नई दिल्ली : रिलायंस ने बड़ी धूम धाम से अपनी जियो सर्विस तो शुरू कर दी लेकिन अब उसके सामने सुनील भारती मित्तल और कुमार मंगलम बिड़ला ने मुसीबत खड़ी कर दी है। एयरटेल, आईडिया और वोडाफोन ने टेलीकॉम रेगुलेटर- ट्राई से अनुरोध किया है कि उनके घाटे को पूरा करने के लिए इंटरकॉनेक्टिविटी चार्ज बढ़ाया जाए। इन तीनों कंपनियों ने एक बैठक कर यह फैसला लिया। वहीँ रिलायन्स का कहना है कि ये कंपनियां उसे इंटर कनेक्शन उपलब्ध नहीं करवा रही हैं जिस कारण उसका कॉल ड्राप बढ़ता जा रहा है।
क्या है इंटर कनेक्टिविटी चार्ज
ट्राई के नियमों की माने तो जब किसी टेलीकॉम कपनी का उपभोक्ता किसी दूसरी टेलीकॉम कंपनी के उपभोक्ता कॉल करता है तो पहली कंपनी को दूसरी कंपनी यानी कॉल रिसीवर कंपनी को चार्ज दें पड़ता है। यानी अगर कोई रिलायंस जियो का उपभोक्ता एयरटेल के उपभोक्ता को कॉल करता है तो रिलायन्स को प्रति मिनट 14 पैसे एयरटेल को इंटर कनेक्टिविटी चार्ज देना पड़ता है। ऐसे में अगर इंटर कनेक्टिविटी चार्ज बढ़ता है तो उन कंपनियों को ज्यादा लाभ होगा जिनके ज्यादा उपभोक्ता हैं।
इंटर कनेक्टिविटी चार्ज बढ़ाने से रिलायन्स को होगा बड़ा नुकसान
अगर इंटर कनेक्टिविटी चार्ज बढ़ेगा तो रिलायंस को नुकसान उठाना पड़ेगा। क्योंकि देश में 80 प्रतिशत उपभोक्ता एयरटेल, वोडाफोन और आईडिया के हैं। आंकड़ों के अनुसार सबसे ज्यादा एयरटेल के 25.68 करोड़ यूजर, वोडाफोन के 19.77 करोड़ और आईडिया के 17.64 करोड़ यूजर्स हैं। रिलायंस जियो के आने के बाद बाकि टेलीकॉम कंपनियों को अपने टेरिफ रेट बढ़ाने के लिए मजबूर होना पड़ रहा है जबकि पहले से ही इन कंपनियों पर करोड़ों का कर्ज है।
रोज हो रही हैं 1.6 करोड़ कॉल फेल
रिलायंस का यह भी आरोप है कि एयरटेल, वोडाफोन और आईडिया द्वारा उसे इंटर कनेक्शन न दिए जाने के कारण उसकी कॉल फेल होने का रेट 65 फीसदी बढ़ गया है। रिलायंस और अन्य नेटवर्को के बीच रोज 1.6 करोड़ कॉल फेल हो रहे हैं। वहीं इससे पहले सेल्युलर ऑपरेटर्स एसोसिएशन ऑफ इंडिया के डायरेक्टर जनरल राजन मैथ्यूज ने कहा, 'उन्होंने दूरसंचार विभाग और ट्राई से अनुरोध किया है कि वह सर्विस के टेस्ट और उसके कमर्शियल सर्विस से जुड़े मामलों को स्पष्ट करें।'