहु ॥ जनि संका जिय करौ लाल मेरे,

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पाहुनी, करि दै तनक मह्यौ

20 मई 2022
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पाहुनी, करि दै तनक मह्यौ । हौं लागी गृह-काज-रसोई , जसुमति बिनय कह्यौ ॥ आरि करत मनमोहन मेरो, अंचल आनि गह्यौ । ब्याकुल मथति मथनियाँ रीती, दधि भुव ढरकि रह्यौ ॥ माखन जात जानि नँदरानी, सखी सम्हारि कह्य

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मोहन, आउ तुम्हैं अन्हवाऊँ

20 मई 2022
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मोहन, आउ तुम्हैं अन्हवाऊँ । जमुना तैं जल भरि लै आऊँ, ततिहर तुरत चढ़ाऊँ ॥ केसरि कौ उबटनौ बनाऊँ, रचि-रचि मैल छुड़ाऊँ । सूर कहै कर नैकु जसोदा, कैसैहुँ पकरि न पाऊँ ॥ भावार्थ :-- `माता ! आओ , तुम्हें

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जसुमति जबहिं कह्यौ अन्वावन

20 मई 2022
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जसुमति जबहिं कह्यौ अन्वावन, रोइ गए हरि लोटत री । तेल उबटनौं लै आगैं धरि, लालहिं चोटत-पोटत री ॥ मैं बलि जाउँ न्हाउ जनि मोहन, कत रोवत बिनु काजैं री । पाछैं धरि राख्यौ छपाइ कै उबटन-तेल-समाजैं री ॥ मह

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ठाढ़ी अजिर जसोदा अपनैं

20 मई 2022
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ठाढ़ी अजिर जसोदा अपनैं, हरिहि लिये चंदा दिखरावत । रोवत कत बलि जाउँ तुम्हारी, देखौ धौं भरि नैन जुड़ावत ॥ चितै रहे तब आपुन ससि-तन, अपने के लै-लै जु बतावत । मीठौ लगत किधौं यह खाटौ, देखत अति सुंदर मन भ

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किहिं बिधि करि कान्हहिं समुजैहौं

20 मई 2022
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किहिं बिधि करि कान्हहिं समुजैहौं ? मैं ही भूलि चंद दिखरायौ, ताहि कहत मैं खैहौं ! अनहोनी कहुँ भई कन्हैया, देखी-सुनी न बात । यह तौ आहि खिलौना सब कौ, खान कहत तिहि तात ! यहै देत लवनी नित मोकौं, छिन छि

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बार-बार जसुमति सुत बोधति

20 मई 2022
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बार-बार जसुमति सुत बोधति, आउ चंद तोहि लाल बुलावै । मधु-मेवा-पकवान-मिठाई, आपुन खैहै, तोहि खवावै ॥ हाथहि पर तोहि लीन्हे खेलै नैकु नहीं धरनी बैठावै । जल-बासन कर लै जु उठावति, याही मैं तू तन धरि आवै ॥

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ऐसौ हठी बाल गोविन्दा

20 मई 2022
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(मेरी माई) ऐसौ हठी बाल गोविन्दा । अपने कर गहि गगन बतावत, खेलन कौं माँगै चंदा ॥ बासन मैं जल धर्‌यौ जसोदा, हरि कौं आनि दिखावै । रुदन करत, ढूँढ़त नहिं पावत, चंद धरनि क्यों आवै ! मधु-मेवा-पकवान-मिठाई,

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मैया, मैं तौ चंद-खिलौना लैहौं

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मैया, मैं तौ चंद-खिलौना लैहौं। जैहौं लोटि धरनि पर अबहीं, तेरी गोद न ऐहौं॥ सुरभी कौ पय पान न करिहौं, बेनी सिर न गुहैहौं। ह्वै हौं पूत नंद बाबा को , तेरौ सुत न कहैहौं॥ आगैं आउ, बात सुनि मेरी, बलदेवह

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लै लै मोहन ,चंदा लै

20 मई 2022
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लै लै मोहन ,चंदा लै । कमल-नैन! बलि जाउँ सुचित ह्वै, नीचैं नैकु चितै ॥ जा कारन तैं सुनि सुत सुंदर, कीन्ही इती अरै । सोइ सुधाकर देखि कन्हैया, भाजन माहिं परै ॥ नभ तैं निकट आनि राख्यौ है, जल-पुट जतन ज

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तुव मुख देखि डरत ससि भारी

20 मई 2022
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तुव मुख देखि डरत ससि भारी । कर करि कै हरि हेर्‌यौ चाहत, भाजि पताल गयौ अपहारी ॥ वह ससि तौ कैसेहुँ नहिं आवत, यह ऐसी कछु बुद्धि बिचारी । बदन देखि बिधु-बुधि सकात मन, नैन कंज कुंडल इजियारी ॥ सुनौ स्याम

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जसुमति लै पलिका पौढ़ावति

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जसुमति लै पलिका पौढ़ावति । मेरौ आजु अतिहिं बिरुझानौ, यह कहि-कहि मधुरै सुर गावति ॥ पौढ़ि गई हरुऐं करि आपुन, अंग मोर तब हरि जँभुआने । कर सौं ठोंकि सुतहि दुलरावति, चटपटाइ बैठे अतुराने ॥ पौढ़ौ लाल, कथ

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सुनि सुत, एक कथा कहौं प्यारी

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सुनि सुत, एक कथा कहौं प्यारी । कमल-नैन मन आनँद उपज्यौ, चतुर-सिरोमनि देत हुँकारी ॥ दसरथ नृपति हती रघुबंसी, ताकैं प्रगट भए सुत चारी । तिन मैं मुख्य राम जो कहियत, जनक-सुता ताकी बर नारी ॥ तात-बचन लगि

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नाहिनै जगाइ सकत, सुनि सुबात सजनी

20 मई 2022
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नाहिनै जगाइ सकत, सुनि सुबात सजनी । अपनैं जान अजहुँ कान्ह मानत हैं रजनी ॥ जब जब हौं निकट जाति, रहति लागि लोभा । तन की गति बिसरि जाति, निरखत मुख-सोभा ॥ बचननि कौं बहुत करति, सोचति जिय ठाढ़ी । नैननि

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जागिए, व्रजराज-कुँवर, कमल-कुसुम फूले

20 मई 2022
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जागिए, व्रजराज-कुँवर, कमल-कुसुम फूले । कुमुद-बृँद सकुचित भए, भृंग लता भूले ॥ तमचुर खग रोर सुनहु, बोलत बनराई । राँभति गो खरिकनि मैं, बछरा हित धाई ॥ बिधु मलीन रबि-प्रकास गावत नर-नारी । सूर स्याम प्

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उठौ नँदलाल भयौ भिनसार

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उठौ नँदलाल भयौ भिनसार, जगावति नंद की रानी । झारी कैं जल बदन पखारौ, सुख करि सारँगपानी ॥ माखन-रोटी अरु मधु-मेवा जो भावै लेउ आनी । सूर स्याम मुख निरखि जसोदा,मन-हीं-मन जु सिहानी ॥ भावार्थ :-- श्रीनन

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तुम जागौ मेरे लाड़िले, गोकुल -सुखदाई

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तुम जागौ मेरे लाड़िले, गोकुल -सुखदाई । कहति जननि आनन्द सौं, उठौ कुँवर कन्हाई ॥ तुम कौं माखन-दूध-दधि, मिस्री हौं ल्याई । उठि कै भोजन कीजिऐ, पकवान-मिठाई ॥ सखा द्वार परभात सौं, सब टेर लगाई । वन कौं

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भोर भयौ जागौ नँद-नंद

20 मई 2022
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भोर भयौ जागौ नँद-नंद । तात निसि बिगत भई, चकई आनंदमई,तरनि की किरन तैं चंद भयौ नंद ॥ तमचूर खग रोर, अलि करैं बहु सोर,बेगि मोचन करहु, सुरभि-गल-फंद । उठहु भोजन करहु, खोरी उतारि धरहु,जननि प्रति देहु सिसु

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माखन बाल गोपालहि भावै

20 मई 2022
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माखन बाल गोपालहि भावै । भूखे छिन न रहत मन मोहन, ताहि बदौं जो गहरु लगावै ॥ आनि मथानी दह्यौ बिलोवौं, जो लगि लालन उठन न पावै । जागत ही उठि रारि करत है, नहिं मानै जौ इंद्र मनावै ॥ हौं यह जानति बानि स्

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सो सुख नंद भाग्य तैं पायौ

20 मई 2022
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सो सुख नंद भाग्य तैं पायौ । जो सुख ब्रह्मादिक कौं नाहीं, सोई जसुमति गोद खिलायौ ॥ सोइ सुख सुरभि-बच्छ बृंदाबन, सोइ सुख ग्वालनि टेरि बुलायौ । सोइ सुख जमुना-कूल-कदंब चढ़ि, कोप कियौ काली गहि ल्यायौ ॥ स

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खेलत स्याम ग्वालनि संग

20 मई 2022
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खेलत स्याम ग्वालनि संग । सुबल हलधर अरु श्रीदामा, करत नाना रंग ॥ हाथ तारी देत भाजत, सबै करि करि होड़ । बरजै हलधर ! तुम जनि, चोट लागै गोड़ ॥ तब कह्यौ मैं दौरि जानत, बहुत बल मो गात । मेरी जोरी है श्

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सखा कहत हैं स्याम खिसाने

20 मई 2022
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सखा कहत हैं स्याम खिसाने । आपुहि-आपु बलकि भए ठाढ़े, अब तुम कहा रिसाने ? बीचहिं बोलि उठे हलधर तब याके माइ न बाप । हारि-जीत कछु नैकु न समुझत, लरिकनि लावत पाप ॥ आपुन हारि सखनि सौं झगरत, यह कहि दियौ प

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मैया मोहि दाऊ बहुत खिझायौ

20 मई 2022
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मैया मोहि दाऊ बहुत खिझायौ । मोसौ कहत मोल कौ लीन्हौ, तू जसुमति कब जायौ ? कहा करौं इहि रिस के मारैं खेलन हौं नहिं जात । पुनि-पुनि कहत कौन है माता को है तेरौ तात ॥ गोरे नंद जसोदा गोरी, तू कत स्यामल ग

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मोहन, मानि मनायौ मेरौ

20 मई 2022
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मोहन, मानि मनायौ मेरौ । हौं बलिहारी नंद-नँदन की, नैकु इतै हँसि हेरौ ॥ कारौ कहि-कहि तोहि खिझावत, बरज त खरौ अनेरौ । इंद्रनील मनि तैं तन सुंदर, कहा कहै बल चेरौ ॥ न्यारौ जूथ हाँकि लै अपनौ, न्यारी गाइ

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खेलन अब मेरी जाइ बलैया

20 मई 2022
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खेलन अब मेरी जाइ बलैया । जबहिं मोहि देखत लरिकन सँग, तबहिं खिजत बल भैया ॥ मोसौं कहत तात बसुदेव कौ देवकि तेरी मैया । मोल लियौ कछु दै करि तिन कौं, करि-करि जतन बढ़ैया ॥ अब बाबा कहि कहत नंद सौं, जकसुमत

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खेलन चलौ बाल गोबिन्द

20 मई 2022
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खेलन चलौ बाल गोबिन्द ! सखा प्रिय द्वारैं बुलावत, घोष-बालक-बूंद ॥ तृषित हैं सब दरस कारन, चतुर चातक दास । बरषि छबि नव बारिधर तन, हरहु लोचन-प्यास ॥ बिनय-बचननि सुनि कृपानिधि, चले मनहर चाल । ललित लघु-

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खेलन कौं हरि दूरि गयौ री

20 मई 2022
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खेलन कौं हरि दूरि गयौ री । संग-संग धावत डोलत हैं, कह धौं बहुत अबेर भयौ री ॥ पलक ओट भावत नहिं मोकौं, कहा कहौं तोहि बात । नंदहि तात-तात कहि बोलत, मोहि कहत है मात ॥ इतनी कहत स्याम-घन आए , ग्वाल सखा स

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खेलन दूरि जात कत कान्हा

20 मई 2022
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खेलन दूरि जात कत कान्हा ? आजु सुन्यौं मैं हाऊ आयौ, तुम नहिं जानत नान्हा ॥ इक लरिका अबहीं भजि आयौ, रोवत देख्यौ ताहि । कान तोरि वह लेत सबनि के, लरिका जानत जाहि ॥ चलौ न, बेगि सवारैं जैयै, भाजि आपनैं

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दूरि खेलन जनि जाहु लाला मेरे

20 मई 2022
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दूरि खेलन जनि जाहु लाला मेरे, बन मैं आए हाऊ ! तब हँसि बोले कान्हर, मैया, कौन पठाए हाऊ ? अब डरपत सुनि-सुनि ये बातैं, कहत हँसत बलदाऊ । सप्त रसातल सेषासन रहे, तब की सुरति भुलाऊ ॥ चारि बेद ले गयौ संखा

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जसुमति कान्हहि यहै सिखावति

20 मई 2022
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जसुमति कान्हहि यहै सिखावति । सुनहु स्याम, अब बड़े भए तुम, कहि स्तन-पान छुड़ावति ॥ ब्रज-लरिका तोहि पीवत देखत, लाज नहिं आवति । जैहैं बिगरि दाँत ये आछे, तातैं कहि समुझावति ॥ अजहुँ छाँड़ि कह्यौ करि मे

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नंद बुलावत हैं गोपाल

20 मई 2022
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नंद बुलावत हैं गोपाल । आवहु बेगि बलैया लेउँ हौं, सुंदर नैन बिसाल ॥ परस्यौ थार धर्‌यौ मग जोवत, बोलति बचन रसाल । भात सिरात तात दुख पावत, बेगि चलौ मेरे लाल ॥ हौं वारी नान्हें पाइनि की, दौरि दिखावहु च

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जेंवत कान्ह नंद इकठौरे

20 मई 2022
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जेंवत कान्ह नंद इकठौरे । कछुक खात लपटात दोउ कर, बालकेलि अति भोरे ॥ बरा-कौर मेलत मुख भीतर, मिरिच दसन टकटौरे । तीछन लगी नैन भरि आए, रोवत बाहर दौरे ॥ फूँकति बदन रोहिनी ठाढ़ी, लिए लगाइ अँकोरे। सूर स्

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साँझ भई घर आवहु प्यारे

20 मई 2022
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साँझ भई घर आवहु प्यारे । दौरत कहा चोट लगगगुहै कहुँ, पुनि खेलिहौ सकारे ॥ आपुहिं जाइ बाँह गहि ल्याई, खेह रही लपटाइ । धूरि झारि तातौ जल ल्याई, तेल परसि अन्हवाइ ॥ सरस बसन तन पोंछि स्याम कौ, भीतर गई लि

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बल-मोहन दोउ करत बियारी

20 मई 2022
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बल-मोहन दोउ करत बियारी । प्रेम सहित दोउ सुतनि जिंवावति, रोहिनि अरु जसुमति महतारी ॥ दोउ भैया मिलि खात एक सँग, रतन-जटित कंचन की थारी । आलस सौं कर कौर उठावत, नैननि नींद झमकि रही भारी ॥ दोउ माता निरखत

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बल मोहन दोऊ अलसाने

20 मई 2022
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बल मोहन दोऊ अलसाने । कछु कछु खाइ दूध अँचयौ, तब जम्हात जननी जाने ॥ उठहु लाल! कहि मुख पखरायौ, तुम कौं लै पौढ़ाऊँ । तुम सोवो मैं तुम्हें सुवाऊँ, कछु मधुरैं सुर गाऊँ ॥ तुरत जाइ पौढ़े दोउ भैया, सोवत आई

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कीजै पान लला रे यह लै आई दूध जसोदा मैया

20 मई 2022
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कीजै पान लला रे यह लै आई दूध जसोदा मैया । कनक-कटोरा भरि लीजै, यह पय पीजै, अति सुखद कन्हैया ॥ आछैं औट्यौ मेलि मिठाई, रुचि करि अँचवत क्यौं न नन्हैया । बहु जतननि ब्रजराज लड़ैते, तुम कारन राख्यौ बल भैय

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भोर भयौ जागो नँदनंदन

20 मई 2022
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भोर भयौ जागो नँदनंदन ।संग सखा ठाढ़े जग-बंदन ॥ सुरभी पय हित बच्छ पियावैं ।पंछी तरु तजि दहुँ दिसि धावैं ॥ अरुन गगन तमचुरनि पुकार्‌यौ ।सिथिल धनुष रति-पति गहि डार्‌यौ ॥ निसि निघटी रबि-रथ रुचि साजी ।चंद

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न्हात नंद सुधि करी स्यामकी

20 मई 2022
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न्हात नंद सुधि करी स्यामकी, ल्यावहु बोलि कान्ह-बलराम । खेलत बड़ी बार कहुँ लाई, ब्रज भीतर काहू कैं धाम ॥ मेरैं संग आइ दोउ बैठैं, उन बिनु भोजन कौने काम । जसुमति सुनत चली अति आतुर, ब्रज-घर-घर टेरति लै

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हरि कौं टेरति है नँदरानी

20 मई 2022
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हरि कौं टेरति है नँदरानी । बहुत अबार भई कहँ खेलत, रहे मेरे सारँग-पानी ? सुनतहिं टेर, दौरि तहँ तहँ आए,कब के निकसे लाल । जेंवत नहीं नंद तुम्हरे बिनु, बेगि चलौ, गोपाल ॥ स्यामहि ल्याई महरि जसोदा, तुरत

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बोलि लेहु हलधर भैया कौं

20 मई 2022
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बोलि लेहु हलधर भैया कौं । मेरे आगैं खेल करौ कछु, सुख दीजै मैया कौ ॥ मैं मूँदौ हरि! आँखि तुम्हारी, बालक रहैं लुकाई । हरषि स्याम सब सखा बुलाए खेलन आँखि-मुँदाई ॥ हलधर कह्यौ आँखि को मूँदै, हरि कह्यौ म

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हरि तब अपनी आँखि मुँदाई

20 मई 2022
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हरि तब अपनी आँखि मुँदाई । सखा सहित बलराम छपाने, जहँ तहँ गए भगाई ॥ कान लागि कह्यौ जननि जसोदा, वा घर मैं बलराम । बलदाऊ कौं आवत दैंहौं, श्रीदामा सौं काम ॥ दौरि=दौरि बालक सब आवत, छुवत महरि कौ गात । स

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पौढ़िऐ मैं रचि सेज बिछाई

20 मई 2022
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पौढ़िऐ मैं रचि सेज बिछाई । अति उज्ज्वल है सेज तुम्हारी, सोवत मैं सुखदाई ॥ खेलत तुम निसि अधिक गई, सुत, नैननि नींद झँपाई । बदन जँभात अंग ऐंडावत, जननि पलोटति पाई ॥ मधुरैं सुर गावत केदारौ, सुनत स्याम

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खेलन जाहु बाल सब टेरत

20 मई 2022
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खेलन जाहु बाल सब टेरत। यह सुनि कान्ह भए अति आतुर, द्वारैं तन फिरि हेरत ॥ बार बार हरि मातहिं बूझत, कहि चौगान कहाँ है । दधि-मथनी के पाछै देखौ, लै मैं धर्‌यौ तहाँ है ॥ लै चौगान-बटा अपनैं कर, प्रभु आए

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आवहु, कान्ह, साँझ की बेरिया

20 मई 2022
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आवहु, कान्ह, साँझ की बेरिया । गाइनि माँझ भए हौ ठाढ़े, कहति जननि, यह बड़ी कुबेरिया ॥ लरिकाई कहुँ नैकु न छाँड़त, सोइ रहौ सुथरी सेजरिया । आए हरि यह बात सुनतहीं, धाए लए जसुमति महतरिया ॥ लै पौढ़ी आँगनह

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खेलत मैं को काको गुसैयाँ

20 मई 2022
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खेलत मैं को काको गुसैयाँ । हरि हारे जीते श्रीदामा, बरबसहीं कत करत रिसैयाँ ॥ जात-पाँति हम ते बड़ नाहीं, नाहीं बसत तुम्हारी छैयाँ । अति धिकार जनावत यातैं, जातैं अधिक तुम्हारैं गैयाँ ! रुहठि करै तासौ

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आँगन मैं हरि सोइ गए री

20 मई 2022
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आँगन मैं हरि सोइ गए री । दोउ जननी मिलि कै हरुऐं करि सेज सहित तब भवन लए री ॥ नैकु नहीं घर मैं बैठत हैं, खेलहि के अब रंग रए री । इहिं बिधि स्याम कबहुँ नहिं सोए बहुत नींद के बसहिं भए री ॥ कहति रोहिनी

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महराने तैं पाँड़े आयौ

20 मई 2022
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महराने तैं पाँड़े आयौ । ब्रज घर-घर बूझत नँद-राउर पुत्र भयौ, सुनि कै, उठि धायौ ॥ पहुँच्यौ आइ नंद के द्वारैं, जसुमति देखि अनंद बढ़ायौ । पाँइ धोइ भीतर बैठार्‌यौ, भौजन कौं निज भवन लिपायौ ॥ जो भावै सो

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पाँड़े नहिं भोग लगावन पावै

20 मई 2022
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पाँड़े नहिं भोग लगावन पावै । करि-करि पाक जबै अर्पत है, तबहीं-तब छूवैं आवै ॥ इच्छा करि मैं बाम्हन न्यौत्यौ, ताकौं स्याम खिझावै । वह अपने ठाकुरहि जिंवावै, तू ऐसैं उठि धावै ॥ जननी दोष देति कत मोकौं,ब

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सफल जन्म प्रभु आजु भयौ

20 मई 2022
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सफल जन्म प्रभु आजु भयौ । धनि गोकुल, धनि नंद-जसोदा, जाकैं हरि अवतार लयौ ॥ प्रगट भयौ अब पुन्य-सुकृत-फल , दीन बंधु मोहि दरस दयौ । बारंबार नंद कैं आँगन, लोटन द्विज आनंदमयौ ॥ मैं अपराध कियौ बिनु जानैं,

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मोहन काहैं न उगिलौ माटी

20 मई 2022
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मोहन काहैं न उगिलौ माटी । बार-बार अनरुचि उपजावति, महरि हाथ लिये साँटी ॥ महतारी सौं मानत नाहीं कपट-चतुरई ठाटी । बदन उधारि दिखायौ अपनौ, नाटक की परिपाटी ॥ बड़ी बार भइ, लोचन उधरे, भरम-जवनिका फाटी । स

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मो देखत जसुमति तेरैं ढोटा, अबहीं माटी खाई

20 मई 2022
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मो देखत जसुमति तेरैं ढोटा, अबहीं माटी खाई । यह सुनि कै रिस करि उठि धाई, बाहँ पकरि लै आई ॥ इक कर सौं भुज गहि गाढ़ैं करि, इक कर लीन्हीं साँटी । मारति हौं तोहि अबहिं कन्हैया, बेगि न उगिलै माटी ॥ ब्रज

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नंदहि कहति जसोदा रानी

20 मई 2022
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नंदहि कहति जसोदा रानी । माटी कैं मिस मुख दिखरायौ, तिहूँ लोक रजधानी ॥ स्वर्ग, पताल, धरनि, बन, पर्वत, बदन माँझ रहे आनी । नदी-सुमेर देखि चकित भई, याकी अकथ कहानी ॥ चितै रहे तब नंद जुवति-मुख मन-मन करत

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कहत नंद जसुमति सौं बात

20 मई 2022
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कहत नंद जसुमति सौं बात । कहा जानिए, कह तैं देख्यौ, मेरैं कान्ह रिसात ॥ पाँच बरष को मेरौ नन्हैया, अचरज तेरी बात । बिनहीं काज साँटि लै धावति, ता पाछै बिललात ॥ कुसल रहैं बलराम स्याम दोउ, खेलत-खात-अन्

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देखौ री! जसुमति बौरानी

20 मई 2022
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देखौ री! जसुमति बौरानी । घर घर हाथ दिखावति डोलति,गोद लिए गोपाल बिनानी ॥ जानत नाहिं जगतगुरु माधव, इहिं आए आपदा नसानी । जाकौ नाउँ सक्ति पुनि जाकी, ताकौं देत मंत्र पढ़ि पानी॥ अखिल ब्रह्मंड उदर गत जाक

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गोपाल राइ चरननि हौं काटी

20 मई 2022
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गोपाल राइ चरननि हौं काटी । हम अबला रिस बाँचि न जानी, बहुत लागि गइ साँटी ॥ वारौं कर जु कठिन अति कोमल, नयन जरहु जिनि डाँटी । मधु. मेवा पकवान छाँड़ि कै, काहैं खात हौ माटी ॥ सिगरोइ दूध पियौ मेरे मोहन,

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मैया री, मोहि माखन भावै

20 मई 2022
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मैया री, मोहि माखन भावै । जो मेवा पकवान कहति तू, मोहि नहीं रुचि आवै ॥ ब्रज-जुवती इक पाछैं ठाढ़ी, सुनत स्याम की बात । मन-मन कहति कबहुँ अपनैं घर, देखौं माखन खात ॥ बैठैं जाइ मथनियाँ कै ढिग, मैं तब रह

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गए स्याम तिहि ग्वालिनि कैं घर

20 मई 2022
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गए स्याम तिहि ग्वालिनि कैं घर । देख्यौ द्वार नहीं कोउ, इत-उत चितै चले तब भीतर ॥ हरि आवत गोपी जब जान्यौ, आपुन रही छपाइ । सूनैं सदन मथनियाँ कैं ढिग, बैठि रहे अरगाइ ॥ माखन भरी कमोरी देखत, लै-लै लागे

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फूली फिरति ग्वालि मन मैं री

20 मई 2022
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फूली फिरति ग्वालि मन मैं री । पूछति सखी परस्पर बातैं, पायौ पर्‌यौ कछू कहुँ तैं री ? पुलकित रोम-रोम, गदगद, मुख बानी कहत न आवै । ऐसौ कहा आहि सो सखि री, हम कौं क्यौं न सुनावै ॥ तन न्यारौ, जिय एक हमार

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प्रथम करी हरि माखन-चोरी

20 मई 2022
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प्रथम करी हरि माखन-चोरी । ग्वालिनि मन इच्छा करि पूरन, आपु भजे-खोरी ॥ मन मैं यहै बिचार करत हरि, ब्रज घर-घर सब जाउँ । गोकुल जनम लियौ सुख कारन, सब कैं माखन खाउँ ॥ बालरूप जसुमति मोहि जानै, गोपिनि मिलि

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सखा सहित गए माखन-चोरी

20 मई 2022
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सखा सहित गए माखन-चोरी । देख्यौ स्याम गवाच्छ-पंथ ह्वै, मथति एक दधि भोरी ॥ हेरि मथानी धरी माट तैं, माखन हो उतरात । आपुन गई कमोरी माँगन, हरि पाई ह्याँ घात ॥ पैठे सखनि सहित घर सूनैं, दधि-माखन सब खाए ।

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चकित भई ग्वालिनि तन हेरौ

20 मई 2022
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चकित भई ग्वालिनि तन हेरौ । माखन छाँड़ि गई मथि वैसैहिं, तब तैं कियौ अबेरौ ॥ देखै जाइ मटुकिया रीती , मैं राख्यौ कहुँ हेरि । चकित भई ग्वालिनि मन अपनैं, ढूँढ़ति घर फिरि-फेरि ॥ देखति पुनि-पुनि घर जे बा

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भ्रज घर-घर प्रगटी यह बात

20 मई 2022
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भ्रज घर-घर प्रगटी यह बात । दधि-माखन चोरी करि लै हरि, ग्वाल -सखा सँग खात ॥ ब्रज-बनिता यह सुनि मन हरषित, सदन हमारैं आवैं । माखन खात अचानक पावैं, भुज हरि उरहिं छुवावैं ॥ मन-हीं-मन अभिलाष करति सब हृदय

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गोपालहि माखन खान दै

20 मई 2022
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गोपालहि माखन खान दै । सुनि री सखी, मौन ह्वै रहिऐ, बदन दही लपटान दै ॥ गहि बहियाँ हौं लैकै जैहौं, नैननि तपति बुझान दै । याकौ जाइ चौगुनौ लैहौं, मोहि जसुमति लौं जान दै ॥ तू जानति हरि कछू न जानत सुनत म

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जसुदा कहँ लौं कीजै कानि

20 मई 2022
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जसुदा कहँ लौं कीजै कानि । दिन-प्रति कैसैं सही परति है, दूध-दही की हानि ॥ अपने या बालक की करनी,जौ तुम देखौ आनि । गोरस खाइ खवावै लरिकन, भाजत भाजन भानि ॥ मैं अपने मंदिर के कोनैं, राख्यौ माखन छानि ।

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माई ! हौं तकि लागि रही

20 मई 2022
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माई ! हौं तकि लागि रही । जब घर तैं माखन लै निकस्यौ, तब मैं बाहँ गही ॥ तब हँसि कै मेरौ मुख चितयौ, मीठी बात कही । रही ठगी, चेटक-सौ लाग्यौ, परि गइ प्रीति सही ॥ बैठो कान्ह, जाउँ बलिहारी, ल्याऊँ और दही

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आपु गए हरुएँ सूनैं घर

20 मई 2022
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आपु गए हरुएँ सूनैं घर । सखा सबै बाहिर ही छाँड़े, देख्यौ दधि-माखन हरि भीतर ॥ तुरत मथ्यौ दधि-माखन पायौ, लै-लै खात, धरत अधरनि पर । सैन देइ सब सखा बुलाए, तिनहि देत भरि-भरि अपनैं कर ॥ छिटकि रही दधि-बूँ

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ग्वालिनि जौ घर देखै आइ

20 मई 2022
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ग्वालिनि जौ घर देखै आइ । माखन खाइ चोराइ स्याम सब, आपुन रहे छपाइ ॥ ठाढ़ी भई मथनियाँ कैं ढिग, रीती परि कमोरी । अबहिं गई, आई इनि पाइनि, लै गयौ को करि चोरी ? भीतर गई, तहाँ हरि पाए, स्याम रहे गहि पाइ ।

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जौ तुम सुनहु जसोदा गोरी

20 मई 2022
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जौ तुम सुनहु जसोदा गोरी । नंदँ-नंदन मेरे मंदिर मैं आजु करन गए चोरी ॥ हौं भइ जाइ अचानक ठाढ़ी, कह्यौ भवन मैं को री । रहे छपाइ, सकुचि, रंचक ह्वै, भइ सहज मति भोरी ॥ मोहिं भयौ माखन-पछितावौ, रीती देखि क

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देखी ग्वालि जमुना जात

20 मई 2022
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देखी ग्वालि जमुना जात । आपु ता घर गए पूछत, कौन है, कहि बात ॥ जाइ देखे भवन भीतर , ग्वाल-बालक दोइ । भीर देखत अति डराने, दुहुनि दीन्हौं रोइ ॥ ग्वाल के काँधैं चड़े तब, लिए छींके उतारि । दह्यौ-माखन खा

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महरि ! तुम मानौ मेरी बात

20 मई 2022
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महरि ! तुम मानौ मेरी बात । ढूँढ़ि-ढ़ँढ़ि गोरस सब घर कौ, हर्‌यौ तुम्हारैं तात ॥ कैसें कहति लियौ छींके तैं, ग्वाल-कंध दै लात । घर नहिं पियत दूध धौरी कौ, कैसैं तेरैं खात ? असंभाव बोलन आई है, ढीठ ग्वा

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साँवरेहि बरजति क्यौं जु नहीं

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साँवरेहि बरजति क्यौं जु नहीं । कहा करौं दिन प्रति की बातैं, नाहिन परतिं सही ॥ माखन खात, दूध लै डारत, लेपत देह दही । ता पाछैं घरहू के लरिकन, भाजत छिरकि मही ॥ जो कछु धरहिं दुराइ, दूरि लै, जानत ताहि

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कहै जनि ग्वारिन! झूठी बात

20 मई 2022
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कहै जनि ग्वारिन! झूठी बात । कबहूँ नहिं मनमोहन मेरौ, धेनु चरावन जात ॥ बोलत है बतियाँ तुतरौहीं, चलि चरननि न सकात । केसैं करै माखन की चोरी, कत चोरी दधि खात ॥ देहीं लाइ तिलक केसरि कौ, जोबन-मद इतराति ।

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मेरे लाड़िले हो! तुम जाउ न कहूँ

20 मई 2022
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मेरे लाड़िले हो! तुम जाउ न कहूँ । तेरेही काजैं गोपाल, सुनहु लाड़िले लाल ,राखे हैं भाजन भरि सुरस छहूँ ॥ काहे कौं पराएँ जाइ करत इते उपाइ, दूध-दही-घृत अरु माखन तहूँ । करति कछु न कानि, बकति हैं कटु बान

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