राजनीति के क्षेत्र से जुड़े व्यक्तियों में एक महत्त्वपूर्ण गुण होता है—उनकी नेतृत्व क्षमता। जननायक ‘भारत रत्न’ अटलजी में यह गुण अद्भुत था, उनके भीतर नेतृत्व की क्षमता कूट-कूटकर भरी हुई है। ग्वालियर के साधारण अध्यापक के घर जनमे अटलजी अपनी प्रतिभा के द
बांग्ला के विख्यात कथाकार बिमल मि़त्र की फिल्म अभिनेता और निर्देशक-निर्माता गुरुदत्त से मुलाकात उनके लोकप्रिय उपन्यास साहब-बीवी-गुलाम पर फिल्म बनाने के सिलसिले में हुई थी। कुछ ही दिनों में यह संबंध ऐसी प्रगाढ़ मैत्री में बदल गया कि गुरुदत्त की ट्रेजिक
मोदीजी ने अपनी नीतियों, कार्यक्षमता, कुशलता और योग्यता से यदि संपन्न वर्ग पर प्रभुत्व जमाया है तो एक आमजन में उन्हें अपना प्रधानमंत्री भी नजर आया है। आज सहजता से एक साधारण व्यक्ति अप्रतिम असाधारण व्यक्तित्व के नरेंद्र मोदी तक न सिर्फ सरलता से अपनी बा
सीमित जीवन को मैंने अपने जीवन के आध्यात्मिक मन के आधार पर कुछ लेख प्रस्तुत किए हैं जो वास्तविक रूप से मनुष्य के जीवन में घटित होते हैं एवं महसूस करते हैं !
जिंदगी एक जिंदगी है, जिंदगी को जिंदगी की तरह जियो, ना जिंदगी को अपनी तरह जियो, क्योंकि जीने का नाम ही जिंदगी है, हम हैं तो जिंदगी है, हम नहीं तो कुछ भी नहीं, दिल खोलकर जियो, जीने का नाम ही जिंदगी है।
‘बैरिकेड’ इन दिनों सबसे ज़्यादा चर्चित उपन्यास है, जिसने हिन्दी साहित्य में प्री-बुकिंग के सभी पुराने रिकॉर्ड तोड़ दिए हैं। बैरिकेड कहानी है भारत के मिडिल क्लास के सपनों की। अभिषेक सिंह ने बैरिकेड की कहानी कुछ ऐसी गढ़ी है, जिससे कि कथानक कई शहरों से होक
जिद्दू कृष्णमूर्ति का नाम आध्यात्मिक जगत् में विशेष रूप से उल्लेखनीय है। जब वे मात्र तेरह वर्ष के थे, तभी उनमें एक आध्यात्मिक गुरु होने की विशिष्टताएँ दृष्टिगोचर होने लगी थीं। उन्होंने न केवल भारत में, बल्कि विदेशों में भी आध्यात्मिकता का परचम लहराया
‘गांधी बनाम भगत: एक संत, एक सैनिक’ उस ऊहापोह के समाधान की ओर एक विनम्र लघु प्रयास है, जो महात्मा गांधी और शहीद भगतसिंह के व्यक्तित्वों की तुलना से उत्पन्न होता है। दोनों भारतीय स्वाधीनता संग्राम के चमकते सितारे और माँ भारती के अमर सपूत हैं, जिन्होंने
शेखर कपूर एक सफल व्यवसायी है जिसने कभी कोई उचित कार्य नहीं किया। उसके लिए जीवन का मतलब है वह कितनी जल्दी व कितना हासिल कर सकता है। वह लोगों को धोखा देता है, बेइज़्ज़त करता है और वह ऐसा ही करता रहता है एक रहस्यमयी फोन काॅल के बावजूद व न्याय की नगरी से
क्या नेताजी सुभाष चंद बोस की मृत्यु 18 अगस्त, 1945 को ताइहोकू (ताइपे, ताइवान) में एक विमान हादसे में हो गई थी? क्या जोसेफ स्टालिन ने उन्हें साइबेरिया भेज दिया था? या उन्हें छोड़ दिया गया था, जिसके बाद वह किसी तरह भारत पहुँच गए थे? क्या वही उत्तर प्रद
अमित शाह भाजपा के अब तक के सबसे सफल रणनीतिकार हैं। वे लगातार भाजपा की जीत की पटकथा लिख रहे हैं। कोई उन्हें प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का ‘तुरुप का पत्ता’ कहता है तो कोई भाजपा का ‘चाणक्य’। जहाँ भाजपा कमजोर है, उन राज्यों में पार्टी का कोने-कोने तक विस्
हस्तरेखा शास्त्री जी हमें कुछ बताया , मेरी जीवन की भाग्य भबिता कुछ तो बताओ ! कैसी बीतेगी जिंदगी रहस्य कुछ सुनाओ , कौन सा रेखा किया कही रही हमें भी बताओ !मेरी जीवन ... सुख दुःख का चरण समय से बताओ , दुःख का काट यदि हो कोई उपाय बताओ! मेरी जीवन की ...
हमारे दौर की राजनीति, समाज, आदमी–सब अपने भीतर से लेकर बाहर तक जाने कैसे तो जंजाल में उलझे हुए हैं, और जब उसे सुलझाने चलते हैं, उस जाल से निकलकर खुली, साफ़ जगह में आने के लिए हाथ-पाँव पटकते हैं तो सुलझते-निकलते नहीं, और उलझ जाते हैं। क्या नहीं है ह
Martin Luther King (hindi) Read more
30 नवंबर, 1858 को बंगाल में जनमे 23 नवंबर, 1937 डॉ. (सर) जगदीश च्रंद बसु भारत के प्रसिद्ध वैज्ञानिक थे जिन्हें भौतिकी, जीवविज्ञान, वनस्पतिविज्ञान तथा पुरातत्त्व का गहरा ज्ञान था। ये पहले वैज्ञानिक थे जिन्होंने रेडियो और सूक्ष्म तरंगों की प्रकशिकी पर
मल्लिका आधुनिक हिन्दी के निर्माता भारतेन्दु हरिश्चन्द्र की वह प्रेमिका थी जिसके संबंध में इतिहास और साहित्य मौन है। भारतेन्दु के घर के पास रहने वाली बाल-विधवा, मल्लिका ने भारतेन्दु से हिन्दी पढ़ना-लिखना सीखकर बांग्ला के तीन उपन्यासों का हिन्दी में अन
भारत माँ के अमर सपूत लोकमान्य बाल गंगाधर तिलक समाज-सुधारक और स्वतंत्रता संग्राम के सर्वमान्य नेता थे। उन्होंने सबसे पहले पूर्ण स्वराज की माँग उठाई। उनका कथन ‘स्वराज मेरा जन्मसिद्ध अधिकार है और मैं इसे लेकर रहूँगा’ ने स्वाधीनता सेनानियों में नया जोश भ
मेरी जिंदगी का हाल भी यही रहा मेरा जन्म निर्धन परिवार में हुआ फिर में एक वर्ष का ही था कि मेरे पिताजी का। निर्धन हो गया फिर में ननिहाल में रहने लगा वहां मेरे ननिहाल वालो ने कभी भी किसी चीज की कमी महसूस नहीं होने दी मेरे को कभी यह नहीं लगा कि ये मे
जब श्रीकृष्ण सरलजी ने नेताजी सुभाष पर लेखन प्रारंभ किया तो स्वयं उन देशों का भ्रमण किया, जहाँ उन्होंने भारत की आजादी की लड़ाइयाँ लड़ी । उन्होंने उन पर्वतों की चोटियों को चूमा जहाँ आजाद हिंद फौज के वीरों ने भारतीय तिरंगा ध्वज फहराया है । उन जंगलों की खा
हर आत्मकथा एक उपन्यास है और हर उपन्यास एक आत्मकथा। दोनों के बीच सामान्य सूत्र ‘फिक्शन’ है। इसी का सहारा लेकर दोनों अपने को अपने आप की कैद से निकलकर दूसरे के रूप में सामने खड़ा कर लेते हैं। यानी दोनों ही कहीं-न-कहीं सर्जनात्मक कथा-गढ़न्त हैं। इधर उपन्या