नई दिल्लीः आरएसएस। यानी राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ। दुनिया का ऐसा संगठन, जिसकी जितनी आलोचना हुई, उतनी ही उसकी ताकत बढ़ी। छह दशक का धुरविरोधी कांग्रेस शासनकाल भी इस संगठन का कुछ बिगाड़ नहीं सका। वजह है मजबूत काडर। खामोशी से काम करने की कला। दर्जनों अनुषांगिक संगठनों के जरिए विचारधारा को हर दिशा में फैलाने का फुलप्रूफ प्लान। यही वजह रही कि जितने भी आरोप विरोधी लगाते रहे सारे सुबूतों की बिनाह पर धराशायी होते गए। दुनिया के इस सबसे बड़े काडर वाले संगठन को राजनीति क इकाई भाजपा के जरिए बहुमत से देश की सत्ता तक पहुंचने में करीब सौ साल लग गए। जिससे आरोप विरोधी प्रोपेगंडा के सिवा कुछ नहीं साबित हुए। प्रचार से दूर अपनी खास शैली में कार्य के लिए चर्चित इस संगठन की दुनिया के 40 देशों में शाखाएं चल रहीं हैं। इस बार मंगलवार को आरएसएस का स्थापना दिवस इस मायने में खास रहा कि 90 साल के इतिहास में पहली बार गणवेश हाफ से फुलपैंट में बदल गया। आज के ही के दिन दशहरे को 27 सितंबर को डॉ. केशव बलिराम हेडगेवार ने राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ की स्थापना की थी। इस समय मोहन भागवत संघ प्रमुख हैं।
आरएसएस की नजर में हिंदू कौन
आरएसएस पर हिंदूवादी संगठन होने का ठप्पा लगता है। हालांकि आरएसएस का कहना है कि लोग हिंदू शब्द को बहुत संकीर्ण नजरिए से देखते हैं। आरएसएस की नजर में हिंदू शब्द का बहुत व्यापक अर्थ है।
संघ के अनुसार - सिंधु (सिंधु नदी ) से सिंधु (दक्षिण मे हिन्द महासागर ) तक इस विस्तृत मातृ-भूमि को , जो पितृभूमि और पुण्यभूमि स्वीकार करता है , वही ' हिन्दू ' के नाम से जाना जाता है । हिंदुस्तान का हर वो निवासी जो यहां की सभ्यता और संस्कृति में विश्वास रखता है वह हिंदू है। इस परिभाषा के अनुसार हिन्दू ,मुस्लिम, सिख, ईसाई, सवर्ण, दलित, पिछड़े, सब जो इस मातृ-भूमि को पितृभूमि और पुण्यभूमि स्वीकार करते हैं सब हिन्दू हैं। संघ कभी प्रचार के चक्कर में नहीं पड़ता। खामोशी से अपने मिशन को अंजाम देता है। आरएसएस सिर्फ हिंदू धर्म के प्रचार-प्रसार ही नहीं करता। बल्कि उसके साथ सामाजिक गतिविधियों को भी जोड़कर चलता है। आदिवासी बाहुल्य इलाकों के बच्चों को शिक्षा देने के लिए आरएसएस ने संबंधित प्रांतों में सैकड़ों स्कूल खोल रखे हैं। जहां बच्चों को मुफ्त शिक्षा दी जाती है। इससे संघ को अपनी विचारधारा वाली जनरेशन तैयार करने में मदद मिल रही। आरएसएस की ओर से लगभग हर राज्य में सरस्वती शिशु मंदिर नाम से स्कूलों का संचालन किया जाता है। जहां भारतीय संस्कृति से जुड़ी शिक्षाओं का प्रचार-प्रसार होता है। खुद को शिक्षा जैसे सामाजिक सरोकारों से जोड़ने के चलते आरएसएस पर लगने वाले तमाम आरोप टिक नहीं पाते।
क्यों नहीं कोई आरएसएस का कुछ बिगाड़ पाया
भारत-पाक बंटवारे पर की सरहद की रखवाली
आजादी के बाद जिन्ना की जिद पर देश के दो टुकड़े हुए तो इधर भारत और उधर पाकिस्तान बन गया। इस बीच विभाजन के नाम पर दंगे भड़काने का खेल चला। उस वक्त देश में शासकीय ढांचा नया-नया गठित हो रहा था। लिहाजा नेहरू और माउंटबेटन उस वक्त भारत-पाक सीमा पर खूनी खेल रोक पाने में विफल थे। पाकिस्तानी की ओर से नापाक हरकतें की जा रहीं थी। भारतीय सेना भी उतनी सुदृढ़ नहीं थी। जिस पर संघ के स्वयंसेवकों ने सरहद की रखवाली का जिम्मा उठाया। यही नहीं पाकिस्तान छोड़कर हिंदुस्तान में आए शरणार्थियों के लिए साढ़े तीन हजार से ज्यादा कैंप लगाकर उनकी हिफाजत की। इसके बाद से इस संगठन की देश में लोकप्रियता तेजी से फैली।
चीन युद्ध में संघ की मदद देख नेहरू ने स्वयंसेवकों को बुलाया गणतंत्र की परेड में1962 में जब चीन से युद्ध छिड़ा तो लाठियों से लैस होकर स्वयंसेवक सीमा पर जवानों का हौसला बढ़ाने पहुंचे। उन्होंने सैनिकों तक भोजन, पानी पहुंचाने से लेकर आने-जाने में काफी मदद की। जब अगले साल 26 जनवरी 1963 को गणतंत्र दिवस आयोजन होने को हुआ तो सिर्फ दो दिन पहले नेहरू ने संघ को पत्र भेजकर स्वयंसेवकों को परेड में भेजने का अनुरोध किया। जबकि परेड की तैयारी में जवान महीनों लगा देते हैं। मगर मात्र दो दिनों में ही करीब साढ़े तीन हजार स्वयंसेवक खाकी पैंट व सफेद शर्ट में परेड में हाजिर हुए। जब आलोचना शुरू हुई तो नेहरू ने कहा-हम यह दिखाना चाहते हैं कि केवल लाठी के दम पर भी सफलतापूर्वक बम और चीनी सेनाओं से सशस्त्र लड़ा जा सकता है, विशेष रूप से उन्हें परेड में आमंत्रित किया गया। इससे साफ पता चलता है कि किस तरह आरएसएस की सेवाओं से नेहरू भी प्रभावित होकर मुरीद हो गए।
कश्मीर विलय के लिए राजा हरि सिंह को मनाया
महाराज हरि सिंह कश्मीर मसले पर बहुत असमंजस में थे। उधर पाकिस्तान कश्मीर को अपने में मिलाने में नापाक कोशिशें कर रहा था, इधर भारत विलय के लिए बार-बार महाराजा हरिसिंह से अपील करता रहा। तब सरदार पटेल ने गुरु गोलवलकर से कुछ मदद करने की अपील की। गोवलकर हरिसिंह से मिले और उन्हें भारत में विलय पत्र पर हस्ताक्षर करने के लिए मनाया। गोलवलकर की अपील पर हरिसिंह ने विलय पर सहमति जाहिर की।
पाक युद्ध में शास्त्री ने भी ली मदद
जब 1965 में पाकिस्तान से युद्ध छिड़ा तो फिर संकट के समय आरएसएस आगे आया। सरकार का पूरा ध्यान सीमा पर लग गया। तब प्रधानमंत्री लाल बहादुर शास्त्री की अपील पर संघ ने दिल्ली की यातायात व्यवस्था को अपने हाथ में लिया। जिससे दिल्ली की पुलिस को भी सेना की मदद में सीाम पर लगा दिया गया। यही नहीं युद्ध में घायल जवानों के लिए स्वयंसेवकों ने रक्तदान भी किया।
जब पुर्तगाल का झंडा उतारकर भारत का लहराया
दो अगस्त 1954। यह तारीख भारत और गोवा के लिए बहुत खास थी। संघ स्वयंसेवकों ने इस सुबह पूरे दादरा नगर हवेली को पुर्तगालियों के कब्जे से मुक्त कराकर देश को सौंप दिया। 1955 में गोवा मुक्ति आंदोलन में स्वयंसेवकों ने बढ़ चढ़कर हिस्सा लिया। नेतृत्व कर रहे जगन्नाथ राव जोशी सहित कई कार्यकर्ताओं को सजा सुनाई गई तो मामला गरम हो गया। आखिरकार भारत ने सैनिक हस्तक्षेप किया तब जाकर 1961 में गोवा आजाद हुआ।
और भी बहुत योगदान
1975में जब इंदिरा गांधी ने देश पर आपातकाल थोपा तो इसके खिलाफ संघर्ष में आरएसएस कार्यकर्ता जुड़ गए। जनता पार्टी के गठन में भूमिका निभाई। विभिन्न राजनीतिक दलों से बातचीत कर उन्हें एक मंच पर लाने में आरएसएस के विचारकों का योगदान बताया जाता है। विध्वसं नहीं निर्माण के सूत्र पर 1925 में स्थापित आरएसएस के भारतीय मजदूर संगठन ने कारखानों में विश्वकर्मा जयंती मनाने की शुरुआत की। यह विश्व का सबसे बड़ा मजदूर संघटन बताया जाता है।
1971 में ओड़िसा में आया चक्रवात हो या फिर भोपाल की गैस त्रासदी। चाहे 1984 के सिख विरोधी दंगे ही क्यों न हों। या फिर कारगिल लड़ाई,सुनामी, गुजरात भूकंप और उत्तराखंड की बाढ़ क्यों न हो, हर जगह संघ के कार्यकर्ता मदद करते देखे गए।
राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के सरसंघचालकों की सूची:
1-. डॉक्टर केशवराव बलिराम हेडगेवार डॉक्टरजी (1925-1940) 2- माधव सदाशिवराव गोलवलकर गुरूजी (1940-1973) 3- मधुकर दत्तात्रय देवरस बालासाहेब देवरस (1973-1993) 4-. प्रोफ़ेसर राजेंद्र सिंह रज्जू भैया (1993-2000) 5-. कृपाहल्ली सीतारमैया सुदर्शन (2000-2009) 6-. डॉ॰ मोहनराव मधुकरराव भागवत (2009...)
आरएसएस के कई अनुषांगिक संगठन
आरएसएस के कई अनुषांगिक संगठन अलग-अलग दिशा और क्षेत्र में काम कर रहे हैं। इसमें विद्या भारती संस्था 20 हजार से ज्यादा स्कूल, 10 हजार से ज्यादा रोजगार एवं ट्रेनिंग सेंटर चलाती है। इसकीओर से सरस्वती शिशु मंदिरों में 30 लाख से अधिक बच्चों को एक लाख शिक्षक पढ़ाते हैं। सेवा भारती की ओर से देश के दुर्गम इलाकों में 35 हजार स्कूल खोले गए हैं। जहां 10 लाख से ज्यादा बच्चे पढ़ते हैं। मुस्लिमों को संगठन से जोड़ने के लिए मुस्लिम राष्ट्रीय मंच, छात्र संगठन एबीवीपी, स्वदेशी जागरण मंच, वनवासी कल्याण आश्रम जैसे अनुषांगिक संगठन आरएसएस के दिशा-निर्देशन में काम कर रहे हैं। इसी मजबूत पकड़ के चलते आरएसएस का लाख चाहकर भी विरोधी कुछ बिगाड़ नहीं पाए। -(आरएसएस पदाधिकारियों और कई स्तंभकारों से बातचीत के आधार पर जुटाए गए तथ्यों के आधार पर यह लेख )