नई दिल्ली : पंजाब विधानसभा और एमसीडी चुनाव में करारी हार के बाद आंदोलन से निकली आम आदमी पार्टी के भीतर का अंतर्कलह खुलकर सामने आ गया है। आम आदमी पार्टी लम्बे समय से जिन से धड़ों में विभाजित थी उनमे एक गुट मनीष सिसोदिया और कुमार विश्वास का था तो दूसरा गुट आशुतोष और संजय सिंह का। पार्टी में इन दोनों गुटों के पीछे कार्यकर्ता भी बंटे हुए हैं। वक्त बेवक्त अपनी महत्वाकांक्षाओं के आधार पर केजरीवाल कभी संजय सिंह तो कभी कुमार विश्वास के गुट में शामिल हो जाते हैं।
उदाहरण के तौर पर पंजाब चुनाव में जब संजय सिंह को राज्य का पूरा प्रभार दिया गया तो कुमार विश्वास ने इस पूरे चुनाव प्रचार से दूर रहना ही ठीक समझा। सूत्रों की माने तो जब पंजाब और गोवा में पार्टी चुनाव हारी तो संजय सिंह और आशुतोष ने ईवीएम पर दोष मढ़ा। लेकिन कुमार विश्वास ने चुनाव हारने के पीछे ईवीएम के बहाने को पूरी तरह ख़ारिज कर दिया।
खुद एक इंटरव्यू के दौरान कुमार विश्वास ने कहा कि 'ईवीएम में गड़बड़ी है लेकिन वह एक चुनाव सुधार की प्रक्रिया है। उन्होंने साफ़ किया कि हम चुनाव अपनी गलतियों के कारण हारे'। कुमार विश्वास ने यह तक कह डाला कि हम यह तय करें कि 'हम जंतर-मंतर से लड़ने किस्से चले थे। करप्शन से, कांग्रेस से, मोदी से या ईवीएम से'।
कुमार विश्वास द्वारा मीडिया में आने और अपनी पार्टी के तौर-तरीकों पर आवाज उठाने के बाद संजय सिंह सामने आये और कुमार विश्वास को जवाब देने के लहजे में कहा पार्टी को किसी के सलाह की जरूरत नहीं है। हार के बाद एक दूसरे पर आरोप-प्रत्यारोप से बचना चाहिए और अगर किसी को कुछ कहना है तो उन्हें वो बात पार्टी फोरम में रखनी चहिए।
ऐसे मिले थे AAP के दिग्गज नेता
नजदीकी बताते है कि पार्टी में एक गुट के माने जाने वाले कुमार विश्वास और मनीष सिसोदिया बचपन के दोस्त हैं। दोनों ने अपनी पढ़ाई एक साथ गाज़ियाबाद के 'पिल्खवा' से की। मनीष सिसोदिया पत्रकार थे और टीवी चैनल 'ज़ी न्यूज़' में नौकरी करते थे। वहां से नौकरी छोड़ने के बाद सिसोदिया अरविन्द केजरीवाल के एनजीओ से जुड़ गए।
केजरीवाल के एनजीओ से जुड़ने के बाद कुमार विश्वास भी केजरीवाल के करीब आये और दोनों में अच्छी जान पहचान हो गई। कुमार विश्वास रामलीला मैदान में अन्ना हजारे के आंदोलन के दौरान संजय सिंह से मिले। कुछ समय तक संजय सिंह कुमार विश्वास के घर में भी रहे।
पार्टी के भीतर विचारधाराओं का भी अंतर्विरोध
दरअसल आम आदमी पार्टी एक ऐसी जमीन से निकली जिसकी पृष्ठभूमि आन्दोलन रही। जिसमे देश के तमाम विचारधाराओं के लोग जुड़े, लेकिन जैसे ही केजरीवाल ने आम आदमी पार्टी बनाई और राजनीति साधनी शुरू की वैसे ही उन विभिन्न विचारधाराओं का अन्तर्विरोध खुलकर सामने आने लगा।
कुमार विश्वास ने अपने ताज़ा इंटरव्यू में कहा है कि पार्टी द्वारा सर्जिकल स्ट्राइक पर सवाल उठाना भी सही नहीं था। कई लोग तो यह भी कहते हैं हमेशा से आम आदमी पार्टी की कोई अपनी विचारधारा न होने के कारण वह लेफ्ट और राईट के बीच में ही झूलती रही। शायद कारण यही था कि योगेन्द्र यादव और प्रशांत भूषण लोग इस खांचे में फिट नही बैठ पाए।