कश्मीर में पैलेटगन पर रोक लगाने की मांग करने वालों से सुप्रीम कोर्ट ने दो टूक कहा कि पहले वे पत्थरबाजी और हिंसक प्रदर्शन रोकें, तभी पैलेटगन पर प्रतिबंध लगाया जा सकता है।
अदालत ने यचिकाकर्ता जम्मू- कश्मीर हाई कोर्ट बार एसोसिएशन से कहा कि अगर वह पत्थरबाजी रोकने का शपथपत्र देता है, तो हम दो सप्ताह के लिए पैलेटगन का इस्तमाल रोकने का निर्देश दे सकते है। कोर्ट ने कहा कि जब तक पत्थरबाजी जारी रहेगी तक तक बातचीत कैसे हो सकती है?
पहले विरोध प्रदर्शन बंद करो, तभी बातचीत हो सकती है।उधर, केंद्र सरकार ने भी सुप्रीम कोर्ट सें साफ किया कि अलगाववादियों या आजादी के नारे लगाने वालों से बात नही की जाएगी, वार्ता अधिकृत लोगों से ही हो सकती है। कोर्ट को इस बारे में निर्देश नहीं देना चहिए।
शुक्रवार का कश्मीर के मौजूदा माहौल पर मुख्य न्यायाधीश जे एस खेहर की अध्यक्षता वाली पीठ के सामने सुनवाई हो रही थी। कोर्ट ने घाटी का महौल सामान्य बनाने के लिए दोनों पक्षों से सुझाव और रोडमैप देने को कहा। इसके बाद मामले की सुनवाई नौ मई तक के लिए टाल दी। कोर्ट ने याचिकाकर्ता जम्मू- कश्मीर हाई कोर्ट बाद एसोसिएशन से कहा कि पहल उसे ही करनी चाहिए। अदालत ने केंद्र से कहा कि वह याचिकाकर्ताओं की ऐसे लोगों के साथ बातचीत के लिए रास्ता साफ करें।
अटार्नी जनरल मुकुल रोतिगी ने अलगाववादियों को छोडने का विरोध किया। जब रोहतगी ने कोर्ट से निर्देश न देने की बात कही तो पीठ ने थोडा तल्ख होते हुए कहा कि वह तो सिर्फ माहौल सामान्य बनाए जाने की सहूलियतें तलाशने का प्रयास कर रही है। अगर इसमें आपत्ति है, तो वह तुरंत सुनवाई बंद कर सकती है।