नई दिल्लीः मुंबई की यह कहानी मायानगरी की तरह अविश्वसनीय है। मुंबई के बोरीवली इलाके में जब लोगो ने 70 साल के केमिकल उघोगपति अरुण पौराणा की कहानी सुनी तो उस पर किसी को भी यकीन न हुआ. 70 साल के अरुण पौराणा राजकोट में कुछ साल पहले एक बड़ी केमिकल फैक्ट्री के मालिक थे. लेकिन आज वो बोरीवली के उसी फुटपाथ पर भिखारियों की तरह बेघर जिंदगी बसर कर रहे हैं,जिस फुटपाथ के दूसरी ओर इमारत में उनका अरबों रुपए का आशियाना था।
यूं राजा से रंक बने अरुण पौराणा
अरुण पौराणा के जीवन में त्रासदी 1974 से शुरु हुई, जब उनकी फैक्ट्री एक समुद्री तूफान में तहस नहस हो गई. आर्थिक रुप से तंगी होने पर पौराणा ने मुंबई में कदम रखा , दोस्तों और रिश्तेदारों की मदद से एक बार फिर Chem Mech नाम से एक कंपनी शुरु की लेकिन कुछ सालों बाद कंपनी में घाटा शुरू हुआ और फिर अरुण पौराणा जीवन में दूसरी बार राजा से रंक बन गए।
केमिकल इंजीनियरिंग में गोल्ड मेडलिस्ट हैं अरुण
केमिकल इंजीनियरिंग में गोल्ड मेडलिस्ट अरुण पौराणा ने Mid-Day अखबार के पत्रकार अपर्णा शुक्ला को बताया कि वह गोराई के शांतिदन आश्रम में जिंदगी बसर करने लगे. उम्र बढ़ती जा रही थी और पौराणा के साथ आश्रम के कर्मियों का व्यवहार सही नहीं था, तो एक दिन अरुण पौराणा आश्रम से निकल कर सड़क पर आ गए . जिंदगी के अपने तकलीफ बयान करते हुए पौराणा बताते हैं कि वह जिस वक्त फैक्ट्री के मालिक थे तब उन्होनें यह नहीं सोचा था कि हालात इतने खराब होंगे कि फुटपाथ पर जिंदगी बसर करनी पड़ेगा उन्होने कहा उनके पास आश्रम से निकलते वक्त हाथ में एक मंहगी घड़ी थी, जिसे बेच कर कपड़े खरीदे हैं. पौराणा की पत्नी एक वक्त वकील हुआ करती थी. लेकिन आज वह कहां हैं. किसी को नहीं मालुम. यूं तो एक बेटी अर्पणा भी हैं . लेकिन वह उनसे मिलने जाते नहीं हैं.