एक पिता अपने जीवन के सब सुनहरे पलो को छोड़ देता हैं अपने बच्चों को कामयाब बनता हैं और पिता की कीमत उससे पूछो जिसके पिता नहीं हैं
मेरी जिंदगी है तुझसे मां, तुझ बीन ये जिंदगी है अधुरी मां...❤️
1.इंसान को कभी भी किसी अवसर का इंतजार नही करना चाहिए, क्योंकि जो आज है वही सबसे बड़ा अवसर होता है। 2.गलत तरीकों से कामयाबी प्राप्त करने से कई गुना बेहतर है, सही तरीके अपनाकर नाकामयाब हो जाना। 3.जिंदगी का हर एक छोटा हिस्सा भी हमारी जिंदगी की काम
विरांगना रानी दुर्गावती का स्वाभिमान
सभी इच्छायें जहाँ होंगी वहाँ कोई ना कोई जाल मिलेगा, उसमें फँस कर ख़ुश होता इंसानी लाल मिलेगा। ज़रूरतें पूरी हो जाना ही सिर्फ़ काफ़ी नहीं, दूसरों की नक़लों में हरपल बहाता माल मिलेगा। संतुष्ट नहीं होता अपनी हैसियत और हस्ती से, और-और करके हरदम बजाता ग
धनपत राय श्रीवास्तव ३१ जुलाई १८८० – ८अक्टूबर १९३६ जो प्रेमचंद नाम से जाने जाते हैं, वो हिन्दी और उर्दू के सर्वाधिक लोकप्रिय उपन्यासकार, कहानीकार एवं विचारक थे। और उनका जन्म 31 जुलाई 1880 को वाराणसी के नज़दीक लमही गांव में हुआ था। पिता का नाम अजायब र
माँ ही मंदिर माँ ही कावा शिवाला माँ का नाम ही उत्तम जग में , माँ ही पालन हारा ! माँ ही दुर्गा माँ ही लक्ष्मी माँ ही सृष्टि के रचन हारा माँ से मानव का अस्तित्व है , माँ का नाम जग में निराला ! माँ अस्तित्व है माँ ही धरती माँ ही सवको पाला , म
आम नागरिक की जीवनी के साथ ही उनके कार्य और दिनचर्या के वो किस्से जिनसे ना केवल अपनी तारीफ बल्कि उन सभी कर्तव्य जो एक आम इंसान में होते हो
यह कहानी एक बेटी की है।जो कम पढ़ी-लिखी है। दुनिया के ताने लगातार उसे कमजोर करते हैं।पर उसने हिम्मत नहीं हारी। और किस तरह से वे अनपढ़, गंवार एक अन्नपूर्णा बनती है यह दिखाया गया है
एक ऐसी कहानी जिसमे एक आईना भविष्य बताता है।आखिर ये आईना अवनी को कहाँ ले जाएगा?
यह मेरी जीवनी है। एक पत्रकार की कहानी। मैंने इस कहानी को जीया है। मैं ही इस कहानी का नायक हूं। मैंने अपने जीवन के 32 बरस पत्रकारिता को दिए हैं। गुजरे इन बरसों में पत्रकारिता ही मेरा धर्म भी रही और जुनून भी। व्यवसाय भी और कर्तव्य भी। लक्ष्य भी और आत्
इस किताब के माध्यम से आपको मेरे अनुभवों के बारे में जानने के लिए मिलेगा , जिसको मेने कहानियों के रूप में प्रस्तुत किया है.
आओ कुछ यादें हम साझा करें एक साथ, अपने एहसासों और खूबसूरत पल को , बांटे आप के साथ । आओ साथ में मिलकर अपनी यादों , को तरो ताज़ा कर जाएं । इस किताब के माध्यम से , आपको दैनिक प्रतियोगिता का भी , मिलेगा मजेदार शीर्षक । आओ बह चले इस कविता , के
मनुष्य जीवन में कई तरह के संघर्ष करने पर ही जिंदगी को आगे बढ़ाया जा सकता है। जीवन जीने का मतलब जीना नहीं है अपितु उच्च विचार, अच्छे आदर्श परिवार को सही स्तर से भरण-पोषण अध्यात्मिक ज्ञान और मर्यादाओ को बनाए रखकर चलना होता हे। तथा माता- पिता की सेवा ।व
जिनका जन्म हुआ है उनकी मृत्यु भी निश्चित है | जीवन-मृत्यु प्रकृति का शाश्वत सत्य है | जिस तरह बीता हुआ समय कभी वापस नहीं आता, उसीतरह जो दिवंगत हो जाते हैं, कभी नहीं लौटते | मात्र उनकी यादें हमारे मानस पर बरबस आती रहती है | उनकी क्रियाकलापें, उनकी बात
अपने जीवन के खट्टे मीठे संस्मरणो को कहानियों का रूप देते हुये एक जीवनी /उपन्यास लिखने का प्रयास
बुआ जी के घर रहते हुए जीवन के विभिन्न रूप दिखे. गांव के लोगों का निश्छल जीवन था तब और आज की तरह वो राजनीती के शिकार नहीं हुए थे.
जिंदगी में परेशानियां कितनी भी आएं कभी भी अपने आप को कमजोर मत पड़ने देना . याद रखना ये परेशानियां ही आप को मजबूत बनातीं हैं. ये बो सबक सिखा के जातीं हैं जो कोई किताब या ब्यक्ति नहीं सिखा सकता. और फिर भी समझ में न आये तो याद रखना. सूरज क
तीन दोस्त जिनकी उम्र लगभग 13'-14 वर्ष की थी। परीक्षा के पास वे तीनों एक दिन ट्रेन में बैठकर डोंगरगढ माता के दर्शन के लिये जाते हैं । ट्रेन मेँ तीनों रायपुर के बाद सो जाते हैं और उनकी नींद खुलती है ट्रेन के नागपुर पहुंचने के बाद। वे तीनों घबरा कर