राज्यसभा के अंदर प्रधानमंत्री मोदी ने इशारों-इशारों में हामिद अंसारी को बता दिया कि उनके व उनके खानदान की संकुचित सोच का एक लंबा इतिहास रहा है! मोदी के कहे शब्द और उसका विश्लेषण सोशल मीडिया पर वायरल हो रहा है। जिसने भी अबतक नही जाना उसे जरूर जानना चाहिए एक ऐसे आदमी की वास्तविकता जो देश के मुसलमानो को डराने का काम कर रहा हो।
हामिद अंसारी की सोच
उपराष्ट्रपति पद से विदाई से एक दिन पहले हामिद अंसारी ने यह कह कर मोदी सरकार पर हमला किया कि ‘इस समय देश के मुसलमान असुरक्षित महसूस कर रहे हैं!’ मोदी सरकार के आने के बाद संविधान और कानून के पालन को लेकर असहज महसूस कर रहे मुसलिम कट्टरता के पैरोकार इसी तरह का आरोप लगाते रहे हैं, जिसमें अब हामिद अंसारी का सुर भी जुड़ गया है।
प्रधानमंत्री मोदी का जवाब
इसके अगले ही दिन राज्यसभा के अंदर उपराष्ट्रपति की विदाई भाषण में प्रधानमंत्री ने मुस्कुराते और हल्के रोष भरे अंदाज में, इशारों-इशारों में हामिद अंसारी से कह दिया कि उनके व उनके खानदान की सोच बेहद संकुचित रही है!
पहले देखते हैं कि प्रधानमंत्री मोदी ने क्या कहा-
एक ऐसा परिवार, जिसका करीब 100 साल का इतिहास रहा है। उनके नाना उनके दादा राष्ट्रीय पार्टी के अध्यक्ष रहे। कभी संविधान सभा में रहे। एक प्रकार से आप उस परिवार की पृष्ठभूमि से आते हैं, जिनके परिवार का सार्वजनिक जीवन में विशेष करके कांग्रेस के साथ और कभी खिलाफत मूवमेंट के साथ भी काफी कुछ सक्रियता रही है। आपका अपना जीवन भी एक कैरियर डिप्लोमेट का रहा है। कैरियर डिप्लोमेट क्या होता है वह मुझे प्रधानमंत्री बनने के बाद ही समझ में आया।
उनके हंसने का अर्थ क्या होता है, उनके हाथ मिलाने का अर्थ क्या होता है, वो तुरंत समझ में नहीं आता है। क्योंकि उनकी ट्रेनिंग वही होती है। लेकिन उस कौशल्य का उपयोग इस 10 वर्ष में जरूर हुआ होगा। आपने सभी को संभालने में उस कौशल्य का उपयोग किया होगा।
आपके कार्यकाल का बहुत सारा हिस्सा वेस्ट एशिया से जुड़ा रहा है। उसी दायरे में बहुत वर्ष आपके गये। उसी माहौल में, उसी सोच में, उसी डिबेट में, वैसे ही लोगों के बीच रहे। वहां से रिटायर होने के बाद भी ज्यादातर काम वही रहा आपका, चाहे माइनोरेटी कमीशन हो या फिर अलीगढ़ यूनिवर्सिटी। आपका दायरा वही रहा।
लेकिन ये दस साल पूरी तरह से एक अलग जिम्मा आपके पास आया। और पूरी तरह संविधान… संविधान… संविधान… के दायरे में ही चलाना, और आपने बखूबी उसे चलाने का प्रयास किया। हो सकता है कि कुछ छटपटाहट रही होगी आपके भीतर भी, लेकिन आज के बाद वह संकट भी आपको नहीं रहेगा। मुक्ति का आनंद रहेगा और आपकी मूलभूत जो सोच रही है उसके अनुरूप कार्य करने का, सोचने का, बात बताने का अवसर भी रहेगा।
आपसे इस बीच मेरा परिचय ज्यादा तो रहा नहीं। जब भी मिलना हुआ, काफी कुछ जानने समझने को मिला। विदेश से आने के बाद आपसे जो बात करने का मौका मिलता था तो आपकी जो इनसाइट थी, उसका मैं जरूर अनुभव करता था। और वो मुझे चीजों को, जो दिखती है उसके सिवाय और क्या हो सकती है इसको समझने का एक अवसर देती थी। और इसलिए मैं हृदय से आपका बहुत आभारी हूं…..
मोदी ने जो कहा उसका विश्लेषण:
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने हामिद अंसारी के पूरे खानदान की कट्टरता को एक तरह से सार्वजनिक कर दिया। दुनिया में ‘अखिल इस्लामी राज्य और उसका एक खलीफा’ के आंदोलन को जिन लोगों ने आजादी से पहले चलाया था, उसमें अंसारी का खानदान भी था! मोदी ने भरे संसद में बड़े प्यार से इसे आज की पीढ़ी के समक्ष उजागर कर दिया! पीएम मोदी ने बता दिया कि वह इस्लामी बहुसंख्या वाले वेस्ट एशिया में एक कुटनीतिज्ञ की तरह काम करते रहे हैं, इसलिए उनकी पूरी सोच का दायरा ही इस्लामी कट्टरता से भरा है!
वैसी ही सोच, वैसे ही विचार, वैसे ही डिबेट, वैसे ही लोगों के बीच रहे-का पीएम का व्यंग्य वही समझ सकता है, जो वेस्ट एशिया की कट्टरता से परिचित है! पीएम यहीं पर नहीं रुके, उन्होंने स्पष्ट कहा कि सेवानिवृत्ति के बाद भी अल्पसंख्यक आयोग और अलीगढ़ मुसलिम विश्विद्यालय के माहौल में वह मुसलमान ही बने रहे, कभी भारतीय बनकर नहीं सोच पाए!
पीएम ने कहा कि जब भी वह विदेश से आते थे तो हामिद अंसारी की अंर्तदृष्टि का अनुभव उन्हें होता था, यानी अंसारी की अंर्तदृष्टि वही रहती थी, जो आज वह सेवानिवृत्ति से पहले अपने सार्वजनिक बयान में बोल रहे हैं! पीएम ने 100 साल से अंसारी खानदान की कांग्रेस के प्रति चली आ रही वफादारी को भी बड़े ही चतुर ढंग से लोगों के समक्ष रख दिया!
हंसने और हाथ मिलाने के अलग अर्थ का मंतव्यय है कि ऐसा व्यक्ति जो वह दिखता है, वो वह होता नहीं है! यानी अंसारी दिखते तो भारतीय हैं, लेकिन उनकी सोच पूरी कट्टर इस्लाममिक है!
संभवतः उन्होंने पीएम मोदी के साथ हाथ मिलाने में अछूत जैसा ही वर्ताव किया होगा, जब वह जीत कर 2014 में पीएम बने थे! तब तो कांग्रेस की पूरी बिरादरी ही पीएम मोदी से अछूतों जैसा वर्ताव कर रही थी! यहां तक कि दिल्ली की कांग्रेसी रामलीला के मंच पर भी पीएम मोदी की पहली रामलीला में सोनिया गांधी के समक्ष उनके अपमान का प्रयास किया गया था!
हामिद अंसारी मुसलिम और कांग्रेस के ऐसे ‘कॉकटेल’ हैं, जिनके दामन पर भारत के विभाजन का दाग है और जिनकी सोच आज भी विभाजनकारी है! ऐसे लोगों को हिंदू-मुसलमानों की एकता से अपनी राजनीति क व मतलबी जमीन हमेशा से कमजोर होती ही दिखी है!
भारत विभाजन के मूलभूत कारणों मे से दो-खिलाफत आंदोलन और विभाजन का जन्मदाता अलीगढ़ मुसलिम विश्वविद्यालय के माहौल से आने वाले हामिद अंसारी के लिए प्रधानमंत्री ने यह तक कह दिया कि पिछले दस साल से शायद आप संविधान के दायरे में घुट रहे हैं! हर वक्त आपको संविधान के अनुरूप कार्य करना पड़ा है, लेकिन आज जब आप आजाद हो रहे हैं तो अपनी उस कट्टरतावादी सोच को खुलकर व्यक्त करने के लिए स्वतंत्र हैं!
पीएम मोदी के अलावा इस देश ने भी पिछले तीन साल के अंदर हामिद अंसारी के अंदर इस्लामी कट्टरता की छटपटाहट को शिद्दत से महसूस किया है! मोदी सरकार के आने के बाद उनके अंदर जो घुटन थी, पीएम मोदी कह रहे हैं कि अब आप अपनी उसी घुटन को खुलकर व्यक्त कीजिए, जैसा कि कल उन्होंने किया है! मेरे हिसाब से आजाद भारत में संसद के अंदर किसी प्रधानमंत्री ने कट्टरता को लेकर किसी उपराष्ट्रपति को ऐसा आईना नहीं दिखाया होगा, जैसा की पीएम मोदी ने हामिद अंसारी को हंसी-हंसी में दिखा दिया!
आज देश के सामने सबसे बड़ा प्रश्न है कि इतने बड़े पद पर रहते हुए भी इतनी गंदी मानसिकता कैसे रख लेते है लोग ?
अपनी ही कौम को भय और डर दिखाकर क्या हासिल करना चाहते है हामिद अंसारी?
कही राष्ट्रपति पद की उम्मीदवारी में विचार न करना और तीसरी बार उपराष्ट्रपति पद न दिए जाने की मानसिक कुंठा तो नही है?