वो मुझे हर जगह ढुढती रही
मैं भी उसे हर पल तलाशता रहा
ना उसे कुछ पता था
ना मुझे उसकी खबर थी
मैं उसे निहारता रहा
रात भर चांद सितारों में
जिंदगी एक कोने में उदास
बैठी मिली नदी के किनारे में
जब बुरे समय में जरुरत थी
तो साथ छोड़ गए थे अपने
इतने सालों से जो सजाएं थे
वो एक पल में टूट गए थे सपने
अरे मतलब के सहारे तो बहुत मिले
पर अपनापन नहीं था उन सहारे में
जिंदगी एक कोने में उदास
बैठी मिली नदी के किनारे में
कोई बनी थी उम्मीद जीने की
आज वो वजह है मेरे दर्द पीने की
अरे महफ़िल तो बहुत बड़ी है
पर वो खुशी नहीं हजारों में
जिंदगी एक कोने में उदास
बैठी मिली नदी के किनारे में
✍✍abishakemaandhania✍✍