नई दिल्ली : नेशनल कंपनी लॉ ट्रिब्यूनल ने आईडीबीआई बैंक द्वारा कर्ज में डूबे जेपी इंफ्राटेक के खिलाफ दायर ऋण शोधन याचिका (इंसोल्वेंसी पिटीशन) स्वीकार कर ली है. जिसके बाद जेपी ग्रुप के दिवालिया होने कि प्रक्रिया शुरू हो जाएगी. नोएडा के सेक्टर 128 में कंपनी द्वारा बनाए जा रहे विश टाउन में ही सिर्फ 32,000 अपार्टमेंट्स हैं. जबकि कम्पनी के कुल बायर्स की संख्या 40 हजार से भी अधिक बताई जा रही है.
जेपी को आईडीबीआई के 4000 करोड़ रुपये चुकाने हैं. इसके लिए जेपी को 180 दिन की मोहलत दी जाएगी जिसमें उसे अपना कर्ज लौटाने का रोडमैप देना होगा . जेपी को 32,000 लोगों को घर बनाकर देने हैं. यदि जेपी इंफ्रा को दिवालिया घोषित किया जाता है तो इसका सबसे बड़ा असर ग्राहकों पर पड़ेगा.
गौरतलब है कि जेपी में खरीददार 40 से 90 लाख रुपये का भुगतान कर चुके हैं। पांच से सात वर्षों से घर मिलने का इंतजार कर रहे हैं। अब बैंक अपना पैसा निकालने की कोशिश में लगे हैं लेकिन खरीदारों को उनका फ्लैट कब मिलेगा, कोई नहीं बता रहा है। जेपी ग्रुप गौतमबुद्ध नगर, अलीगढ़, आगरा में 5 टाउनशिप बना रहा है। इन बड़ी परियोजनाओं में 32,000 घर, पेंट हाउस, प्लॉट्स, स्कूलों की जगह है। जेपी ग्रुप ग्रेटर नोएडा में यमुना एक्सप्रेस वे के किनारे हजारों फ्लैट्स बना रहा है। यमुना एक्सप्रेस वे का संचालन करता है। बुद्ध इंटरनेशनल सर्किट, क्रिकेट स्टेडियम समेत कई बड़े निर्माण इस कंपनी के खाते में हैं।