नई दिल्लीः उम्र पांच साल थी तो इस मासूम ने एक्सीडेंट में एक पैर गंवा दिया। इस बीच परिवार पर संकट की एक और बिजली टूट कर गिरी। जब पिता ने मां का साथ छोड़ दिया। न पिता की सिर पर छाया न एक पैर। फिर भी उस बालक ने हार नहीं मानी। खुद को लाचार नहीं होने दिया। बेटे के हौसले ने मां की आंखों में चमक ला दी। हर दुख से लड़ते हुए मां ने बेटे का लालन-पालन किया। आज उसी बालक ने रियो में ऐसा काम कर दिया, जो कि ओलंपिक में गई 119 खिलाड़ियों की पूरी टीम नहीं कर सकी। जी हां यह संघर्ष की कहानी है 21 साल के मरियप्पन थांगावेलू की। जिन्होंने रियो मे चल रहे पैरालिंपिक की ऊंची कूद स्पर्धा में 1.89 मीटर की ऊंची छलांग लगाकर देश को गोल्ड मेडल दिलाया है।
साइकिल से सब्जियां बेचती हैं मां
मयप्पन का परिवार दो जून की रोटी पाने के लिए कड़ा संघर्ष करता है। मां सरोजा का साथ पति ने दस साल पहले छोड़ दिया था। तब से सरोजा बच्चों का पेट पालने के लिए हर रोज साइकिल पर सब्जियां लेकर बेचने को निकलतीं हैं। मरियप्पन ने इस साल मार्च में जब 1.60 मीटर क्वालीफाइंग मार्क से कहीं ज्यादा 1.78 मीटर की छलांग लगाई थी तो रियो ओलंपिक में मेडल तय माना जा रहा था।
पांच सौ रुपये किराए के मकान में रहता है परिवार
मरियप्पन का परिवार की आर्थिक हालत काफी खराब है। तमिलनाडु के सेलम जिले में पेरियावादागामपट्टी गांव के रहने वाले मरियप्पन का परिवार महज पांच सौ रुपये महीने के किराए के रूम में रहने को विवश है। चेन्नई से इस गांव की दूरी करीब साढ़े तीन सौ किमी है।